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कोई तेंदुए से भिड़ी, तो किसी ने गोलियों से छलनी कर लिया शरीर, बच्चों के लिए यमराज तक से लड़ी मां

बच्चों के लिए यमराज को भी मात, इन मांओं ने खुद की जान पर खेल कर बचाई बच्चों की जिंदगी

कहते हैं भगवान हर जगह नहीं रह सकते इसलिए उन्होंने मां को बनाया। मां ही वह एक इकलौती इंसान होती हैं। जो कि अपने बच्चों के लिए अपनी जान की बाजी लगाने से पहले भी नहीं सोचती है। दुनिया की हर बुराई हर मुसिबत को वह अपने बच्चों से दुर रखती हैं। यह बाते सुनने में भले ही फिल्मी लगे लेकिन यह असल जिंदगी में भी कई मांओं ने इन सब बातों को सच कर दिखाया हैं। ऐसे ही कुछ उदाहरण हम आज आपके सामने लाने वाले हैं।

रूस यूक्रेन जंग में बचाई एक महीने की बेटी की जान

इन दिनों रूस यूक्रेन की जंग काफी चर्चा में चल रही हैं। ऐसे में यहां एक मां ने अपने बेटी को बचाने के लिए अपनी जान की भी फिक्र नहीं की। यूक्रेन में गोलियों की बौछार के बीच इस मां ने ढाल बनकर अपनी नन्ही सी बेटी को बचा लिया।

दरअसल यह मामला राजधानी कीव का बताया जा रहा हैं। यहां पर एक महिला ने अपनी एक महीने की बेटी को गोलियों से बचाने के लिएए ढाल की तरह उसे अपने शरीर से ढक लिया। इस मां ने अपनी बेटी से खुद को तब तक अलग नहीं किया जब तक की जंग के मैदान में गोलीबारी बंद नहीं हो गई। हालांकि इस दौरान यह मां बूरी तरह घायल हो गई।

तेंदुए से लड़ पड़ी मां

इसके अलावा बीते साल नवंबर में आपने भी मध्यप्रदेश से एक ऐसा ही उदाहरण देखा होगा जहां पर एक मां ने एक मां अपने बच्चे को बचाने के लिए खूंखार तेंदुए के सामने आकर उससे लड़ पड़ी। मामला सीधी जिले का बताया जा रहा हैं। आखिर में इस तेंदुए को एक मां के आगे हार माननी पड़ी और बच्चे को छोड़कर भागना पड़ा।

असल में तेंदुए ने इस मां के आठ साल के बेटे को मुंह में दबा लिया था। वह इस बच्चे को लेकर भागने की कोशिश में था तभी इस मां अपने बेटे की जान बचाने के लिए तेंदूए का पीछा करते हुए उससे भीड़ गई।

लॉकडाउन में बेटे को लेने 1400 किमी के सफर पर निकली मां

कोरोना महामारी के बीच लगे लॉकडाउन के दौरान एक मां ने अपने बेटे को घर लाने के लिए स्कूटी से ही 1400 किलोमिटर का सफर तय कर लिया। मामला तेलंगाना के निजामाबाद का हैं। यहां पर रजिया बेगम का बेटा निजामुद्दीन 12वीं कक्षा का छात्र था। वह अपने दोस्त के पिता के इलाज के लिए उनके साथ नेल्लोर गया हुआ था।

तभी कोरोना महामारी के कारण देशभर में लॉकडाउन लग गया। ऐसे में निजामुद्दीन नेल्लोर में फंस गया। जहां से वापस आने का उसके पास कोई साधन नहीं था। ऐसे में मां रजिया ने एसीपी से मदद मांगी, जिसके बाद उन्हें अपने बेटे को लेकर आने की अनुमति मिल गई। जिसके बाद 1400 किलोमिटर स्कूटी चलाकर रजिया अपने बेटे को घर वापस ले आई।

बच्चों को बचाने डैम में कूद गई थी मां

अपने बच्चों की जान को बचाने के लिए खुदकी जान की बाजी लगाने वाले उदाहरण में एक यह भी हैं। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के जोगिंद्रनगर की एक महिला ने अपने बच्चों की जान बचाने के लिए चेक डैम में कुदने से पहले एक बार भी नहीं सोचा। लेकिन यह महिला इस डैम में डूब रहे अपने बच्चों को नहीं बचा सकी। साथ ही यह खुद भी इस डैम में डुब गई।

जानकारी के मुताबिक 38 साल की रज्जो देवी अपने 10 साल के बेटे अभिषेक के साथ खेतों में काम के लिए चेक डैम की पगडंडी से गुजर रही थी। तभी बेटे का पैर फिसल गया और वह डैम में जा गिरा, ऐसे में अपने बेटे को बचाने के लिए मां ने अपनी जान की परवाह किए बिना खुद डैम में कूद गई और अपनी आखिरी सांस तक बच्चे को बचाने की कोशिश करती रही।

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