राजा पूरणमल की बेटी को शेरशाह ने बना दिया था वैश्या, एक ऐसी दास्ताँ जो दिलों को झंकझोर देती है

भारत में राजाओं के ऐसे कई किले हैं, जो अपने आप में एक अनूठी कहानी समेटे हुए हैं। यह किले भारत की शान तो कहे जाते हैं, साथ ही साथ यहां कुछ ऐसी रहस्यमई बातें भी हैं, जो लोगों को सोचने पर मजबूर कर देती है। एक ऐसा ही किला मध्यप्रदेश के भोपाल में है। जी हां, हम बात कर रहे हैं रायसेन के किले की।
रायसेन के राजा पूरणमल को धोखे से मारा गया था। राजा के बारे में ऐसा बताया जाता है कि उसकी रानी शेरशाह के सैनिकों की हवस का शिकार ना बने, इसलिए उसने खुद ही रानी का सिर काट दिया था। राजा अपने दो बेटों और अबोध बेटी को भी वहशियों से बचाने के लिए उनको मारना चाहता था लेकिन वह मार ना पाया।
उससे पहले ही शेरशाह ने राजा को घेर कर धोखे मार दिया। फिर शेरशाह सूरी के जुल्म की दास्तां, वो भी ऐसी कि राजा पूरणमल के दोनों बेटों को ढूंढकर बेरहमी से काट दिया। फिर उस छोटी बेटी राजकुमारी को वैश्या बनाकर रखा। राजकुमारी वैश्यालय में ही वैश्या बनकर रही। फिर बीमार होकर दम तोड़ दिया। यह मध्य प्रदेश के रायसेन के राजा पूरणमल की असल जिंदगानी है। यह कोई दास्ताँ या कोई कहानी नहीं है।
कुछ इतिहासकारों कहना है की वैश्या बनाने से पहले राजा पूरणमल की अबोध बेटी को के साथ सामूहिक और अप्राकृतिक रूप से दुष्कर्म किया गया। उस के बाद शेरशाह के हराम में ले जाया गया। हराम में किसी भी महिला को कपडे पहनने की इजाजत नहीं होती थी। हरम मेंकुछ हफ़्तों में शेरशाह का मन भरने के बाद, राजकुमारी को सैनिक अधिकारिओं को बाँट दिया गया जहां सैनिक अधिकारिओं ने महीनों तक उसे अपनी हवस का शिकार बनाया। और जब उन का भी मन भर गया तो उसे मुग़ल सैनिकों को सौंप दिया गया । कुत्त्तों की तरह जिस्म को नोच लेते थे मुग़ल
कुछ महीनों में मुग़ल सैनिकों का भी मन भर गया और राजकुमारी में उन की रूचि ख़तम हो गयी तो उसे वैश्यालय भेज दिया गया।राजकुमारी वैश्यालय में ही वैश्या बनकर रही। इस दुर्गति से राज कुमारी का बीमार रहने लगी और फिर उस के शरीर ने उस का साथ छोड़ दिया। आखिरकार एक लड़की कहाँ तक इतनी प्रताड़ना झेल सकती थी। ज़िन्दगी नर्क से बदतर बन चुकी थी।
इस दर्दभरी दास्तां को ट्वीट के जरिए उमा भारती ने किया बयां
दरअसल, इस दर्द भरी दास्तां को हाल ही में अपने ट्विटर के माध्यम से भाजपा की फायरब्रांड नेता उमा भारती ने बयां किया। पंडित प्रदीप मिश्रा के रायसेन किले के शिव मंदिर पर ताले के एपिसोड से इस दास्तां की शुरुआत होती है। उमा भारती ने इस पूरे एपिसोड पर रायसेन किले के राजा पूरणमल की इस दास्तां को उजागर किया है। उमा भारती ने कुल 11 ट्वीट किए।
उमा भारती ने अपने ट्वीट में लिखा कि रायसेन के इस किले के नाम से ही मेरे अंत: में हुक उठती है। लेखक अब्राहम अर्ली की किताब का हवाला देते हुए उमा भारती ने यह लिखा कि “रायसेन के राजा पूरणमल शेरशाह सूरी के विश्वासघात के शिकार हुए। किले के चारों तरफ घेरा डालकर शेरशाह सूरी ने राजा पूरणमल से संधि कर ली, फिर रात में उनके परिवार और राजा पूरणमल को घेर कर मार डाला।
उमा भारती ने अपने ट्वीट में यह लिखा कि “राजा पूरणमल बहुत बहादुरी से लड़े, मरने से पहले उन्होंने अपनी पत्नी रानी रत्नावली के अनुरोध पर उनकी गर्दन काट दी ताकि वह वहशियों के शिकंजे में ना आ पावे, किंतु उनके दो मासूम बेटे एवं अबोध कन्या टेंट में एक कोने में दुबक गए, जहां से उनको इन वहशियों ने खींच कर निकाला।”
उन्होंने अपने अगले ट्वीट में यह लिखा कि “दोनों मासूम बेटे वहीं काट दिए गए एवं राजा पूरणमल की अबोध कन्या वेश्यालय को सौंप दी जहां वह दुर्दशा का शिकार होकर मर गई। जब भी मैं रायसेन के किले के आस पास से गुजरी यह प्रसंग मुझे याद आता था एवं बहुत दुखी एवं शर्मिंदा होती थी।”
उमा भारती ने अपने अगले ट्वीट में यह लिखा कि “जब डॉ. प्रभुराम चौधरी के चुनाव प्रचार में मैंने एवं शिवराज जी ने रायसेन में एक साथ सभा की थी तब मैंने रायसेन के किले की ओर देखते हुए यह बात कही थी कि इस किले को देखकर मुझे बहुत कष्ट होता है और आज जब हमारा भाजपा का झंडा इसके सामने फहरा रहा है तो कुछ शांति होती है।”
अगले ट्वीट में उन्होंने लिखा कि राजा पूरणमल के साथ हुई घटना नीचता, विश्वासघात एवं वहशीपन की याद दिलाती है। मुझे अपनी इस अज्ञानता पर शर्मिंदगी है कि मुझे उस प्राचीन किले में सिद्ध शिवलिंग होने की जानकारी नहीं थी।”
उन्होंने अगले ट्वीट में लिखा कि “मैंने अपने कार्यालय से कहा था कि रायसेन जिला प्रशासन को 11 अप्रैल सोमवार को मेरे वहां जल चढ़ाने की सूचना दें। जब मैं 11 अप्रैल सोमवार को उस सिद्ध शिवलिंग पर गंगोत्री से लाया हुआ गंगाजल चढ़ाऊंगी तब….”
उन्होंने आगे लिखा कि “राजा पूरणमल, उनकी पत्नी रत्नावली, उनके मार डाले गए दोनों मासूम बेटे एवं वहशी दुर्दशा के शिकार होकर मर गई अबोध कन्या एवं उन सब के साथ मारे गए राजा पूरणमल के सैनिक उन सबका में तर्पण करूंगी एवं अपनी अज्ञानता के लिए क्षमा मांगूंगी।”