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स्ट्रॉबेरी की फसल उगाकर एक एकड़ में कमा सकते हैं 2.5 लाख तक का मुनाफा, इस तरह करें खेती

ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए किसान अब फलों और सब्जियों की खेती की ओर रुख करने लगे हैं। पिछले कुछ समय से हमारे देश में स्ट्रॉबेरी की खेती करने का चलन काफी तेजी से बढ़ा है। ऐसे में पहले की तुलना में अब मार्केट में भी स्ट्रॉबेरी की बिक्री बढ़ गई है।

धोनी भी कर रहे स्ट्रॉबेरी की खेती

अब बड़ी संख्या में किसान स्ट्रॉबेरी की खेती करने लगे हैं। ना सिर्फ किसान बल्कि इन दिनों तो कई युवा भी नौकरी छोड़ स्ट्रॉबेरी की खेती करने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। आम जनता की बात छोड़िये भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भी अपने खाली समय में स्ट्रॉबेरी की खेती कर अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं। आमतौर पर किसानों को स्ट्रॉबेरी की खेती करने की सही जानकारी नहीं होने की वजह से वे इसकी खेती नहीं कर पाते हैं। ऐसे में हम आपको स्ट्रॉबरी की खेती के जुड़ी हर जरूरी जानकारी दे रहे हैं।

कहां होती है स्ट्रॉबेरी की खेती

भारत में स्ट्रॉबेरी की खेती कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के ऊपरी हिस्सों में की जाती है। इसे पहाड़ी और ठंडे इलाकों में बोया जाता है। इन राज्यों के अलावा महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों में भी किसान अब स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं।

किस महीने में होती है खेती

सामान्य तौर पर स्ट्रॉबेरी की बुवाई सितंबर और अक्टूबर में की जाती है। लेकिन ठंडी जगहों पर इसे फरवरी और मार्च में भी बोया जा सकता है। वहीं पॉली हाउस में या संरक्षित विधि से खेती करने वाले किसान अन्य महीनों में भी बुवाई करते हैं। हालांकि, बेमौसम अगर पौधे को लगा दिया जाता है तो इसकी उपज में कमी आ सकती है।

इस तरह से तैयार करना पड़ता है खेत

स्ट्रॉबेरी की खेती से पहले सितंबर के पहले सप्ताह में किसानों को 3-4 बार रोटर से जुताई करा देना चाहिए। फिर गोबर का खाद खेत में डाल देने से किसानों को लाभ मिलता है। किसान रासायनिक खाद का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। ये सब करने के बाद खेत में बेड बनाना पड़ता है। बेड़ की चौड़ाई एक से दो फीट के बीच होती है और एक दूसरे से इतनी ही दूरी रखी जाती है। पौध लगाने के लिए प्लास्टिक मल्चिंग की जाती है और इसमें एक तय दूरी पर छेद कर दिया जाता है।

किसी तरह के केमिकल का नहीं होता इस्तेमाल

स्ट्रॉबेरी की खेती करने में किसी भी तरह के केमिकल का यूज नहीं किया। उन्होंने पूरी तरह से खेतों के लिए गोबर और जैविक खाद का इस्तेमाल किया। जब उन्होंने स्ट्रॉबेरी के पौधे की रोपाई की, उसके लगभग 25 दिनों के बाद ही सारे पौधों के नीचे पॉलिथीन बिछा दी, ताकि फल मिट्टी से ना लगे और उससे बचा रहे। अगर आप इन बातों का ध्यान रखते हुए स्ट्रॉबेरी की खेती करते हैं तो यह आपके लिए काफी लाभकारी साबित हो सकता है।

स्ट्रॉबेरी की किस्में

भारत में उगाई जाने वाली महत्वपूर्ण स्ट्रॉबेरी की किस्में- चांडलर, टियागा, टोरे, सेल्वा, बेलरूबी, फ़र्न और पजारो हैं। अन्य किस्मों में प्रीमियर, रेड कॉस्ट, लोकल ज्योलिकोट, दिलपसंद, फ्लोरिडा 90, कैटरीन स्वीट, पूसा अर्ली ड्वार्फ और ब्लेकमोर शामिल हैं।

एक एकड़ में लगाए जा सकते हैं इतने पौधे

स्ट्रॉबेरी को खेत में लगाने की दूरी कम से कम 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए। एक एकड़ में 22 हजार स्ट्रॉबेरी के पौध लगाए जा सकते हैं। इसमें फसल के अच्छे होने की संभावना रहती है। फलों को उनके वजन, आकार और रंग के आधार पर बांटा जाता है। फलों को कोल्ड स्टोरेज में 32 डिग्री सेल्सियस पर 10 दिनों तक स्टोर किया जा सकता है।

कितनी होती है कमाई

जानकारी के मुताबिक, एक एकड़ स्ट्रॉबेरी की खेती से किसानों को करीब 2.5 लाख रुपये का मुनाफा हो रहा है। यानी अगर आपके पास 5 एकड़ भी खेत है तो आप करीब 12-13 लाख रुपये कमा सकते हैं।

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