अजब ग़जब

इलाज के दौरान 30 वर्षीय शादीशुदा महिला समेत 2 मौसेरी बहनें निकली पुरुष, जानिए कैसा रहा घरवालों का रिएक्शन

साइंस और मेडिसन की दुनिया एक ऐसी दुनिया है, जहाँ आये दिन नए-नए खुलासे देखने को मिलते हैं. दरअसल, विज्ञान के अंदर ढेरों पहेलियाँ ऐसी है जिनको सुलझाने में सालो लग जाते हैं. कोरोना जैसी महामारी को लेकर भी देश और दुनियाभर में रिसर्च की जा रही हैं लेकिन अभी तक विज्ञान इसकी वैक्सीन खोजने में असफल रहा है. वहीँ बीते दिनों पश्चिम बंगाल से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. जिसने साइंस को भी दो बार सोचने पर मजबूर कर दिया है. दरअसल, यहाँ एक 30 वर्षीय महिला जोकि पिछले 10 साल से शादीशुदा भी है, उसे अचानक से पेट में दर्द की शिकायत हुई. जब उसको इलाज के लिए अस्पताल लाया गया तो टेस्ट में पता चला कि उस महिला में पुरुषों में होने वाला कैंसर मौजूद है.

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बहन भी मिली इस बीमारी से पीड़ित

जब डॉक्टर्स ने महिला में पुरुषों वाले इस सिंड्रोम के बारे में बताया तो उसके पाँव तले से ज़मीन खिसक गई. उसने तुरंत इस बात की जानकारी अपने घरवालों को दी. जिसके बाद जब जांच के लिए उसकी 28 वर्षीय छोटी बहन को बुलवाया गया तो वह भी उसी रोग से पीड़ित मिली. डॉक्टर्स की मने तो यह दोनों ही पुरुष हैं. बता दें कि दोनों बहनों में एंड्रोजेन इंसेंसटिविटी सिंड्रोम (AIS) मौजूद है जोकि आम तौर पर केवल पुरुषों में ही पाया जाता है. ऐसे में महिलाओं में यह सिंड्रोम होना एकदम अजीब बात है.

क्या है एआईएस?

डॉक्टर्स ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि एआईएस एक विशेष प्रकार की बीमारी है. इसमें पैदा हुए बच्चों में पुरुषों के जींस मौजूद होते हैं. परन्तु समय के साथ साथ उनका शरीर औरतों की तरह विकसित होने लगता है. जब दोनों बहनों की गहराई से जांच व टेस्ट करवाए गए तो दोनों में ही एआईएस पाया गया.

पुरुष बाहर से दिखते हैं एक महिला

मिली जानकारी के अनुसार फिलहाल पीड़ित बहनों का इलाज बीरभूम के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अस्पताल में किया जा रहा है. वहीँ डॉ. की मने तो यह दोनों बाहर से पूरी तरह से महिलाएं लगती हैं लेकिन असल में यह पुरुष ही हैं. इनकी शारीरक बनावट से लेकर आवाज़ भी महिला की है. परंतु इनके पेट में बच्चेदानी या अंडकोष मौजूद नहीं है. गौरतलब है कि पीड़ित महिला को टेस्टीक्यूलर कैंसर है जोकि 22 हजार लोगों में से किसी एक में पाया जाता है. ऐसी महिलाएं कभी गर्भवती नहीं हो सकती.

कीमोथेरेपी से इलाज हुआ शुरू

बता दें कि महिला का कैरियोटाइपिंग टेस्ट भी करवाया गया था इसमें उसके क्रोमोसोम्स पर रिसर्च की गई. जिसके बाद अब महिला को ट्रीटमेंट के तौर पर कीमोथेरेपी दी जा रही है. हैरत की बात यह भी है कि महिला की बहन समेत दो मौसियों को भी यही बीमारी है. जिससे यह बात साफ़ है कि उनके परिवार में यह रोग पीढ़ीओं से चलता आ रहा है.

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