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प्रेरक कहानी : छेद वाली नाव में बैठ गए व्यापारी के बीवी-बच्चे, फिर भी बच गए जिंदा, जाने कैसे

कहते हैं हमे हमेशा अपने काम का बेस्ट देना चाहिए। लेकिन कुछ लोग कामचोर या मतलबी होते हैं। वह सिर्फ उतना ही काम करना पसंद करते हैं जितना उन्हें पैसा मिलता है। इस तरह की सोच इंसान को आगे कभी नहीं बढ़ने देती है। वह कभी तरक्की नहीं करता है। न ही लोग उससे इंप्रेस होकर उसकी आगे बढ़ने में हेल्प करते हैं। चलिए इस बात को एक कहानी से समझते हैं।

छेद वाली नाव में बैठी व्यापारी की पत्नी

एक समय की बात है। एक गांव में एक व्यापारी रहता था। उसकी एक नाव थी। वह अक्सर नाव से ही अपना व्यापार करता था। छुट्टियों में वह अपनी बीवी और बच्चों को भी नाव की सैर पर ले जाता था। व्यापारी ने गौर किया कि उसकी नाव का रंग फीका पड़ने लगा है। ऐसे में उसने एक कारीगर को बुलवाकर कल अपनी नाव रंगने का काम दे दिया।

अगले दिन व्यापारी को कुछ काम से बाहर जाना था। वह नाव में बैठ गया। फिर उसे याद आया कि आज तो नाव में रंग करवाना है। ऐसा सोच वह उतरने लगा। तभी उसकी नजर नाव में बने छेद पर पड़ी। यह देख वह डर गया। लेकिन भगवान को धन्यवाद भी कहा कि समय रहते उसे नाव के छेद का पता चल गया।

व्यापारी ने सोचा शाम को आकर नाव का छेद सुधरवा लूँगा। तब तक नाव में नया रंग भी हो जाएगा। हालांकि वापस लौटते समय व्यापारी को देर हो गई। रात होने की वजह से वह घर जाने में आलसी करने लगा। सोचा कल सुबह चला जाऊंगा। वह सुबह जैसे ही घर पहुंचा तो नाव गायब थी। जब उसने छानबीन की तो पता चला कि उसकी बीवी बच्चों को लेकर नाव में घूमने फिरने गई है। यह सोच व्यापारी टेंशन में आ गया। उसे लगा नाव में तो छेद था। अब मेरे बीवी-बच्चों का क्या होगा ?

कुछ समय बाद नाव किनारे पर आती दिखी। व्यापारी ने देखा कि नाव पर नया रंग है और वह छेद भी गायब है। वह समझ गया कि ये उसी कारीगर का काम होगा। उसने कारीगर को बुलाया और पूछा कि ‘मैंने तो तुम्हें सिर्फ रंगाई के पैसे दिए थे। लेकिन तुमने तो छेद की मरम्मत भी कर दी।” कारीगर बोला “जब मैं नाव रंग रहा था तो मेरी नजर छेद पर गई। मैंने सोचा छेद वाली नाव को रंगने का क्या लाभ? इसलिए मैंने छेद की भी मरम्मत कर दी।” व्यापारी कारीगर के काम से खुश हुआ और उसे इनाम में ज्यादा पैसा दे दिया।

कहानी की सीख

कभी काम को टालना नहीं चाहिए। आज का काम आज ही निपटा लेना चाहिए। यदि जरूरत हो तो एक्स्ट्रा काम करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। हमेशा अपना 100 फीसदी देना चाहिए। इससे आपकी तरक्की तो होगी ही, साथ ही आपको मान-सम्मान भी मिलेगा।

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