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जब एक पजामे के लिए 1600 किलोमीटर दूर भेजा था सरकारी विमान, आज भी कांग्रेस पर हंसते हैं लोग

मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर में राजनेता प्रकाशचंद्र सेठी का नाम बड़े ही अदब के साथ लिया जाता है। प्रकाशचंद्र सेठी की राजनीतिक सुझ बुझ के चलते ही उन्हें मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। यहीं नहीं केंद्रीय मंत्री के तौर पर भी प्रकाशचंद्र सेठी ने कई बड़े ब़डे काम किए। राजनीति की गलियों में प्रकाशचंद्र सेठी को लेकर कई किस्से आज भी मशहूर है।

कांग्रेस पार्टी के राजनेता प्रकाशचंद्र सेठी आज भले ही इस दुनिया में ना हो लेकिन राजनीति में उनकी बातें हमेशा दोहराई जाती रही है। यूं तो प्रकाशचंद्र सेठी के कई किस्से लोगों के बीच मशहूर हुए लेकिन इस किस्से को लोग कभी भी नहीं भूल सकते। बात उस दौर की है जब प्रकाशचंद्र सेठी मध्यप्रदेश के सीएम हुआ करते थे। उस समय जम्मू कश्मीर में राजनेता गुलाम नबी आजाद की शादी का समारोह था।

जब शादी में कश्मीर पहुंचे पीसी सेठी

शादी में शिरकत देने के लिए प्रकाशचंद्र भी पहुंचे। प्रकाशचंद्र इस शादी में केवल कुछ घंटों में लिए ही गए थे। लेकिन वहां हालात कुछ ऐसे बन गए जिसके कारण प्रकाशचंद्र को रात कश्मीर में ही बितानी पड़ी। मुख्यमंत्री के पद पर होने के कारण प्रकाशचंद्र सरकारी विमान से ही कश्मीर पहुंचे थे।

1600 किलोमीटर गया था सरकारी विमान

रात बिताने के लिए प्रकाशचंद्र को सोने के लिए अपना पायजाता चाहिए। जिसे रखना तो वे भूल गए थे। उस पायजामे के बिना उन्हें नींद भी नहीं आती थी। ऐसे में प्रकाशचंद्र नेे अपने स्टाफ को यह बात बताते हुए। अपने सरकारी विमान को पायजामा लेने के लिए करीब 1600 किलोमीटर दूर भोपाल तक भेज दिया।

1600 किलोमिटर दूर सरकारी विमान प्रकाशचंद्र के पायजामे को लेकर रात करीब साढ़े नौ बजे श्रीनगर पहुंचा। जिसके बाद प्रकाशचंद्र अपने पायजामे को पहन कर सोने के लिए निकल गए। प्रकाशचंद्र सेठी के इस किस्से को सुनने के बाद राजनीति की गलियों में खुब ठीठोली हुई। कांग्रेस पार्टी पर आज भी इस किस्से को लेकर दूसरी पार्टीयां चुटकी लेना नहीं भूलती।

जब पीसी सेठी सीएम बने तो कोई नहीं हुआ खुश

कहा जाता है कि जब पीसी सेठी को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया तब पार्टी से कोई भी खुश नहीं हुआ। उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अचानक ही पीसी सेठी का नाम सीएम के पद के लिए ले लिया था। जबकि इस पद के लिए कई बड़े बड़े राजनेता राह तांके बैैठे हुए थे।

इंदिरा गांधी के मुंह से पीसी सेठी का नाम सुनने के बाद से एक भी विधायक ने खुशी जाहिर नहीं की थी, यहां तक कि एक ने भी तालियां नहीं बजाई थीं। लेकिन इंदिरा गांधी अपने फैसले पर अटल थी और उन्होंने मुख्यमंत्री तो प्रकाशचंद्र सेठी को ही बनाया।

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