पिता की मौत के बाद 3 साल की बच्ची ने निभाई पगड़ी की रस्म, देखकर लोग नहीं रोक पाए आंसू
देश दुनिया से आए दिन ऐसी कोई ना कोई खबर निकल कर सामने आ ही जाती है, जिसे जानने के बाद हर किसी का मन बेहद दुखी हो जाता है। वैसे देखा जाए तो रोजाना ही दुनिया भर में कोई ना कोई ऐसी घटना होती रहती है, जो काफी हैरान कर देने वाली होती है। उन्ही में से कुछ ऐसी घटनाएं भी होते हैं, जो व्यक्ति को बेहद भावुक कर देती हैं। इसी बीच जयपुर राजधानी के बगरू के समीप मोहनपुरा गांव से एक बेहद भावुक कर देने वाला मामला सामने आया है।
दरअसल, यहां पर एक ऐसी पगड़ी की रस्म हुई कि वहां पर मौजूद लोगों की आंखों से आंसू निकल पड़े। यह रस्म ऐसी थी कि कोई जब पंच पटेलों में तीन वर्ष की मासूम बच्ची के सिर पर पगड़ी बांधी, तो वह भावुक हो गए और बोले- हे भगवान! ऐसी पगड़ी किसी के सिर पर ना बंधे। वहां पर मौजूद सभी लोग अपनी आंखों के आंसू को रोक नहीं पाए थे। तो चलिए जानते हैं आखिर यह पूरा मामला क्या है…
तीन साल की मासूम बेटी ने निभाई पगड़ी की रस्म
दरअसल, आज हम आपको जिस घटना के बारे में बता रहे हैं यह मोहनपुरा गांव से सामने आया है, जहां पर महज तीन साल की बच्ची ने अपने पिता की मौत के बाद पगड़ी की रस्म निभाई। जैसा कि हम लोग जानते हैं तीन साल के बच्चे की उम्र खेलने कूदने की होती है। बच्चे को इस उम्र में किसी भी चीज की ज्यादा समझ नहीं होती परंतु इस छोटी सी उम्र में जब बच्ची के सिर पर पगड़ी बांधी गई तो लोगों की आंखों में आंसू आ गए।
मोहनपुरा में पिता की मृत्यु के पश्चात समाज के पंच पटेलों ने तीन साल की मासूम बच्ची के सिर पर पगड़ी बांधकर परिवार की जिम्मेदारी सौंपी। आपको बता दें कि मोहनपुरा गांव में सुनिल टोड़ावता रहते थे, जिनका आकस्मिक निधन हो गया। सुनिल टोड़ावता का कोई भी पुत्र नहीं था। उनकी एक इकलौती बेटी थी, जिसका नाम अनम है। अनम की उम्र महज 3 वर्ष की है।
पिता की मौत के बाद पंच पटेलों ने पगड़ी की रस्म निभाने के लिए अनम को बिठाया। रस्म के समय तीन साल की मासूम बच्ची गुमसुम बैठी रही और वहां पर मौजूद लोग बेहद भावुक हो गए और वह अपनी आंखों से आंसू नहीं रोक पाए। समाज के लोगों ने परिवार एवं रिश्तेदारों की मौजूदगी में पगड़ी की रस्म निभाई।
बता दे पगड़ी रस्म के दौरान राजस्थान सरपंच संघ अध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल, अनम के नाना रामफूल शेरावत, नानी पूर्व पार्षद गीता चौधरी शेरावत, पूर्व यूथ कांग्रेस अध्यक्ष बगरू अशोक शेरावत, रामलाल शेरावत, जगदीश शेरावत, दादा हरलाल रामकरण नंदाराम, प्रभुदयाल व नागपाल टोडावता मौजूद रहे।
जानिए पगड़ी रस्म क्या होती है?
पगड़ी रस्म सामाजिक रीति है, जिसका पालन हिन्दू, सिख और मुस्लिम सभी धार्मिक समुदाय करते हैं। इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीक़े से पगड़ी (जिसे दस्तार भी कहते हैं) बाँधी जाती है।
पगड़ी रस्म को इस क्षेत्र में समाज में इज्जत का प्रतीक माना जाता है। इसी वजह से इस रस्म से दर्शाया जाता है कि जिसके सिर पर पगड़ी बांधी गई है अब उस पर परिवार के मान-सम्मान और कल्याण की जिम्मेदारी है। अंतिम संस्कार के चौथे दिन या फिर तेहरवीं को पगड़ी रस्म आयोजित की जाती है।