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बचपन में हो गया लड़की होने का एहसास, अब बिहार का छोरा मुंबई की गोरी छोरी बन मचा रही है धमाल

समाज में अक्सर कई वर्ग के लोगों को अपने हक की लड़ाई लड़ना पड़ता है। ऐसे ही जब ट्रांसजेंडर समुदाय की फरियाद सुनने वाला कोई नहीं था तब बॉलीवुड इंडस्ट्री में नाम-पहचान और समाज में सम्मान के लिए ट्रांसक्वीन नव्या सिंह ने अपनी आवाज बुलंद की थी।

बिहार के कटिहार में नव्या सिंह का जन्म एक सिख परिवार में हुआ था। नव्या सिंह जन्म से ही लड़का थीं। लड़के के शरीर में पैदा हुईं नव्या को गुजरते समय के साथ एहसास हुआ कि उनकी आत्मा एक लड़की की है। जैसे-जैसे वक्त गुजरता गया औरों से खुद को अलग फील करने लग गई। इसे लेकर काफी ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ा। धीरे-धीरे जब वह बड़ी हो रही थी, तब उनका व्यवहार लड़कियों जैसा होने लगा था। बड़े होने के साथ लोग उनका मजाक उड़ाने लगे। उस समय नव्या समझ नहीं पाती थी कि लोग मेरा मजाक क्यों उड़ा रहे हैं।

नव्या ने एक इंटरव्यू के दौरान अपने लड़के से लड़की बनने तक के सफर के बारे में बताया। नव्या ने कहा कि, ‘समय के साथ जैसे-जैसे में वह बड़ी होती गईं उनका बर्ताव लड़कियों की तरह होने लगा, जिसकी वजह से उनका मजाक भी उड़ता था। मुझे पहली बार 12 साल की उम्र में यह एहसास हुआ कि मैं लड़की हूं। अपने मां-बाप के साथ कहीं जाने पर मेरे सामने ही लोग मेरा मजाक उड़ाते थे। जिससे मेरे मां-बाप को शर्मिंदगी भी झेलनी पड़ी। मेरा लड़कियों की तरह रहना मेरे पिता को बिल्कुल भी पसंद नहीं था। इसलिए शुरुआत में वह मेरा बिल्कुल भी समर्थन नहीं करते थे। लेकिन मेरी जिंदगी में मेरी मां ने हमेशा मेरा सपोर्ट किया।’

नव्या ने बताया, बिहार के एक छोटे से गांव से हूं, तब उस वक्त वहां पर इतना ज्यादा एक्सेप्टेशन नहीं थी। करीब 14-15 साल की उम्र में एक बार जब में एक दिन मां के साथ बैठी थी। मां से कहा कि मम्मा! आपसे कुछ कहना चाहती हूं। मैं इस बॉडी में खुश नहीं हूं। मैंने हमेशा से फील किया है कि एक लड़की हूं। मेरा यह शरीर मेरी आत्मा को मैच नहीं करता है। मैं लड़की बनकर अपनी जिंदगी जीना चाहती हूं। तब मेरी मां ने कहा- बेटा! बातें करना तो बहुत अच्छा लगता है, पर जब तुम इस चीज को कंप्लीट करने जाओगी, तब संघर्ष करना पड़ेगा और इसमें तुम्हारा कोई साथ नहीं देगा। शायद तुम्हारे अपने भी तुम्हारा साथ छोड़ देंगे। जब मेरे पिता को यह बात पता चली तो वह सदमे में चले गए। उन्होंने काफी दिनों तक मुझसे बात नहीं की।’

नव्या ने आगे बताया , ‘बाद में मैं अपने माता- पिता को मुंबई लेकर आई। जहां डॉक्टर ने दोनों की काउंसलिंग की। इस काउंसलिंग के बाद डॉक्टर के कमरे से बाहर आते ही पापा ने मुझे गले लगा कर कहा तुम चाहे लड़का हो या लड़की, तुम बस मेरे बच्चे हो। उस समय मेरे लिए यह सबसे खुशी की बात यह थी कि उन्होंने मुझे स्वीकार कर लिया था।’

नव्या कहती हैं कि, ‘किसी के लिए भी सबसे कठिन समय तब होता है जब उसे खुद की पहचान से जिंदगी में लड़ाई लड़नी होती है। खुद को खुद से पहचानने की कोशिश ही जिंदगी की सबसे बड़ी लड़ाई है। अगर आप इस लड़ाई से जीत जाते हैं तो आप जिंदगी के खिलाड़ी कहलाते हैं।’

नव्या कहती हैं कि मुझे 2016 में इंडिया की लीडिंग मैगजीन से पहला काम बतौर मॉडल ऑफर हुआ था। उसके बाद धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी, तब सावधान इंडिया में ट्रांस वुमेन मोना का लीड रोल मिला। आगे बढ़ते-बढ़ते एक वक्त ऐसा आया, जहां 2017 में मिस ट्रांसक्वीन इंडिया ब्यूटी पीजेंट के बारे में मुझे पता चला। ऑडिशन दिया। यह इंडिया का एकमात्र ट्रांस वुमेन ब्यूटी पीजेंट है, जो पहली बार किया गया। इस पीजेंट में पार्टिसिपेट किया, तब टॉप-5 प्रतिभागी बनी। इन लोगों ने मिस ट्रांसक्वीन का ब्रांड एम्बेसडर बना दिया, जो पिछले चार सालों से इसकी ब्रांडिंग कर रही हूं।

बता दें नव्या सेक्स रैकेट पर आधारित एक बायोपिक फिल्मों में भी काम कर चुकी है। वह देश की पहली ऐसी ट्रांसवुमन हैं जो फिल्म में आइटम नंबर करती दिखाई दी है। वह कई बार ट्रांसवुमेन के हक़ के लिए आवाज उठा चुकी हैं।

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