अजब ग़जब

यहां गधे पर बैठ कर दामाद घूमते हैं पूरा गांव, सालों से चल रही होली की ये अजीबोगरीब परंपरा 

भारत त्योहारों का देश हैं और यहां हर त्योहार ही बड़ी धूमधाम से बनाया जाता हैं। ऐसे में जब बात करें होली की तो यह तो यहां के लोगों का सबसे ज्यादा पसंदीदा त्योहार होता है। होली को लेकर यूं तो कई अलग अलग परंपराओं का पालन किया जाता हैं। लेकिन जो सबसे ज्यादा मानी जाती हैं। वह यह होती हैं कि होली से एक रात पहले होलिका दहन किया जाता हैैं, उसके बाद अगले दिन लोग रंग, गुलाल से एक दूसरे को रंग कर इस त्योहार को एंजोय करते हैं।

इसके अलावा भी होली को लेकर कई तरह की प्रथाएं हैं। जैसे कहीं पर होली के दिन लठ मारने का रिवाज हैं। जिसे लठ मार होली भी कहते हैं। इसी तरह एक गांव में होली को लेकर अजीबोगरीब परंपरा हैं। जो कि हर किसी के होश उड़ा देने वाली हैं। इस गांव में परंपरा हैं कि होली के दिन यहां पर गांव के नए नवेले दामादों को गधे पर बैठाया जाता हैं। सिर्फ यहीं नहीं यहां पर दामाद को पूरे गांव में गधे पर बैठा कर घुमाया भी जाता हैं।

90 सालों से चल रही यह परंपरा

इस अजीबोगरीब प्रथा के बारे में जानने के बाद कई दामाद तो गांव में आना ही बंद कर देते हैं। जानकारी के मुताबिक गांव की यह अजीबोगरीब होली की परंपरा पिछले 90 से भी ज्यादा सालों से मनाई जा रही हैं। इस अनोखी प्रथा वाला यह गांव महाराष्ट्र में हैं। महाराष्ट्र के बीड जिले के विदा नाम के इस गांव में ही दामाद को गधे की सवारी कराने का अनोखा रिवाज हैं।

कहा जाता हैं कि इस रस्म कि तैयार गांव के लोग काफी दिन पहले से ही करने लग जाते हैं। लोग तीन चार पहले ही गांव के नए दामादों को खोज लेते हैं। साथ ही वह लोग दामाद पर नजर भी बनाए रखते हैं। ताकि वे इस रस्म से भाग ना जाए। होली से पहले नए नवेले दामादों को गांव से बाहर भी नहीं जाने देते हैं।

ऐसे हुई थी शुरुआत

इस अनोखी परंपरा के बारे में जानकारी देते हुए यहां के स्थानिय लोगों ने बताया कि इस अनोखे रिवाज को गांव के आनंदराव देशमुख नाम के एक निवासी ने शुरु किया था। देशमुख गांव के बहुत ही प्रतिष्टीत व्यक्ति थे। गांव में उनका बहुत सम्मान था। इस अनोखी प्रथा की शुरुआत भी आनंदराव के दामाद से हुई थी और तब से यह प्रथा अब तक जारी है।

बताया जाता हैं कि होली के दिन नए नवेले दामादों को गधे पर बैठा कर गांव के बीचोंबीच से सवारी शुरू की जाती है। जिसके बाद यह 11 बजे तक गांव के हनुमान मंदिर पर समाप्त होती है। इस परंपरा के बाद दामाद को उनके मनपसंद कपड़े भी गिफ्ट किए जाते हैं।

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