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यूक्रेन में एक तरफ लोग छोड़ रहे देश, तो दूसरी तरफ बुक हो रहे होटलों में कमरे, जानें वजह

यूरोप के दो बड़े देशों रूस और यूक्रेन में आज भी जंग थमने का नाम नहीं ले रही हैं। 21 दिनों की जंग के बाद भी इस युद्ध को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। ऐसे में यूक्रेन से लोगों ने पलायन करना भी शुरु कर दिया हैं। अब तक यहां से करीब लाखों लोगों ने दूसरे देश में जाकर शरण ले ली हैं।

लोगों के पलायन करने के बीच एक ऐसी खबर सामने आ रही हैं, जो कि सबको हैरान कर रही हैं। बताया जा रहा हैं कि एक और जहां लाखों लोग यूक्रेन से पलायन कर रहे हैं तो वहीं इस समय यूक्रेन के हॉटेल के रुम्स की बूकिंग भी काफी तेजी से हो रही हैं। एक ताजा जानकारी के मुताबिक 61 हजार से ज्यादा लोग अपने लिए रुम्स बुक कर चुके हैं।

इसलिए रूम  कर रहे बुक

असल में यूक्रेन की एक वेकेशन रेंटल कंपनी ऐरबंब ने बताया है कि उसकी साइट पर पर लिस्टेड रूम्स की बुकिंग में भारी उछाल देखने को मिल रहा है। इस वेबसाइट के मुताबिक दो से तीन दिन में ही युद्ध भूमि यूक्रेन में 61, 000 से ज्यादा रुम बुक कर लिए गए हैं। इसकी वजह का खुलासा करते हुए आपको बता दें कि यहां पर रुम्स की बुकिंग लोगों के द्वारा नहीं बल्कि फंसे होटल और छोटे-छोटे होम स्टे चलाने वाले परिवारों की मदद के लिए किया जा रहा है।

ऐसे हुई इस नेक काम की शुरुआत

इन छोटे छोटे होटल और स्टे रुम को चलाने वालों को आर्थिक रुप से मदद करने के लिए इनके रुम को बुक किया जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक इन दो से तीन दिन में की गई बुकिंग पर ही 1.9 मिलियन रुपए खर्च किए जा चुके हैं। इन लोगों की मदद के लिए चल रही इस नई पहल की शुरुआत कुछ इस तरह हुई कि सोशल मीडिया पर एक यूजर ने पोस्ट करते हुए लिखा कि उसने और उसके पति ने उन शहरों में रुम की बुकिंग की जो चारों तरफ से घिर चुके थें यहां रह रहे लोग वो थे जो संकट में फंसे हैं।

कंपनी ने भी उठाया बड़ा कदम

इस पोस्ट को पढ़ने के बाद कई लोग इससे इंसपायर हुए और उन्होंने भी इस तरह बुकिंग कर सोशल मीडिया पर पोस्ट करना शुरु कर दिया। रुम की बुकिंग के जरीए वहां फंसे लोगों तक तुरंत पैसे पहुंच पाएं। लोगों की इस नेक भावना को देखने के बाद इस वेबासाइट की ओर से भी बड़ा कदम उठाया गया। इन लोगों से प्रेरित होकर वेबसाइट से बुकिंग पर लगने वाले फीस कैंसल कर दी है। जिससे लोगों के रुम बुक करने के पैसे सीधे जरुरमंदों तक ही पहुंचेंगे।

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