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पोते ने दादा की इच्छा की पूरी, 20 ऊंटों पर 7KM का सफर पूरा कर दूल्हा, दुल्हन लेने पहुंचा

हम सभी लोगों ने ऊंट को तो देखा ही होगा। ऊंट एक बड़ा शरीर वाला जानवर है। इसके बहुत लंबे पैर और लंबी गर्दन होती है। ऊंट की पीठ पर बड़ा सा कूबड़ होता है। ऊंट के पैर लंबे और गद्देदार होते हैं। यह रेगिस्तानी धूल पर बड़ी ही आसानी से चल सकता है। इसी वजह से ऊंट को रेगिस्तान का जहाज भी कहा जाता है। रेगिस्तानी इलाकों में बरसों पहले एक गांव से दूसरे गांव आने जाने के लिए ज्यादातर सभी लोग ऊंट का ही इस्तेमाल करते थे।

पहले ऊंट का इस्तेमाल सिर्फ लोग आने जाने के लिए ही नहीं बल्कि बारातों में भी करते थे। लेकिन जैसे-जैसे समय बदलता गया, वैसे-वैसे लोग ऊंट का इस्तेमाल नहीं करते हैं। इसी बीच आज हम आपको राजस्थान के बाड़मेर में हाल ही में निकली बारात के बारे में बताने वाले हैं। इस बारात को जिन लोगों ने देखा बस वह देखते ही रह गए।

20 ऊंटों पर निकली बारात

दरअसल, हम आपको जिस अनोखी बारात के बारे में बता रहे हैं, यह बाड़मेर जिला मुख्यालय के दानजी की हौदी इलाके में लाई गई है। यहां के निवासी मलेश राजपुरोहित का विवाह महाबार में नारायण सिंह की बेटी सीता कंवर के साथ संपन्न हुई। इस बारात की चर्चा पूरे इलाके में हो रही है और सबसे बड़ी खास बात यह है कि बारातियों के साथ दूल्हा 20 ऊंटों पर सवार होकर विवाह स्थल तक पहुंचा।

पोते ने की अपने दादा की इच्छा पूरी

दूल्हे मलेश के द्वारा ऐसा बताया गया कि उनके दादा जी की यह इच्छा थी कि उसकी शादी परंपरागत रीति रिवाज के साथ होनी चाहिए, जिसके चलते उन्होंने अपने दादा जी की इच्छा पूरी करने के लिए 20 ऊंट जैसलमेर से मंगवाए और ऊंटों पर ही बारात निकाली गई। दूल्हे ने यह पहले से ही तय कर लिया था कि बारात ऊंटों पर ही निकाली जाएगी। इसके लिए वह बीते 5 महीनों से इसको लेकर तैयारी कर रहे थे। जिन लोगों ने भी इस बारात को देखा, वह बस देखते ही रह गए।

7 किलोमीटर का सफर तय कर दूल्हा पहुंचा दुल्हन लेने

आपको बता दें कि दूल्हे के पिता जी का नाम दलसिंह है। उन्होंने ऐसा बताया कि जैसलमेर के 20 ऊंट लाए गए। प्रति ऊंट पर उनको उनका खर्च ₹11000 आया और इसी तरह शादी बारात निकाली गई। बारात ने विवाह स्थल पर पहुंचने के लिए 7 किलोमीटर का सफर तय किया। बरात पहुंचने में 2 घंटे का वक्त लग गया। राजा-महाराजाओं के जमाने की तरह ही ऊंट पर सवार होकर दूल्हा 2 घंटे में सफर तय कर दुल्हन के घर पहुंचा। जब शहर की सड़कों पर बारात निकली तो चमक-धमक, गाजे-बाजे के साथ सजे-धजे ऊंटों को लोग देखते ही रह गए थे।

समाज को नया संदेश देना चाहते थे दूल्हे के पिता

मिली जानकारी के मुताबिक दूल्हे के पिता दलसिंह ने समाज को नया संदेश देने की बात सोची थी। वहीँ दूल्हे मलेश के दादा की इच्छा थी कि उनकी बारात पुराने परंपरागत रीति रिवाज से ऊंट से जाए। इसी वजह से उन्होंने लग्जरी गाड़ियों को दरकिनार कर दिया और पूरी बारात महाबार ऊंटों पर सवार होकर पहुंची। दूल्हे के पिता का कहना है कि ऊंटों से बारात निकालने का जिसने भी सुना उन्होंने इसकी प्रशंसा की। सब लोग बधाई देते हुए कह रहे हैं कि आप पुरानी संस्कृति को वापस जिंदा कर रहे हो।

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