विशेष

ईमानदारी की मिसाल: 25 साल पुरानी उधारी चुकाने के लिए आंध्रप्रदेश से सूरत पहुंचे बाप-बेटे

दुनिया में एक अच्छे इंसान बनने के लिए एक व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व को सबसे उत्कृष्ट बनाना जरूरी होता है और उसे सबसे उत्कृष्ट व्यक्ति बनाती है उसकी ‘इमानदारी’। कहा जाता है कि यदि किसी इंसान के पास इमानदारी है तो फिर उससे अच्छा इंसान इस दुनिया में कोई नहीं। लेकिन अब समय बदल चुका है, ईमानदारी जैसी अच्छाइयां अब कम ही लोगों में देखने को मिलती है। मार्केट में अक्सर धोखाधड़ी के मामले सामने आते रहते हैं।

कई लोग होते हैं जो उधार पैसे ले लेते हैं लेकिन ताउम्र उन्हें चुकाते नहीं है। ऐसे में उधार पैसे देने वाला व्यक्ति अपने पैसे वापस लेने के लिए गिड़गिड़ाता रहता है, लेकिन फिर भी उसे अपने पैसे वापस नहीं मिलते हैं। इसी बीच आज हम आपको बताने जा रहे हैं आंध्रप्रदेश से जुड़ा एक ऐसा मामला जहां पर एक शख्स अपने बेटे के साथ अपनी 25 साल की उधारी चुकाने के लिए सूरत पहुंचा। आइए जानते हैं यह दिलचस्प मामला क्या है?

surat kapda mandi

जैसा कि कई व्यापारी ऐसे होते हैं जो उधार देने के बाद अपने पैसों के लिए ग्राहक के घर और ऑफिस के चक्कर लगाते रहते हैं और जल्दी से जल्दी अपना पैसा लेना चाहते हैं। लेकिन दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश स्थित विजयवाड़ा कपड़ा मंडी के एक 75 वर्षीय व्यापारी अपने बेटे के साथ 25 साल पहले लिए रुपयों को लौटाने के लिए सूरत पहुंचा।

रिपोर्ट की मानें तो इन दोनों बाप बेटे ने सूरत में व्यापारियों से लिए हुए करीब 12 लाख रुपए की उधारी चुकाई। खास बात यह है कि इस शख्स ने जिन लोगों से पैसे लिए थे वह लोग तो अब अपनी उधारी भी भूल चुके थे और उन्हें याद नहीं था कि किसी शख्स को उन्होंने

इतने पैसे भी दिए थे, लेकिन जब यह शख्स अपनी उधारी चुकाने आया तो वे खुद भी दंग रह गए और उन्होंने शख्स के मुताबिक ही अपने पैसे ले लिए, क्योंकि उन्हें यह आंकड़ा भी नहीं पता कि उन्होंने उधारी में कितने पैसे दिए थे।

surat kapda mandi

बता दें, सूरत कपड़ा मार्केट में इस शख्स की इमानदारी की चर्चा हो रही है। कपड़ा व्यापारी का नाम चंद्रशेखर राव बताया जा रहा है जिन्होंने 1997 में सूरत के कुछ व्यापारियों से उधार कपड़े लिए थे। लेकिन साल 1998 में उन्हें घाटा हो गया, ऐसे में वह दुकान बंद करके यहां से चले गए।

हालांकि घाटा होने के बाद चंद्रशेखर राव ने हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने एक बार फिर अपने व्यापार को खड़ा करने की हिम्मत जुटाई। इसके बाद उन्होंने बेंगलुरु, बनारस कपड़ा मंडी की प्योर सिल्क का कारोबार किया और वह वापस अपने व्यापार में सफल हो पाए।

चंद्रशेखर राव ने बताया कि वह करीब 3 से 4 साल पहले ही बकाया राशि चुकाने के लिए सूरत पहुंचने वाले थे, लेकिन कोविड-19 और लॉक डाउन की वजह से वह अपनी उधारी चुकाने नहीं आ पाए।

25 साल बाद चंद्रशेखर अपने बेटे शेखर राव के साथ बीते बुधवार को सूरत कपड़ा मंडी पहुंचे और उन्होंने उन सारे व्यापारियों की उधारी चुका दी जिनके उन्हें पैसे देने थे। आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे कि, चंद्रशेखर को जिनके पैसे देने थे उनमें से एक व्यापारी की तो मृत्यु भी हो गई है। हालांकि फिर भी चंद्रशेखर ने जिन जिन से पैसे लिए थे उन सारे व्यापारियों के पैसे वापस कर दिए।

surat kapda mandi

वहीं सूरत कपड़ा मंडी में श्रीसालसर कपड़ा बाजार स्थित अभिनंदन टैक्सटाइल मार्केट के बकायदा कपड़ा व्यापारी ओथमल जैन ने बताया कि, “सच में मुझे तो यह भी याद नहीं था कि मेरी कितनी रकम बाकी थी, उन्होंने ही मार्केट में दुकान पर आकर मुझे पूरा याद दिलाया। उधारी रकम का यहीं हाल अन्य कपड़ा व्यापारियों का भी जानने को मिला है, किसी के पास इतने पुराने कागज भी नहीं बताए हैं।” लेकिन शख्स ने अपनी सारी उधारी चुका दी।

Related Articles

Back to top button