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कभी ₹5000 के लिए तरसते थे सुनील भारती मित्तल, मुसीबतों से लड़कर खड़ी कर दी एयरटेल की कंपनी

अगर आपको अपने जीवन में कामयाबी पानी है, तो इसके लिए आपको जी तोड़ मेहनत करने की जरूरत है। कामयाबी पाने के लिए आपको कई बार गिरना पड़ेगा और गिरकर आपको संभालना होगा। तमाम निराशाओं के बाद जो कामयाबी हासिल होती है उसका मजा कुछ अलग ही होता है। कामयाबी का सफर कभी भी दिनों में तय नहीं होता है। यहां तक पहुंचने के लिए लोगों को सालों तक इंतजार करना पड़ जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि जो इंसान बार-बार निराशा मिलने के बावजूद भी लगातार प्रयास करता रहता है, उसको एक ना एक दिन कामयाबी जरूर मिलती है। कामयाबी के लिए इंसान को खुद से लड़ना होता है। बार-बार निराशा से ही इंसान को सीख मिलती है तब जाकर कहीं इंसान कामयाबी के शिखर पर पहुंच पाता है।

आज हम आपको इस लेख के माध्यम से एक ऐसा ही उदाहरण सुनील भारती मित्तल का देने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने जीवन में तमाम मुसीबतों का सामना किया। हर परिस्थिति से लड़ते हुए उन्होंने आखिर में कामयाबी हासिल कर ली और अरबों की कंपनी खड़ी कर दी।

जानिए सुनील भारती मित्तल कौन हैं?

भले ही आप लोगों में से बहुत से लोग ऐसे होंगे जो सुनील भारती मित्तल के नाम से परिचित ना हों? परंतु आपको बता दें कि सुनील भारती मित्तल संचार क्षेत्र का जाना पहचाना नाम हैं। चलिए संभव हो सकता है कि आप सुनील भारती मित्तल को ना जानते हों? परंतु आप लोग एयरटेल नाम से तो भली-भांति परिचित जरूर होंगे। जी हां, एयरटेल के मालिक सुनील भारती मित्तल हैं।

एक समय ऐसा था जब मार्केट में नई आईं मोबाइल नेटवर्क कंपनियों के लिए सबसे पहला टारगेट टॉप पर बैठी एयरटेल कंपनी ही हुआ करती थी। एक समय पहले जितनी भी मोबाइल सेवाएं देने वाली कंपनियां थीं वह एयरटेल से आगे निकलने की खूब कोशिश करती थीं परंतु एयरटेल का पीछा करना हर किसी के बस की बात नहीं रही क्योंकि एयरटेल ने अपना दायरा ही इतना बड़ा लिया। मौजूदा समय में देश के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल नेटवर्क की बात करें तो आज भी एयरटेल है।

इस मुकाम तक पहुंचने के लिए करनी पड़ी खूब मेहनत

एयरटेल के मालिक सुनील भारती मित्तल आज देश के बड़े उद्योगपतियों में शुमार हैं। देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी उनकी कंपनी एयरटेल मोबाइल सर्विस दे रही है। मौजूदा समय में सुनील भारती मित्तल के पास धन-संपत्ति की कोई भी कमी नहीं है परंतु उनके लिए यहां तक पहुंचना कोई आसान नहीं था। उनको अपने जीवन में खूब मेहनत करनी पड़ी।

सुनील भारती मित्तल का जन्म 23 अक्टूबर 1957 में पंजाब के लुधियाना में हुआ था। सुनील भारती मित्तल के पिताजी का नाम सत पॉल मित्तल था, जो पंजाब के प्रसिद्ध राजनेता और दो बार सांसद रहे थे।

जिंदगी का असली सबक सीखा सड़कों से

भले ही सुनील भारती मित्तल एक अच्छे परिवार से ताल्लुक रखते थे और वह चाहते तो अपनी जिंदगी आराम से व्यतीत कर सकते थे परंतु उनको हमेशा से ही आराम की जिंदगी नहीं चाहिए थी बल्कि वह कामयाबी हासिल करना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने अपने जीवन में जी तोड़ मेहनत की और काफी संघर्ष किया।

सुनील भारती मित्तल ने मसूरी स्थित बिनबर्ग स्कूल से अपनी शुरुआती पढ़ाई की, जिसके बाद ग्वालियर के सिंधिया स्कूल से उन्होंने अपने आगे की पढ़ाई पूरी की और 1976 में पंजाब यूनिवर्सिटी के आर्य कॉलेज से उन्होंने अपना ग्रेजुएशन कंप्लीट किया। सुनील भारती मित्तल का ऐसा मानना है कि उन्होंने बड़े स्कूल कॉलेजों में पढ़ने के बावजूद भी कामयाबी का असली सबक सड़कों से सीखा है।

यही वजह है कि सुनील भारती मित्तल ने अपने पिता की राजनीति विरासत छोड़ उद्योग के क्षेत्र में खुद को स्थापित करने का ख्वाब देखा। लुधियाना हमेशा से ही अपनी कई चीजों के साथ-साथ साइकिल और उसके पुर्जे बनाने के लिए जाना जाता रहा है। सुनील भारती मित्तल ने भी इसी कारोबार में उतरने का निर्णय लिया और उन्होंने अपने बिजनेस करियर की शुरुआत लुधियाना से ही आरंभ कर दिया।

कभी 5000 रुपए का इंतजाम करने के लिए करना पड़ा बहुत संघर्ष

सुनील भारती मित्तल ने अपने इस साइकिल के कारोबार को शुरू करने के लिए अपने पिताजी से ₹20000 कर्ज लिया और उन्होंने अपना काम शुरू किया। जब सुनील साइकिल के व्यापार में थे, तो इन्हीं दिनों हीरो साइकिल के मालिक और संस्थापक बृज मोहन लाल मुंजाल से उनकी नजदीकियां बढ़ गईं। भले ही सुनील भारती मित्तल एक बड़े घर से ताल्लुक रखते थे परंतु इसके बावजूद भी उन्हें अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था।

सुनील भारती मित्तल के जीवन में एक समय ऐसा भी आया था कि वह ₹5000 के लिए भी तरस गए थे। जी हां, महज ₹5000 का इंतजाम करने के लिए उनको बहुत संघर्ष करना पड़ गया। अपने इस मुश्किल दौर के बारे में खुद सुनील भारती मित्तल बता चुके हैं।

हीरो साइकिल के मालिक ने की थी सहायता

एक कार्यक्रम के दौरान सुनील मित्तल ने अपनी सफलता से पहले के संघर्ष की कहानी शेयर की थी। उन्होंने यह बताया था कि यह उन दिनों की बात है जब लोग पैसों के लेनदेन के लिए सिर्फ कैश का इंतजाम करते थे। किसी को चेक के द्वारा पैसे देने का चलन तब इतने जोर पर नहीं था। शायद लोगों को चेक द्वारा पैसों की धोखाधड़ी का डर था।

सुनील भारती मित्तल ने यह बताया था कि ऐसी स्थिति में वह हीरो साइकिल के मालिक बृज मोहन लाल मुंजाल के पास पहुंचे और उन्होंने अपने लिए ₹5000 का उधार मांगा। वहीं बृज मोहन लाल ने भी उन्हें तुरंत ही ₹5000 का चेक दे दिया। जब सुनील भारती मित्तल वहां से जाने लगे तब बृज मोहन लाल ने उन्हें रोककर कहा कि “बेटा इसकी आदत मत डालना।” बस यही वह बात थी जो सुनील के जीवन की सबसे बड़ी सीख बन गई।

निराशा लगी हाथ

सुनील भारती मित्तल का साइकिल का कारोबार ठीक-ठाक चल रहा था परंतु वह अपने जीवन में कुछ बड़ा करने की चाहत रखते थे। साल 1979 की बात है जब सुनील को यह बात भली-भांति समझ आ गई थी कि चाहे वह कितनी भी जी तोड़ मेहनत कर लें लेकिन कभी भी इस साइकिल के कारोबार में वह कुछ बड़ा नहीं कर सकते हैं।

जिसके बाद वह लुधियाना छोड़कर मुंबई अपने आगे के कारोबार के लिए आ गए। 1982 तक उन्होंने अपने भाइयों के साथ मिलकर जापान से आयात होने वाले पोर्टेबल जनरेटर बेचने का व्यापार आरंभ कर दिया। उनका बिज़नेस अच्छा चल पड़ा और उनको यह भी लगने लगा कि सब ठीक है लेकिन तभी भारत सरकार ने जेनरेटर के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया और दो भारतीय कंपनियों को स्थानीय स्तर पर जनरेटर बनाने के लिए लाइसेंस दे दिए।

सुनील मित्तल ने अपना साइकिल का कारोबार बेचकर अपने भाइयों राकेश और राजन मित्तल के साथ भारतीय ओवरसीज ट्रेडिंग शुरू किया परंतु उस पर भी ग्रहण लगने की नौबत आ गई। उन्हें यहां भी निराशा हाथ लगी। लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी। उनकी हमेशा से ही यही सोच रही कि भारत में पहले कभी किसी ने ना किया हो, उनको कुछ ऐसा करना है।

फिर नए काम की शुरुआत की

सुनील मित्तल ने साल 1986 में पुश बटन फोन को इंपोर्ट करने का निर्णय लिया। ताइवान से इंपोर्ट हुए पुश बटन फोनों की सहायता से मित्तल ने भारत में बीटेल ब्रांड फोन की शुरुआत कर दी। जब उनका यह काम चलने लगा तब सुनील ने 1990 के दशक तक पुश बटन फोन के साथ फैक्स मशीन और अन्य दूरसंचार उपकरण बना कर काम भी आरंभ किया।

जानिए एयरटेल का जन्म कैसे हुआ

सुनील मित्तल अब मोबाइल जगत में भी तहलका मचाने का मौका देख रहे थे और उनको यह मौका 1992 में मिला। इस समय भारत सरकार ने पहली बार मोबाइल सेवा के लिए लाइसेंस बांटना आरंभ किया था और इसी मौके का फायदा उठाते हुए सुनील ने फ्रेंच कंपनी विवेंडी के साथ मिलकर दिल्ली और आसपास के इलाकों के सेल्युलर लाइसेंस प्राप्त किए। सुनील मित्तल ने सेल्युलर सेवाओं की पेशकश के लिए भारतीय सेल्युलर लिमिटेड की शुरुआत 1995 में की और इस प्रकार से एयरटेल ब्रांड का जन्म हुआ।

एयरटेल कंपनी की शुरुआत बहुत ही शानदार रही। बहुत ही जल्द 20,000 से 2 लाख और 20 करोड़ यूजर्स इस कंपनी के पास हो गए। जैसे-जैसे एयरटेल कामयाबी के शिखर पर पहुंचता जा रहा था वैसे वैसे अपने जैसी अन्य कंपनियों को अपने साथ मिलाने लगा। 1999 में कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के जेटी होल्डिंग्स, 2000 में चेन्नई में स्काईसेल कम्युनिकेशंस और 2001 में स्पाइस सेल कोलकाता का अधिग्रहण एयरटेल ने किया।

जब सुनील मित्तल की कंपनी एयरटेल बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हुई तब उन्हें बड़ी कामयाबी मिली। 2008 तक भारत में एयरटेल के छह करोड़ कस्टमर्स हो गए थे। इसी के साथ इस कंपनी की वैल्यूएशन 40 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई और दुनिया की टॉप टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल बनी।

सुनील भारती मित्तल बने भारत के 6वें सबसे अमीर व्यक्ति

आपको बता दें कि कभी 4.50 लाख रुपए में यह कंपनी शुरू की गई थी लेकिन आज लगभग 35 करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं को यह कंपनी अपने साथ जोड़ चुकी है। सुनील भारती मित्तल को फोर्ब्स ने 11.6 बिलियन डॉलर की संपत्ति के साथ भारत के 6वें सबसे अमीर व्यक्ति के रूप में लिस्टेड किया गया है।

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