एक ऐसा किसान जिसने पक्षियों के लिए छोड़ दी अपनी आधी एकड़ जमीन, उनके खाने के लिए उगाता है फसलें

पक्षी प्रकृति से गहराई से जुड़े होते हैं। पक्षी जंगलों, झाड़ियों तथा वृक्षों पर घोंसला बनाकर रहते हैं। पक्षियों को जहां भी थोड़ी सी हरियाली नजर आती है, वह वहीं पर अपना बसेरा बना लेते हैं। ज्यादातर पक्षियों का मुख्य आहार अनाज, दाना, फल आदि होता है। पक्षी यहां वहां से अपने खाने का इंतजाम करके जीवित रहते हैं। अक्सर हम सभी लोगों ने सुना होगा कि किसान की सारी फसल चिड़ियों ने खराब कर दी।
किसान अपनी फसल को चिड़ियों से बचाने के लिए तरह-तरह के तरीके अपनाते हैं। लेकिन क्या आप लोगों ने कभी यह सुना है कि किसी किसान ने फसल उगाई, वह भी सिर्फ चिड़ियों के लिए? शायद आप लोगों ने कभी नहीं सुना होगा परंतु आज हम आपको एक ऐसे किसान के बारे में बताने वाले हैं, जो सिर्फ पक्षियों का पेट भरने के लिए ही फसल उगाता है।
किसान पक्षियों के लिए उगाता है फसलें
दरअसल, आज हम आपको जिस किसान के बारे में बता रहे हैं उनका नाम मुथु मुरुगन है, जिनकी उम्र 62 वर्ष की है। मुथु मुरुगन की कोयंबटूर के थोंडमुथुर गांव में चार एकड़ जमीन है। उन्होंने पक्षियों को खाने के लिए आधा एकड़ जमीन में बाजरा और बाकी फसल उगाई हैं।
मुथु मुरुगन साल 1990 से ही खेती कर रहे हैं और सबसे खास बात यह है कि उन्होंने अपनी आधा एकड़ जमीन में बाजरा और पक्षियों के खाने के लिए बाकी का चारा उगाया है। यह बिना पेस्टिसाइड की खेती कर रहे हैं।
बढ़ती जा रही थी पक्षियों की संख्या
थोंडमुथुर गांव के रहने वाले मुथु मुरुगन ने जल्द ही अनुभव किया कि चारा खाने के लिए आने वाले पक्षियों की संख्या बढ़ रही थी। वह पहले तो अपने खेत के किनारों पर ही चारा उगा रहे थे लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अपनी आधी जमीन पर ही चारा उगा दिया। उन्होंने बताया कि “हमने अप्रैल में 0.25 एकड़ में बाजरा और 0.25 एकड़ में चारा उगाया। एक महीने में फसल तैयार हो गई। अब उसे खाने कई तरह के पक्षी आते हैं। लगभग सारी फसल पक्षी खा चुके हैं।”
लोगों को पर्यावरण के प्रति अवेयर करते हैं मुथु मुरुगन
आपको बता दें कि मुरुगन ऐसे किसान हैं जो पर्यावरण की चिंता रखते हैं। मुरुगन स्थानीय लोगों को पर्यावरण के प्रति अवेयर करते रहते हैं। उनका मानना है कि बायोडायवर्सिटी के लिए पक्षियों और जानवरों का जीवित रहना बहुत ही आवश्यक है। उनका कहना है कि “आए दिन हम बाघ और हाथी जैसे जानवरों की भूख से मरने की बात करते हैं लेकिन पक्षियों के लिए भी भोजन उतना ही आवश्यक है। इसलिए मैंने उनके लिए फसल उगाने का फैसला लिया।”
मुरुगन ने अपने खेतों में सब्जियां भी लगाई हुई हैं। उनका कहना है कि एक बार जो सब्जियां ले जाता है फिर दोबारा उनसे सब्जी लेने जरूर आता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वह खाद का उपयोग नहीं करते। इससे सब्जियों का स्वाद बढ़ जाता है। हालांकि कई बार बिना पेस्टिसाइड फसल उगाने की वजह से उन्हें आर्थिक नुकसान भी हुआ, पर उन्होंने केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया। आज भी उनके खेत में कई दुर्लभ चिड़िया दिखी जाती हैं, जिनमें तोते, जलपक्षी, मोर, कठफोड़वा, किंगफिशर, चित्तीदार उल्लू, गौरैया, मैना और बहुत से अन्य पक्षी शामिल हैं।