यहां भाई के लिए बहन बनती है दूल्हा, बारात ले जाकर भाभी संग लेती है सात फेरे, दिलचस्प है वजह

भारत विविधताओं से भरा देश है। यहां कई रस्में और प्रथाएं हैं जो निभाई जाती हैं। कुछ रस्में बेहद प्रचलित हैं, वहीं कुछ प्रथाएं समय के साथ खत्म होते जा रही है। कुछ रस्मों के खत्म होने की वजह सामाजिक स्वीकृति न मिलना है। फिर भी भारत में एक ऐसी जगह है जहां एक हैरानी भरी प्रथा आज भी जारी है।
इस प्रथा के बारे में आप जानकर आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रह पाएंगे। यहां जब किसी लड़के की शादी होती है तो वो बारात लेकर नहीं जाता है। बल्कि उसके बदले उसकी बहन को दूल्हा बनाया जाता है। इतना ही नहीं वो बारात लेकर जाकर भाभी के साथ सात फेरे भी लेती है। आखिर ऐसा क्यों होता है, आइए जानते हैं।
गुजरात में निभाई जाती है ये रस्म
अगर आप इस प्रथा के बारे में नहीं जानते हैं तो आपको बता दें कि भारत के गुजरात राज्य में इस प्रथा को आज भी माना जाता है। यहां एक जिला है जिसका नाम उदेपुर है। इस जिले के तीन गांवों में ये अजीब सी प्रथा मनाई जाती है। इस प्रथा के बारे में जानने के बाद हर कोई हैरत में पड़े बिना नहीं रह पाता है।
जिन तीन गांवों में ये प्रथा प्रचलित है उनके नाम अंबाला, सूरखेडा और सनाडा गांव हैं। यहां हाल ही में एक शादी हुई जो काफी चर्चा का विषय बन गई। यहां के अंबाला गांव में रहने वाले नरेश की शादी फेरकुवा गांव की लीला से तय हुई। नरेश के पिता हरिसिंग रायसिंग ने अपने बेटे की शादी इसी प्रथा से की। नरेश की बहन असली बारात लेकर गई।
जानें क्या है इस प्रथा की वजह
इस प्रथा के हिसाब से बहन नरेश की जगह दूल्हा बनी। वो बारात लेकर गई। वहां उसने भाभी लीला के साथ दूल्हा बनकर मंगल फेरे भी लिए। इसके बाद वो दुल्हन की विदाई करवाकर अपने गांव वापस लौटी। अब हम आपको बताते हैं कि इस प्रथा को आखिर तीन गांव के लोग क्यों मानते हैं। इसके पीछे वहां के इष्ठ देव कारण हैं।
इन तीन गांवों में आदिवासी समाज के लोग रहते हैं। इनके आराध्य देव भरमादेव और खूनपावा हैं। यहां के लोगों की मान्यता है कि भरमादेव कुंवारे हैं। ऐसे में अगर कोई भी लड़का इन तीन गांवों से संबंध रखता है तो वो अपनी बारात लेकर नहीं जा सकता है। ऐसा हुआ तो उसको भरमादेव के गुस्से का सामना करना होगा।
सदियों से जारी है अजीब प्रथा
इन तीन गांवों में ये प्रथा कुछ सालों से नहीं बल्कि सदियों से जारी है। अंबाला गांव में रहने वाले बेसण राठवा ने इस परंपरा को न मानने वालों का हाल भी बताया। उन्होंने कहा कि कुछ वर्ष पहले तीन लड़कों ने इस परंपरा को मानने से इनकार कर दिया था। वो इस प्रथा को बदलना चाहते थे।
उनका दावा है कि इसके बाद देव का उनके ऊपर प्रकोप हुआ और तीनों की ही मौत हो गए। इसी वजह से अब इन तीनों गांव के लोग प्रथा के हिसाब से ही विवाह किया करते हैं। उनका दावा है कि ऐसे विवाह से देव प्रसन्न रहते हैं।