जानिये कहाँ है कश्मीर फाइल्स का बिट्टा कराटे, PoK से लौट कर सबसे पहले की जिगरी दोस्त की हत्या
‘कश्मीरी पंडितों का कसाई’ बिट्टा कराटे, ऐसे पड़ा नाम, सबसे पहले जिगरी दोस्त को उड़ाया
फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने इस बात को भी उजागर कर दिया है कि पाकिस्तानी बहकावे में आकर कैसे मजहब के नाम पर लोगों ने अपने दोस्तों, पड़ोसियों और हमसायों पर बेहरमी से अत्याचार ढाया फिर उनका कत्ल कर दिया। यहां एक बात गौर करने वाली है कि कश्मीर ही भारत का एक मात्र राज्य है जिसका प्राचीन काल से आज तक नाम नहीं बदला। प्राचीन लेखक कल्हण के साहित्य में भी कश्मीर का जिक्र है। एक खास बात और है कि कश्मीर के जितने भी मुसलमान है उनमें लगभग सब हिंदू से धर्म परिवर्तन कर मुसलमान बने हैं और पाकिस्तान के जहर घोलने से पहले तक सब आपस में सौहार्द से रह रहे थे।
लेकिन पाकिस्तान ने ऐसा जहर बोया कि जो लोग वास्तव में अपने थे उन्हीं पर ये लोग जुल्म ढाने लगे। ऐसा ही एक नाम था फारुख अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे जिसने मजबह के नशे में जब पहली बार बंदूक उठाई तो सबसे पहले अपने जिगरी दोस्त सतीश को सरेआम गोलियों से भून दिया। इस पूरी घटना के बारे में और आजकल बिट्टा कराटे कहां इस बारे में आपको आगे बताते हैं।
‘कश्मीरी पंडितों का कसाई’
बिट्टा कराटे यानी फारुख अहमद डार वह शख्स है जिसे ‘कश्मीरी पंडितों का कसाई’ कहा जाता था। कश्मीर घाटी में हथियार उठाने वालों की शुरुआती लिस्ट में बिट्टा का नाम आता है। जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) का हिस्सा बनने के बाद बिट्टा कराटे ने कश्मीरी पंडितों का जमकर खून बहाया। उसने पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर (PoK) जाकर आतंकी ट्रेनिंग ली। 1990 में जब घाटी से पलायन शुरू हुआ तो उसके पीछे बिट्टा का खौफ बड़ी वजह थी। उसने कैमरे पर कबूला कि कैसे उसने कश्मीरी पंडितों की हत्या की और ऐसा करने के लिए उसे टॉप कमांडर्स से ऑर्डर मिले थे।
ऐसे पड़ा बिट्टा कराटे नाम
फारुख अहमद डार को उसके दोस्त बिट्टा बुलाते थे। बिट्टा आतंकी बनने से पहले कराटे का खिलाड़ी था। इसलिए जब वह आतंक की दुनिया में आया तो साथियों ने उसे बिट्टा कराटे बुलाना शुरू कर दिया। पहले पुश्तैनी काम में हाथ बंटाया फिर रेडिकलाइज होकर आतंकियों के साथ मिल गया। कश्मीर में अपने नाम का खौफ पैदा करने में बिट्टा को ज्यादा वक्त नहीं लगा। जिस समय घाटी में हिंदुओं का नरसंहार हो रहा था, बिट्टा JKLF का एरिया कमांडर था।
सबसे पहले जिगरी दोस्त को उड़ाया
पाकिस्तान से आतंकवाद की ट्रेनिंग लेकर लौटे बिट्टा कराटे ने कश्मीरी हिंदुओं के बीच खौफ और आतंक पैदा करने के लिए सबसे पहले अपने जिगरी दोस्त और नौजवान कारोबारी सतीश कुमार टिक्कू को मौत के घाट उतारा। बिट्टा कराटे ने अपने दोस्त सतीश को उसके घर के सामने ही गोलियों से भून दिया था। कई मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि उसके बाद बिट्टा श्रीनगर की सड़कों पर पिस्टल लेकर घूमा करता था और कश्मीरी हिंदू नजर आते ही पिस्टल निकालकर मार देता था। 1991 के एक टीवी इंटरव्यू में उसने ’20 से ज्यादा कश्मीरी हिंदुओं की हत्या’ की बात खुद कबूली थी। उसने यह भी कहा था कि ‘हो सकता है 30-40 से ज्यादा हिंदू मारे हों।’
1990 में हुआ गिरफ्तार, फिर रिहा
कश्मीरी पंडितों के घाटी छोड़कर भागने के बाद, 22 जनवरी 1990 को सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने फारुख अहमद डार को श्रीनगर से अरेस्ट किया। उस वक्त उसपर 20 मुकदमे चलाए गए। अगले 16 साल बिट्टा ने हिरासत में ही गुजारे। 2006 में उसे TADA कोर्ट से जमानत मिल गई। बिट्टा को रिहा करते समय अदालत ने टिप्पणी की थी कि अभियोजन पक्ष पर्याप्त सबूत देने में नाकामयाब रहा। बिट्टा जब रिहा होकर गुरु बाजार पहुंचा तो उसका जोरदार स्वागत हुआ था। उसपर फूलों की बारिश की गई। कुछ साल में वह JKLF का चीफ बन गया।
2019 में NIA ने पकड़ा
2019 में JKLK को बैन कर दिया गया। बिट्टा कैमरे पर यह कबूलते पकड़ा गया कि उसे और बड़े अलगाववादी नेताओं को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से अच्छी-खासी रकम मिली ताकि वे घाटी में आतंक फैला सकें। उसके बाद बिट्टा नैशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) के रडार पर आ गया। मार्च में NIA ने बिट्टा कराटे समेत कई अलगाववादियों को गिरफ्तार कर लिया। तब से वह जेल में है।