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हुलिया देख पुलिस ने किया था शक, निकले IIT के प्रोफेसर, रह चुके हैं एक्स RBI गवर्नर के हैं गुरु

गुरु को भगवान का दर्जा दिया जाता है। एक गुरु ही है जो किसी भी विद्यार्थी के जीवन को सही दिशा प्रदान करता है। हालांकि आज के समय में ये वाक्य कितना सार्थक है इस बात को तो नहीं कहा जा सकता लेकिन आज भी ऐसे कई शिक्षक हैं जिनका उद्देश्य सिर्फ विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान कर उनके भविष्य को उड़ान देना है। हम आपको आज एक ऐसे ही शिक्षक के बारे में बता रहे हैं जो अपनी सहजता और सरलता के कारण इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं।

33 साल से आदिवासी जीवन जी रहे

जिस शख्स के बारे में हम बात कर रहे हैं उन्हें पहली नजर में देखकर कोई भी वनवासी ही समझेगा। लेकिन इनकी असलियत जानकर अच्छे-खासे इंसान का मुंह खुला का खुला रह जाता है। हम बात कर रहे हैं आलोक सागर के बारे में जो IIT दिल्ली से पढ़े हुए हैं। बीते 33 सालों से मध्य प्रदेश के दूरदराज गांवों में आदिवासी जीवन जी रहे हैं। लेकिन जिंदगी के सारे ऐशो आराम छोड़कर वे ऐसा क्यों कर रहे हैं, आइए जानते हैं इसके बारे में।

ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी से ली PHD की डिग्री

आलोक सागर ने IIT दिल्ली से इलेक्ट्रॉनिक में इंजीनियरिंग की है। इंजीनियरिंग खत्म होते ही वह 1977 में वे यूएस चले गए, जहां उन्होंने ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी से PHD की डिग्री ली। इस दौरान उन्होंने डेंटल ब्रांच में पोस्ट डॉक्टरेट और समाजशास्त्र विभाग, डलहौजी यूनिवर्सिटी (कनाडा) से फेलोशिप भी की। वहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद वो आईआईटी दिल्ली प्रोफेसर बने। हालांकि, यहां उनका मन नहीं लगा और उन्होंने नौकरी छोड़ दी।

पूर्व RBI गवर्नर के गुरु हैं

वे यूपी, मप्र, महाराष्ट्र में रहे। आलोक सागर के पिता सीमा शुल्क उत्पाद शुल्क विभाग में कार्यरत थे। एक छोटा भाई अंबुज सागर आईआईटी दिल्ली में प्रोफेसर हैं। एक बहन अमेरिका कनाडा में तो एक बहन जेएनयू में कार्यरत थीं। आलोक सागर RBI के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन के गुरु हैं।

प्रॉपर्टी के नाम पर सिर्फ ये चीजें

उन्हें बहुत सी भाषाओं का ज्ञान है बावजूद इसके वह प्रचार-प्रसार से दूर सादगी भरा आनंद का जीवन जी रहे हैं। आलोक सागर के मुताबिक सुकून की नींद और मन का चैन इंसान को जहां नसीब हो, वहीं असली जिंदगी है। प्रॉपर्टी के नाम पर केवल तीन कुर्ते और एक साइकिल है। वे यहां 50 हजार से ज्यादा पेड़ लगा चुके हैं। वे हमेशा बीज इकट्ठा करते रहते हैं और लोगों तक पहुंचाते हैं।

हुलिया देख अफसरों को हुआ था शक

एक बार मध्य प्रदेश के बैतूल जिला इलेक्शन के दौरान स्थानीय अफसरों को आलोक सागर पर शक हुआ। फिर उन्होंने उनसे बैतूल से जाने तक को कह दिया था। लेकिन जब उन्होंने प्रशासन को अपनी डिग्रियां दिखाईं, तो एक पल के लिए सभी अफसर हैरान रह गए। जांच के लिए जब उन्हें थाने बुलाया गया, तब पता चला कि वह कोई सामान्य ग्रामीण नहीं, बल्कि IIT के पूर्व प्रोफेसर हैं।

आदिवासियों के हित के लिए उठाते हैं आवाज

आलोक शुरू से ही आदिवासियों के सामाजिक, आर्थिक और अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहे हैं। वे आदिवासियों में गरीबी से लड़ने की उम्मीद जगा रहे हैं। आलोक आज भी साइकिल से पूरे गांव में घूमते हैं। आदिवासी बच्चों को पढ़ाना और पौधों की देखरेख करना उनके रूटीन में शामिल है। आज वह हर किसी के लिए एक मिसाल हैं।

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