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बिट्टा कराटे से निकाह के लिए घर से लड़ गई ये PCS अफसर, कहा था फक्र महसूस करती हूँ

अफसर का दिल कातिल पर आ गया और उसने अपने घरवालों से लड़कर उससे निकाह कर लिया

कश्मीरी मुसलमानों में अलगाववादियों की छवि को हीरो बनाकर पेश किया जाता है जबकि वास्तविकता ये है कि ज्यादातर अलगाववादी खूंखार, बेरहम और कातिल हैं, जिनकी छवि समाज में एक खलनायक की ही हो सकती है। ऐसा ही एक जेकेएलएफ से जुड़ा अलगाववादी नेता बिट्टा कराटे है जिसकी छवि को हीरो बनाकर पेश किया गया। दर्जनों हिंदुओं को बेरहमी से कत्ल कर देने वाला बिट्टा कराटे जब सबूतों के अभाव में छूटकर कश्मीर पहुंचा था तो उसका जोरदार स्वागत किया गया था।

इसी बेरहम और कातिल के प्रभाव में कश्मीर एडमिस्ट्रेटिव सर्विस की एक महिला अफसर भी आ गई। उसका दिल इस कातिल पर आ गया और उसने अपने घरवालों से लड़कर उससे निकाह कर लिया। बिट्टा कराटे और इस लेडी अफसर की मुलाकात कैसे हुई आपको आगे बताते हैं।

बिट्टा कराटे से शादी करने पर फक्र

इस अफसर ने कहा था- ‘उनसे (बिट्टा कराटे) निकाह करना मेरे लिए फ़ख़्र की बात है। जब मेरे आसपास लोगों को पता चला कि मैं एक अलगाववादी से निकाह करने जा रही हूं तो शुरू में वो बड़े फिक्रमंद रहे पर मैंने उन्‍हें समझा लिया कि इसमें कुछ ग़लत नहीं।’

ये अल्‍फ़ाज़ हैं अलगाववादी नेता फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे की बीवी असबाह आरज़ूमंद खान के। नवंबर 2011 में बिट्टा से निकाह के कुछ रोज पहले उसने एक स्‍थानीय अखबार से यही कहा था। उस वक्‍त तक असबाह को कश्‍मीर प्रशासनिक सेवा (KAS) का अधिकारी बने दो साल हो चुके थे। असबाह ने उस इंटरव्‍यू में कहा था, ‘अगर मैं KAS की ऑफिसर नहीं भी होती तो भी उन्‍हीं (डार) से निकाह करती।’

आज ‘द कश्‍मीर फाइल्‍स’ फिल्‍म की वजह से बिट्टा का नाम चर्चा में है तो असबाह का जिक्र भी होने लगा है। सोशल मीडिया पर असबाह को लेकर तमाम तरह की बातें हो रही हैं। कुछ उनके एक आतंकवादी से शादी करने के निजी फैसले पर सवाल उठा रहे हैं।

कश्‍मीरी पंडितों का कसाई

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, बिट्टा कराटे यानी फारूक अहमद डार ने तीन दशक पहले कश्‍मीर घाटी में आतंक फैलाने में अहम भूमिका निभाई। JKLF का एरिया कमांडर रहते हुए उसकी सरपरस्‍ती में आतंकवादियों ने हिंदुओं को निशाना बनाना शुरू किया।

सबसे पहले दोस्त की हत्या की

बिट्टा ने आतंक फैलाने के लिए सबसे पहले अपने दोस्‍त सतीश कुमार टिक्‍कू की हत्‍या की। फिर एक-एक करके कई कश्‍मीरी पंडितों को मौत के घाट उतारता चला गया। एक इंटरव्‍यू के दौरान बिट्टा ने कैमरे पर कबूला भी था कि उसने ’20 से ज्‍यादा कश्‍मीरी हिंदुओं को मारा’ है।

1990 में उसे सुरक्षा बलों ने अरेस्‍ट कर लिया और फिर अगले 16 साल जेल में गुजरे। 2006 में उसे पर्याप्‍त सबूतों के अभाव में अदालत से जमानत मिली। रिहाई पर बिट्टा का जोरदार स्‍वागत किया। फिर उसने राजनीति का रुख किया। वह पाकिस्‍तान से आतंकवादियों की फंडिंग का इंतजाम करने लगा। इसी वजह से नैशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने उसपर शिकंजा कसा है।

बिट्टा ने किया असबाह का प्रपोज

2008 में बिट्टा अपने एक दोस्‍त के घर गया हुआ था। वहीं पर उसकी असबाह से पहली मुलाकात हुई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ पांच महीनों के बाद बिट्टा ने असबाह के सामने प्‍यार का इजहार किया। थोड़ी ना-नुकुर के बाद असबाह मान गईं। डेढ़ साल के बाद दोनों ने शादी का फैसला किया मगर असबाह के परिवार को रिश्‍ता मंजूर नहीं था। वे नहीं चाहते थे कि एक पूर्व आतंकी के साथ बेटी का निकाह हो, पर असबाह अड़ गई। आखिरकार परिवार को झुकना पड़ा। 1 नवंबर 2011 को फारूक अहमद डार और असबाह आरज़ूमंद खान का निकाह हुआ।

बिट्टा सिर्फ फिल्‍म की वजह से सुर्खियों में नहीं। टेरर फंडिंग केस में एनआईए की अदालत ने फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे और अन्‍य के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया है। आरोपपत्र के मुताबिक, लश्कर-ए-तैबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट, जैश-ए-मोहम्मद जैसे तमाम आतंकी संगठनों ने आईएसआई की मदद से कश्मीर घाटी में आम नागरिकों और सुरक्षाबलों पर हमला कर वहां हिंसा भड़काई।

आरोप है कि अलगाववादियों की मदद और जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के लिए देश-विदेश से हवाला और अन्य अवैध चैनल के जरिए पैसा जुटाया जा रहा था। आरोपियों ने घाटी में सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकने, स्कूलों को जलाने, संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने की कथित तौर पर व्यापक साजिश रची थी।

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