भारत का वो रईस शख्स जिसके पास ब्रिटेन के बैंकों से भी ज्यादा था पैसा, अंग्रेज़ों को देता था लोन
जगत सेठ घराना: भारत का वो परिवार जिससे अंग्रेज और बड़े बादशाह उधार लेते थे पैसे

आज भले ही भारत विकसित देशों की तरह संपन्न ना हो लेकिन एक ऐसा भी दौर था जब भारत को ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था। हालांकि कई सदियों पहले विदेशी लोगों के द्वारा भारत की कई दौलत लूट चुकी है। यदि इतिहास के पन्नों को उठाकर देखा जाए तो भारत में ऐसे कई राजा महाराजा थे जिनके पास धन दौलत की कोई कमी नहीं थी।
आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि, एक ऐसे ही व्यक्ति के बारे में जिसे ‘जगत सेठ’ के नाम से जाना जाता था। इतना ही नहीं बल्कि इस शख्स के पास इतना पैसा था कि यह बादशाहो और अंग्रेजों को लोन दिया करता था। आइए जानते हैं इस शख्स की कहानी..
राजस्थान के नागौर जिले में जन्मा था जगत सेठ
यह कहानी भारत के उस परिवार की है जिसने भारत में पैसे के लेन देन, टैक्स वसूली को आसान बनाने में अहम भूमिका निभाई। कहा जाता है कि इस घराने के सदस्य इतने ज्यादा पैसे वाले थे कि उनके पास अंग्रेज और बादशाह भी लोन लेने आते थे और यह परिवार उनकी वित्तीय मदद करते थे।
इस घराने की स्थापना सेठ माणिकचंद ने की थी। इनका जन्म राजस्थान के नागौर जिले के एक मारवाड़ी जैन परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम हीरानंद साहू था जिन्होंने ब्रिटिश ईस्ट कंपनियों को ढेरों पैसे उधारी में दिए थे। एक रिपोर्ट की मानी जाए तो 1718 से 1757 तक ईस्ट इंडिया कंपनी जगत सेठ की फर्म से हर साल 4 लाख का लोन लेती थी।
‘बैंक ऑफ द वर्ल्ड’ थे सेठ माणिकचंद
अधिक संपत्ति होने के चलते सेठ माणिकचंद घराने को ‘जगत सेठ घराना’ का खिताब मिला यानी कि ‘बैंक ऑफ द वर्ल्ड’। बता दें, इस टाइटल को मुगल बादशाह मोहम्मद शाह ने 1723 में दिया था। बस इसके बाद से ही पूरी दुनिया में यह जगत सेठ के नाम से पहचाने जाने लगा। माणिकचंद का बिजनेस चारों ओर फैला हुआ था।
पैसे सूद पर देना भी उनका एक बिजनेस था। ऐसे में माणिकचंद की दोस्ती मुर्शीद कुली खान, बंगाल के दीवान जैसे बड़े लोगों से हुई जो आगे चलकर बंगाल सल्तनत के पैसे और टैक्स को संभालने का काम किया करते थे। इसके बाद उनका पूरा परिवार मुर्शिदाबाद बंगाल में ही बस गया।
कितना आमिर हुआ करता था जगत सेठ घराना?
एक रिपोर्ट की मानें तो सेठ माणिकचंद के पास करीब 2 हजार से भी अधिक सैनिक थे। उनके पास इतना ज्यादा सोना, पन्ना, चांदी थी कि इसका अंदाजा कोई भी नहीं लगा सकता। उस दौरान यह कहा जाता था कि सेठ माणिकचंद के पास इतना पैसा था कि वह चांदी और सोने की दीवार बनाकर गंगा को रोक सकते थे।
उनके बेटे फतेह चंद के समय उनकी संपत्ति करीब 10,000,000 पाउंड की थी। आज के समय में ये रक़म लगभग 1000 बिलियन पाउंड के आस-पास होगी। खुलासा हुआ कि माणिकचंद के घर इंग्लैंड के सभी बैंकों की तुलना में सबसे ज्यादा पैसा था। इतना ही नहीं बल्कि ब्रिटिश दस्तावेजों से यह भी खुलासा हुआ कि 1720 के दशक में ब्रिटिश अर्थव्यवस्था जगत सेठ की संपत्ति से काफी छोटी थी।
अंग्रेजों के धोखे से अर्श से फर्श पर आ गया था जगत सेठ घराना
जैसा कि समय की मार बहुत बुरी होती है। जब समय बदलता है तो इंसान की किस्मत चमक उठती है या तो फिर व्यक्ति राजा से रंक बन जाता है। हालाँकि जगत सेठ को तो सीधे सीधे धोखा ही मिला था। अंग्रेजों से मिले धोखे के कारण माणिकचंद की ढेरों दौलत बर्बाद हो गई। एक समय पर जहां जगत सेठ घराने के पैसों के बिना कोई काम नहीं हुआ करता था। वहीं अंग्रेजों द्वारा मिले धोखे के कारण वह बुरी तरह टूट गए।
दरअसल जगत सेठ ने अंग्रेजों को कई सारे रुपए उधार में दिए थे लेकिन फिर अंग्रेजों ने इस बात से साफ इंकार कर दिया कि उनके ऊपर जगत सेठ का कोई कर्ज नहीं है। इतने बड़े धोखे से जगत सेठ घराने के सदस्य टूट गए। इसी बीच ब्रिटिश ईस्ट कंपनी के हाथों में बंगाल की बैंकिंग और अर्थव्यवस्था चली गई। इसके बाद 1900 में जगत सेठ के परिवार लोगों की नजरों से दूर चला गया और आज तक उनके वंशजों का पता नहीं चला।