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मरने के बाद भी ये शख्स कइयों को दे गया नया जीवन, अंगदान कर उमेश ने बचाई 6 लोगों की जान

अंगदान जीवन के लिए उपहार के समान है। अंगदान को महादान माना जाता है। अंगदान करके हम किसी भी जरूरतमंद के जिंदगी को बचा सकते हैं। समाज के लिए अंगदान किसी चमत्कार से कम नहीं है। इंसान के जीवन में क्या होगा? यह कोई नहीं जानता है। आज इंसान-हंसता खेलता नजर आ रहा है परंतु अगले ही वक्त उसके साथ क्या हो जाए इसके बारे में बता पाना बहुत मुश्किल है। अक्सर लोग किसी ना किसी दुर्घटना में अपनी जान गंवा देते हैं। ऐसे में अंगदान के जरिए दूसरों की ज़िन्दगियां बचाई जा सकती हैं।

आजकल के समय में गुर्दे, आंख, हृदय, छोटी आंत जैसे बहुत से अंग हैं, जिनकी मांग अधिक है। रोजाना ही लोग दुर्घटना में अपनी जान गंवा देते हैं, जिनके अंग दान से दूसरों को जीवन दान दिया जा सकता है। इसीलिए कहा जाता है कि दान से बड़ा कोई धर्म नहीं होता है। जब अंग दान किया जाए तो इसका महत्व और बढ़ जाता है क्योंकि अंगदान से लोगों को नया जीवन मिलता है।

शख्स ने अंगदान करके बचाई 6 लोगों की जान

आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बेलगावी के एक अस्पताल का कुछ ऐसा ही मामला बताने जा रहे हैं, जहां पर एक शख्स इस दुनिया को अलविदा कहते कहते छह लोगों को नया जीवन देकर गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस शख्स का नाम उमेश बी दंदगी (Umesh B Dandagi) है। ऐसा बताया जा रहा है कि उमेश बी दंदगी ने 6 मरीजों को नया जीवन दिया है।

गिरने से हुई मृत्यु

दरअसल, उमेश बी दंदगी अचानक ही गिर गए थे, जिसके चलते उनके सिर पर काफी गहरी चोट लगी। बेलगावी स्थित केएलइएस अस्पताल में उमेश बी दंदगी की क्रैनियोटोमी हुई। उमेश की जान बचाने की हर संभव कोशिश की गई परंतु सारी कोशिशें नाकाम साबित हुईं। 16 मार्च को उमेश इस दुनिया को हमेशा हमेशा के लिए छोड़ कर चले गए।

अंगदान की प्रक्रिया की शुरू

ऑर्गन डोनेशन प्रोटोकॉल के मुताबिक, जीवासर थकाथे, जिसे पहले ZCCK के कहा जाता था के लोगों ने अंगदान की प्रक्रिया शुरू की और उमेश के परिवार के सदस्यों से लिखित सहमति ली। उमेश के दिल को केएलइएस अस्पताल के ही एक मरीज को लगाया गया। उसकी किडनीयों को ग्रीन कॉरिडोर के जरिए धारवाड़ स्थित एसडीएम अस्पताल और हुब्बाली स्थित तत्वादर्श अस्पताल भेजा गया।

उमेश बी दंदगी के कॉर्निया और त्वचा को केएलइ आई बैंक को दान किया गया। उमेश के लिवर को बेलगावी एयरपोर्ट से कुछ ही घंटों में बेंगलुरु ले जाया गया। उसका लीवर सही समय पर मरीज तक पहुंचे, इसके लिए बेंगलुरु ट्रैफिक पुलिस ने केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से स्पर्श अस्पताल तक ग्रीन कॉरीडोर बनाया।

उमेश बी दंदगी ने जाते-जाते कई लोगों की जान बचाई है। भले ही आज उमेश बी दंदगी इस दुनिया को छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए जा चुके हैं लेकिन उनके और उनके परिवार के सदस्यों की वजह से ही कई लोगों को नया जीवन मिल सका है। उमेश के अंगों को जरूरतमंद मरीजों में लगाया गया, जिससे उनको एक नया जीवनदान मिला है। कई जरूरतमंदों के अंधकार जीवन में रोशनी आई है।

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