मां-बाप और भाई की हत्या के बाद नौकरानी बन गई थीं टुनटुन, फिर ऐसे बनीं 1st महिला कॉमेडियन

चकाचौंध से भरी फिल्म इंडस्ट्री में नाम कमाने के लिए एक कलाकार को कई संघर्षों का सामना करना पड़ता है। यदि इन्हें काम करने का मौका मिल भी जाए तो ऐसा जरूरी नहीं कि ताउम्र इनका सितारा चमकता रहेगा। बड़ा मुकाम हासिल करने के बाद भी कई सुपरस्टार को असफलता का सामना करना पड़ा और इनका अंतिम समय भी काफी दर्दनाक रहा।
बता दे भारतीय सिनेमा की पहली महिला कॉमेडियन उमा देवी खत्री उर्फ टुनटुन भी फिल्म इंडस्ट्री का एक बड़ा नाम थी लेकिन उन्होंने अपनी जिंदगी में कई संघर्ष देखें। पहले माता पिता की मौत देखी और फिर भाई की हत्या के बाद नौकरानी की तरह काम करना समेत उनकी जिंदगी में ऐसी कई मुश्किल सामने आई। बता दे आज उमा देवी की 99वीं बर्थ एनिवर्सरी है। ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें…
गरीबी में बिता बचपन, मां पिता की मौत के बाद बनीं नौकरानी
बता दें, उमा देवी का जन्म 11 जुलाई 1923 को उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में हुआ। अपनी बेहतरीन कॉमेडी के जरिए फिल्मी दुनिया में एक बड़ा नाम कमाने वाली उमा देवी सबसे पहले सिंगर बनी और फिर कॉमेडी में हाथ आजमाया जिसके बाद वह एक बड़ा सितारा बनकर उभरी। बचपन से ही उमा देवी के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी।
उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान साझा किया था कि, “मुझे याद नहीं कि मेरे माता-पिता कौन थे और वे कैसे दिखते थे। मैं बमुश्किल दो या ढाई साल की थी, जब उनका निधन हो गया। मेरा 8-9 साल का भाई था, जिसका नाम हरि था। मुझे याद है कि हम अलीपुर नाम के गांव में रहते थे। एक दिन मेरे भाई की हत्या कर दी गई और मुझे दो वक्त के खाने के लिए अपने ही रिश्तेदारों के घर में नौकरानी का काम करना पड़ा।”
हालांकि वह अपने रिश्तेदारों को चकमा देकर मुंबई भाग आई और यहां पर उन्होंने गाने के ऑडिशन दिए। इसके बाद साल 1986 में उन्हें फिल्म ‘वामिक आजरा’ में गाने का मौका मिला। इसके बाद उन्हें फिल्म ‘दर्द’ में गाए गाने ‘अफ़साना लिख रही हूं दिल-ए- बेकरार का’ से पहचान मिली। इसी फिल्म में उन्होंने करीब तीन ‘आज मची है धूम’, ‘ये कौन चला’ और ‘बेताब है दिल दर्द-ए-मोहब्बत से’ गाने गाए जो काफी मशहूर हुए। इसके बाद उमा देवी का सिंगिंग का सितारा चमक गया और उन्होंने कई हिट सॉन्ग्स गए।
सिंगिंग छोड़ एक्टिंग की दुनिया में कमाया बड़ा नाम
कई फिल्मों में गाने गाने के बाद उन्होंने एक्टिंग शुरू की और उनकी कॉमेडी खूब पसंद की गई। कहा जाता है कि उमा देवी दिलीप कुमार की बहुत बड़ी फैन थी और उनके साथ काम करना चाहती थी। ऐसे में उन्होंने साल 1950 में रिलीज हुई फिल्म ‘बाबुल’ में दिलीप कुमार के साथ काम किया और इसी फिल्म के बाद उमा देवी को ‘टुनटुन’ नाम से पहचाना जाने लगा।
बता दें इसके बाद उमा देवी ने अपने करियर में ‘आरपार’, ‘मिस्टर एंड मिसेज 55’, ‘प्यासा’ और ‘नमक हलाल’ जैसे करीब 198 हिंदी और उर्दू फिल्मों में काम किया। आखिरी बार वह साल 1990 में रिलीज हुई फिल्म ‘कसम धंधे’ की में नजर आई थी। इसके बाद 30 नवंबर 2003 को वह इस दुनिया से रुखसत हो गई।