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योगी की सीट पर खड़े हुए थे भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर रावण, करारी हार के साथ जमानत भी जब्त

बीते दिनों आए पांच राज्यों के चुनाव परिणामो में से चार राज्यों पर भारतीय जनता पार्टी ने बहुमत हासिल कर अपना दबदबा बना लिया है। इनमें से सबसे ज्यादा बहुमत भाजपा को उत्तर प्रदेश में मिला है। उत्तर प्रदेश में जनता ने एक बार फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रदेश की कमान सौंपने का मौका दिया है।

योगी के खिलाफ लड़ा था चुनाव

प्रदेश में प्रचंड बहुमत से चुनाव जीतने के बाद अब एक बार फिर योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे। इसी के साथ योगी उत्तर प्रदेश के इतिहास में पहले ऐसे मुख्यमंत्री होंगे जो कि देश की आजादी के बाद दोबारा जनता के द्वारा नियुक्त किए गए हो। बात करें योगी आदित्यनाथ की तो उन्होंने गोरखपुर सदर सीट से चुनाव लड़ा था जिसमें जनता ने उन्हें एक लाख वोटों से जीताया। इस सींट पर योगी आदित्य नाथ के साथ आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने चुनाव लड़ा।

चंद्रशेखर भले ही इस सीट पर योगी से हार गए हो लेकिन फिर भी उन्हें मीडिया ने खुब सुर्खियों में रखा। इस सीट पर समाजवादी पार्टी से सुभापति शुक्ला ने भी कम सुर्खिया नहीं बटौरी। चुनाव आयोग के द्वारा जारी किए गए आंकड़ो को देखा जाए तो गोरखपुर सदर सीट से सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक लाख वोटों से अपनी जीत दर्ज की है। जबकि योगी के बाद इस सीट पर सपा गठबंधन के नेता सुभापति शुक्ला कों 47232 वोट मिले। और इस सीट पर तीसरे नंबर पर बसपा के उम्मीदवार रहे और चौथे नंबर पर चंद्रशेखर आजाद रहे। इस सीट पर चौथे नंबर पर रहने के बाद भी मीडिया में चंद्रशेखर की बाते हो रही है।

सबसे कम वोट पाकर भी सुर्खियों में चंद्रशेखर

आपको बताते हैं कि आखिर ऐसा क्यों दरअसल चंद्रशेखर आजाद को महज 6139 वोट मिले है। इसके साथ चंद्रशेखर की जमानत तक जब्त हो गई है। इस सीट पर चुनाव लड़ने से पहले चंद्रशेखर ने काफी बड़े-बड़े दावे किए थे। उन्होंने कहा कि था कि आजाद समाज पार्टी यूपी में बड़ी ताकत बनेगी औऱ हमारे बिना सरकार नहीं बनेगी। लेकिन उनकी हार के बाद अब उनके ये सारे दावे ऐसे ही रह गए हैं।

इन खबरों में छाए थे चंद्रशेखर

चंद्रशेखर के बारे में आपको बता दें कि उन्होंने साल 2015 में उन्होंने भीम आर्मी भारत एकता मिशन का गठन किया गया था। जिसके बाद साल 2017 में शब्बीरपुर गांव में जातीय हिंसा पर विरोध प्रदर्शन कर सुर्खियां बटौरी थी। इसके लिए उन्हें जेल में भी जाना पड़ा था। इसके बाद जेल से रिहा होने के बाद चंद्रशेखर ने दलितों के खिलाफ होने वाले मामलों में कार्रवाई की मांग उठाई। इसके अलावा भी कई मुद्दों पर चंद्रशेखर ने अपनी आवाज को बुलंद रखा। चंद्रशेखर की इसी बुलंद आवाज के चलते अक्सर ही वे मीडिया में चर्चा का विषय बनते रहे हैं।

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