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इंफोसिस की मालकिन ने बेहद सादगी से खुद की बच्चों की परवरिश, कहा बच्चों पर ना थोपे अपनी मर्जी

‘सादा जीवन उच्च विचार’ वाले सिद्धांत को आईटी इंडस्ट्रियलिस्ट और इंफोसिस के सह-संस्थापक एन-आर नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति ने अपनी रियल लाइफ का हिस्सा बनाया है। सुधा मूर्ति एक प्रेरणादायक महिला हैं। भले ही वह आज करोड़ों की मालकिन हो लेकिन सुधा मूर्ति ने दिन-रात एक कर अपने बच्चों की परवरिश खुद की है।

बच्चों की फिक्र छोड़ पैसा कमाने में लगे लोग

दरअसल, इन दिनों बच्चों को केयरटेकर के पास छोड़ने का ट्रेंड बन गया है। माता-पिता दिनभर नौकरी कर पैसा कमाने में लगे रहते हैं और अपने बच्चों को उस उम्र में केयरटेकर के पास दिनभर छोड़कर चले जाते हैं जब उन्हें सही परवरिश मिलना चाहिए। ऐसे में बच्चे धीरे-धीरे गलत राह पर पहुंच जाते हैं। लेकिन सुधा मूर्ति ने इस मामले में एक अनोखा उदाहरण पेश किया है।

सुधा मूर्ति ने दिए पेरेंटिंग टिप्स

सुधा मूर्ति के दो बच्चे हैं और उन्होंने खुद ही अपने बच्चों की परवरिश की है। साथ ही उन्होंने आज के पेरेंट्स को बच्चों को अच्छे से पालने के लिए कुछ टिप्स दिए हैं। ऐसे में उनकी पेरेंटिंग आज के पैरेंट्स के बहुत काम आ सकती है। उनकी पेरेंटिंग एडवाइस से आप अपने बच्चे को मॉडर्न के साथ-साथ ट्रेडिशनल सीख दे सकते हैं।

बच्चों को थोड़ा स्पेस दें

सुधा मूर्ति का मानना है कि बच्चों को थोड़ा फ्री छोड़ना चाहिए। हर रिश्ते की तरह बच्चों और पैरेंट्स के रिश्ते में भी एक-दूसरे के स्पेस का ध्यान रखना चाहिए। पैरेंट्स को अपने बच्चे के हर मामले में दखल नहीं देना चाहिए। उसे खुद अपने निर्णय लेना सीखाना चाहिए।

बच्चों पर अपनी मर्जी ना थोपे

बच्चों पर अपनी पसंद ना थोपे। कुछ भी फॉलो करने के लिए बच्चे के साथ जबरदस्ती न करें। इससे पहले उसके सामने उदाहरण सैट करें। अगर बच्चे को आपकी वो आदत पसंद आई, तो वो बिना आपके कहे उसे अपना लेगा। साथ ही उन्होंने बच्चों को आज की तड़क-भड़क से दूर सिंपल लिविंग सिखाने की सलाह दी हैं।

बेटे ने स्कॉलरशिप की रकम शहीदों के परिवार को दी दान

सुधा मूर्ति ने एक किस्सा सुनाते हुए बताया था कि, ‘एक बार उन्होंने अपने बेटे से कहा कि वो अपने जन्मदिन की पार्टी पर 50 हजार रुपए खर्च करने की बजाय एक छोटी पार्टी करे और बाकी के पैसे अपने ड्राइवर के बच्चों की पढ़ाई के लिए दे दे।

पहले तो उनके बेटे ने इसके लिए इनकार कर दिया लेकिन तीन दिन के बाद वो मान गया। फिर कुछ सालों बाद उनका बेटा अपनी स्कॉलरशिप लेकर खुद आया और बोला कि इन्हें 2001 में पार्लियामेंट अटैक में शहीद हुए जवानों के परिवारों की मदद में लगा दें।’

हर महिला के लिए प्रेरणा है सुधा मूर्ति

इस उदाहरण को देते हुए उन्होंने यह समझाने की कोशिश की है कि बच्चों को पैसा, दया, प्यार और आशा बांटने का विचार सिखाना बहुत जरूरी है। इससे वह हर किसी को एक बराबर समझते हैं। बता दें सुधा एक इंजीनियर, एक सामाजिक कार्यकर्ता के साथ देश में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक पद्म श्री से सम्मानित की जा चुकी हैं। सुधा मूर्ति आज हर एक महिला के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं हैं।

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