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क्लोजर रिपोर्ट में पुलिस ने लिखी थी अर्नब के बेगुनाह होने की बात, लेकिन 2 साल बाद फिर खोला ये केस

रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन चीफ अर्नब गोस्वामी पर इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक की हत्या का आरोप लगा है। इस केस में अर्नब गोस्वामी को हाल ही में महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक ने साल 2018 में आत्महत्या कर ली थी और अपनी आत्महत्या के लिए अर्नब गोस्वामी सहित दो लोगों को जिम्मेदारी ठहराया था। हालांकि साल 2018 में इस केस की जांच की गई थी और इसमें अर्नब गोस्वामी को बेगुनाह माना गया था। साल 2019 में ये केस बंद हो गया था। लेकिन अब फिर से पुलिस ने इस बंद केस को खोला है और अर्नब को गिरफ्तार किया है।

क्लोजर रिपोर्ट में बताया गया था बेकसूर

साल 2019 में इस केस की क्लोजर रिपोर्ट में अर्नब गोस्वामी व अन्य दो लोगों को बेकसूर बताया गया था। रिपोर्ट में लिखा गया था कि अन्वय नाइक को इन लोगों से पैसे लेने थे। अन्वय नाइक ने अपनी जान ले ली थी। क्योंकि वो छह या सात सालों से वित्तीय संकट में थे। इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के अनुसार इस केस की क्लोजर रिपोर्ट इंस्पेक्टर सुरेश वरडे ने तैयार की थी। जिसमें उन्होंने लिखा था कि आत्महत्या के लिए उकसाने के कोई सबूत नहीं मिले थे और अन्वय नाइक ने अपनी जान खुद ली थी। अन्वय ने पहले अपनी मां का गला घोंट दिया था और फिर अपनी जान दे दी थी।

अन्वय ने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा था। जिसमें आरोप लगाया था कि Icastx Technologies Private Limited को अर्नब गोस्वामी,  फिरोज शेख और नितेश सारदा से 5.4 करोड़ रुपये लेने थे। लेकिन इन्होंने पैसे नहीं दिए। जिसके कारण वो आत्महत्या करने पर मजबूर हुए। सुसाइड नोट सामने आने के बाद अलीबाग पुलिस ने तीनों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया था। लेकिन इस केस में ये दोषी नहीं पाए गए थे।

दरअसल पुलिस ने अपनी छानबीन में पाया था कि शेख और सारदा पर अन्वय का बकाया था। लेकिन ये पैसे इसलिए उन्हें नहीं दिए गए थे। क्योंकि अन्वय ने काम सही से नहीं किया था और काम को अधूरा छोड़ दिया था। वहीं अर्नब ने अपने बयान में कहा था कि मैं लेन-देन पर बारीकियों से नजर नहीं रख रहा था। मुझे लग रहा है कि 21 अक्टूबर, 2017 को हमने भुगतान किया था और 85 से 90 प्रतिशत भुगतान किया गया था। बाकी पेमेंट काम देखने के बाद की जानी थी।

क्लोजर रिपोर्ट में लिखा गया था कि अर्नब गोस्वामी पर 83 लाख रुपये का बकाया था। अर्नब गोस्वामी के बयान के अनुसार निर्धारित समय के दौरान कार्यालय परिसर में काम पूरा नहीं हुआ था। काम की गुणवत्ता भी असंतोषजनक नहीं थी और न्यूज रूम में पानी लीक हो रहा था। जिसके कारण उन्हें पूरे पैसे नहीं दिए गए थे।

वहीं दो साल बाद इस बंद केस को फिर से खोला गया है और इस केस में अर्नब को फंसाने की कोशिश की गई है। अर्नब इस समय न्यायिक हिरासत में है और इन्होंने जमानत की अर्जी दी है। जिसपर अभी सुनवाई होनी है।

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