इस साल होलिका दहन पर रहेगा भद्रा का साया, माना जाता है इसे अशुभ, जानें कारण और शुभ मुहूर्त

हर साल फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन का त्योहार मनाया जाता है। इसके बाद चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि को होली का रंगोत्सव होता है। इस बार होलिका दहन 17 मार्च 2022 को है फिर उसके एक दिन बाद 18 मार्च को होली खेली जाएगी।
होलिका दहन पर भद्रा का साया
17 मार्च को होलिका दहन शाम को गोधूलि बेला में नहीं हो पाएगा और इसके लिए लोगों के पास सिर्फ रात का ही समय रहेगा। दरअसल, पंचांग के अनुसार इस बार होलिका दहन भद्रा का साया है जिसके कारण इस साल होलिका दहन मध्य रात्रि को किया जाएगा।
रात 1 बजे तक रहेगी भद्रा
होलिका दहन के दिन भद्रा का साया रहेगा। 17 मार्च को भद्रा दोपहर 01:30 बजे से मध्य रात्रि 01:13 बजे तक रहेगी। चूंकि होलिका दहन भद्रा रहित होना चाहिए, इस कारण होलिका दहन का शुभ मुहूर्त भद्रा के बाद मध्य रात्रि में होगा।
भद्रा में क्यों नहीं किया जाता होलिका दहन
शास्त्रों के अनुसार, भद्रा को अशुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि भद्रा के स्वामी यमराज होते हैं। इसलिए इस योग में कोई भी शुभ काम करने की मनाही होती है। वहीं, भद्रा पुंछ में होलिका दहन किया जा सकता है, क्योंकि इस समय भद्रा का प्रभाव काफी कम होता है और व्यक्ति को दोष भी नहीं लगता।
कौन हैं भद्रा?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भद्रा भगवान सूर्य की पुत्री और शनिदेव की बहन है। ऐसे में उनका स्वभाव बिल्कुल शनिदेव की तरह ही है। इन्हें कोध्री स्वभाव का माना जाता है। इसी कारण इस स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए भगवान ब्रह्मा ने काल गणना में एक प्रमुख अंग में विष्टि करण को जगह दी है। कहा जाता है कि भद्रा हर समय तीनों लोक का भ्रमण करती रहती हैं। इसलिए जब पृथ्वी में भद्रा होती है तो उस समय किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
इस तारीख तक रहेंगे होलाष्टक
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक शुरू हो जाते हैं और होलिका दहन के साथ खत्म होते हैं। इस साल होलाष्टक 10 मार्च से शुरू हो गए है जो कि 17 मार्च को अंत होंगे। माना जाता है कि होलाष्टक के दौरान अगर कोई व्यक्ति मांगलिक कार्य करता है तो उसे कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। होलाष्टक के समय को शुभ नहीं माना जाता है इसलिए इस दौरान कोई मांगलिक कार्य नहीं किया जाता।
होलिका दहन मुहूर्त- 17 मार्च शाम 06:32 मिनट से रात 08:57 मिनट तक
भद्रा मुख- 17 मार्च रात 1:20 मिनट से 18 मार्च सुबह 12:57 मिनट तक
भद्रा पुंछ- 17 मार्च रात 09:04 मिनट से 10:14 मिनट तक