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गौमाता के लिए दान कर दी अपनी करोड़ों की जमीन, खुद झोपडी में रहता है राजस्थान का ये परिवार

कहते हैं कि किसी की मदद करने के लिए अधिक पैसों की जरूरत नहीं बल्कि इंसान का दिल बड़ा होना चाहिए। अगर इंसान की नियत साफ हो तो वह किसी भी रूप में मदद कर सकता है। एक ऐसा ही मामला राजस्थान में आदिवासी बाहुल्य जिले डूंगरपुर से आया है जहां एक दंपति ने अपनी करोड़ों की संपत्ति दान में दे दी। कहा जा रहा है कि, यह दंपति खुद झोपड़ी में निवास करता है लेकिन गायों के प्रति अधिक प्रेम होने के चलते इस दंपत्ति ने गौशाला बनवाने के लिए करीब 1 करोड़ से भी ज्यादा की जमीन दान करने का फैसला किया है। इसके बाद से ही इस जोड़े की खूब तारीफ की जा रही है और यह दंपति इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। आइए जानते हैं इस परिवार के बारे में…

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खबरों के मुताबिक, डूंगरपुर जिले के बिछीवाड़ा में रहने वाले प्रेम जी पांचाल नाम के एक व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ कथा सुन रहे थे। इस दौरान दंपति को जगदीश गोपाल महाराज के द्वारा गाय की कथा सुनाई जा रही थी, जिसे सुनकर उनके मन में गायों के प्रति के अधिक प्रेम जाग उठा और उन्होंने गौशाला स्थापना करने का फैसला कर लिया। कहा जा रहा है कि, इस दंपति ने करीब 2 घंटे कथा सुनी। प्रेम जी पांचाल ने अपनी पत्नी के साथ कथा सुनने के तुरंत बाद ही इच्छा जताई कि, नेशनल हाईवे-8 पर चुंडावाड़ा मोड के पास स्थित उनकी 6 बीघा जमीन है, जिसमें से वह अपनी 2 बीघा जमीन गौशाला बनवाने के लिए दान में देना चाहते हैं।

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चूंकि, इस दंपति की जमीन हाईवे के नजदीक है। ऐसे में इस जमीन की कीमत करीब 2 करोड़ रुपए से भी अधिक बताई जा रही है। लेकिन दंपति ने बिना झिझक के अपनी यह करोड़ों की संपत्ति दान में दे दी। वहीं जब प्रेम जी पांचाल के बहु-बेटे और अन्य लोगों को इस बारे में जानकारी हुई तो उन्होंने दंपति का साथ दिया और उनके काम की सराहना की।

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खबरों के मुताबिक, इस परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इतना ही नहीं बल्कि इस दंपति के पास एक अच्छा मकान भी नहीं है। यह सारा परिवार झोपड़ी में निवास करता है। ऐसे में दंपति ने अपनी करोड़ों की जमीन दान कर दी जिसके चलते वह लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं और हर कोई उनके इस फैसले की तारीफ कर रहा है। गौरतलब है कि, सरकार भी अब गौ संरक्षण और संवर्धन के लिए नई-नई योजनाएं ला रही है,  ताकि गायों का पालन पोषण अच्छे से हो सके और वे इधर उधर न भटके।

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