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चिता को एकटक देखती रही और रोती रही पत्नी, दुनिया ही लूट गयी फिर सैल्यूट कर बोली – ‘आई लव यू’

फौजी हमारे देश का संपूर्ण रूप से रक्षा करते हैं। देश के शान और उसकी रक्षा के लिए यह अपने प्राणों की भी आहुति दे देते हैं। हमारे देश के फौजी सरहद पर अपना सर कटाने और अपनी सारी इच्छाएं और खुशियों को दांव पर लगाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। कड़ी धूप हो या आंधी, यह किसी से भी नहीं घबराते हैं। बस देशभक्ति के गीत गुनगुनाते हुए हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुति दे देते हैं। इसी बीच शोपियां में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में मेजर मयंक बिश्नोई बुरी तरह से घायल हो गए थे जिसके बाद उन्हें सैनिक अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया परंतु उनकी जान नहीं बचाई जा सकी।

आपको बता दें कि देश की सरहद पर दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हुए मेजर मयंक बिश्नोई का सूरजकुंड श्मशान घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। अपने लाडले देशभक्त को पूरा शहर श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचा। शहीद मेजर मयंक बिश्नोई की अंतिम विदाई में हजारों लोगों की भीड़ देखने को मिली थी जो भारत माता की रक्षा करते हुए शहीद हुए युवा के अंतिम दर्शन करना चाहती थी।

शहीद मेजर मयंक बिश्नोई को सैन्य सम्मान के साथ ही थ्री जाट रेजिमेंट के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। आरआर बटालियन की राजपूत रेजीमेंट सहित सभी सैन्य अफसरों ने पुष्प अर्पित किए। वहीं उनके पिता वीरेंद्र सिंह ने उन्हें मुखाग्नि दी थी। अपने 30 साल के जवान पति को खोने की वजह से पत्नी स्वाति गहरे सदमे में है। अंतिम संस्कार के वक़्त वह कभी रोती तो कभी गुमसुम सी खड़ी अपने पति मयंक को निहार रही थी।

शहीद मेजर मयंक बिश्नोई के जाने से उनकी पत्नी स्वाति का बुरा हाल है। वह इस वक्त किस परिस्थिति से गुजर रही होंगी, यह कोई नहीं जान सकता। मयंक के अंतिम संस्कार के दौरान स्वाति उनको एक टक नजर से देखती रहीं, तो कभी एकदम से ही वह रोने लगतीं। जब सैन्य अधिकारियों ने उनको मयंक से दूर किया तो स्वाति ने सेल्यूट किया और “आई लव यू” कहकर हट गईं। शहीद मयंक को मुखाग्नि देते समय उनके सम्मान तिरंगे को हटाकर जब स्वाति को दिया गया तो स्वाति तिरंगे को सीने से लगा कर रोने लगी थीं। वहीं स्वाति की बहन भी रोते-रोते बेहोश हो गई थीं। मयंक की पत्नी स्वाति को देखकर वहां पर मौजूद सभी लोग भावुक हो गए थे।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शहीद मेजर मयंक बिश्नोई को श्रद्धांजलि देते हुए यह कहा कि शौक की इस घड़ी में राज्य सरकार उनके साथ हैं। प्रदेश सरकार द्वारा शहीद के परिवार को हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि परिवार को 50 लाख रूपए की आर्थिक सहायता और एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी के साथ ही जनपद की एक सड़क का नाम मयंक बिश्नोई के नाम पर रखा जाएगा।

मयंक पढ़ाई और खेल-कूद में सबसे आगे थे। उनके दोस्तों का ऐसा कहना है कि तीन दोस्तों की जोड़ी में से मयंक के सबसे अधिक अंक आते थे। इतना ही नहीं बल्कि गली मोहल्ले के लोग छोटे बच्चों को मयंक का उदाहरण देते थे। आपको बता दें कि मयंक के पिताजी भी आर्मी में ही थे और मयंक उन्हें अपना प्रेरणा स्रोत मानते थे। मयंक की 12वीं तक की पढ़ाई केवी से हुई और उनके साथ उनका दोस्त अमन भी था जो अब वायु सेवा में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। फिजिकल प्रैक्टिस के लिए दोनों ही एक साथ जाया करते थे।

मयंक के अंदर देशभक्ति का जज्बा कूट-कूट कर भरा था। उन्होंने एनडीए की परीक्षा पास करने के लिए पांच बार एग्जाम दिया। अगर वह रिटर्न में पास हो जाते थे तो इंटरव्यू क्वालीफाई नहीं कर पाते थे परंतु उन्होंने अपनी कोशिश लगातार जारी रखी और पांचवी बार में उनको कामयाबी मिल गई। 2010 में वह पास आउट हुए, जिसके बाद उनको कश्मीर में पोस्टिंग मिली। आपको बता दें कि सेना में हिल एरिया में रहने के लिए एक समय सीमा होती है। उनके डेढ़ साल हिल एरिया में पूरे हो चुके थे। अधिकारियों ने जब उनको कहा कि आप एक 6 महीने बचे हैं। आप उन्हें बाद में कभी भी पूरा कर सकते हैं परंतु मयंक ने बॉर्डर पर ही रहने का फैसला किया था।

जब मयंक 27 अगस्त पर ड्यूटी पर तैनात थे तो उस दौरान शोपियां के साथ उनका सामना हुआ था। इस दौरान उन्होंने आतंकियों मजा चखाया परंतु मुठभेड़ में वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। मयंक के सर पर गोली लग गई थी, जिसके बाद उनको उधमपुर आर्मी अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया परंतु इलाज के दौरान ही उन्होंने अपना दम तोड़ दिया।

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