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मिलिए बिलासपुरी की सीमा वर्मा से, जिन्होंने 1 रुपया मुहिम से सैकड़ों बच्चों की बदल दी तकदीर

हर एक विद्यार्थी की जिंदगी में शिक्षक एक ऐसा महत्वपूर्ण इंसान होता है, जो अपने ज्ञान, धैर्य, प्यार और देखभाल से उसकी पूरी जिंदगी को एक मजबूत आकार देता है। शिक्षक कभी भी बुरे नहीं होते हैं, यह सिर्फ उनके पढ़ाने का तरीका होता है, जो एक दूसरे से अलग होता है और विद्यार्थियों के दिमाग में उनकी अलग छवि बनाता है। हमेशा शिक्षक सिर्फ अपने विद्यार्थियों को खुश और सफल देखना चाहते हैं। शिक्षक के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वह उस मोमबत्ती की तरह होता है जो खुद जलकर भी हजारों की जिंदगी रौशन करता है।

शिक्षक की वह इंसान होता है, जिसे भगवान के द्वारा धरती पर भेजा जाता है। इसके साथ ही बुरी परिस्थितियों में सही फैसला करने में उन्हें सक्षम बनाता है। वैसे देखा जाए तो शिक्षक बनाना इतना सरल बिल्कुल भी नहीं है। अक्सर हम सभी लोग खबरों में यह सुनते रहते हैं कि जिसको कुछ नहीं आता वह टीचर बन गया। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं समाज में बहुत से लोग हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो बच्चों के जीवन को बेहतर से बेहतर बनाने का हर संभव प्रयास करते रहते हैं।

आज हम आपको इस लेख के माध्यम से एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने अपनी एक मुहिम से हजारों बच्चों की मदद की है। उनके इस अभियान को काफी सराहना मिली है। दरअसल, हम आपको जिस महिला के बारे में बता रहे हैं वह बिलासपुर, छत्तीसगढ़ की सीमा वर्मा हैं। सीमा वर्मा अपनी वकालत की पढ़ाई करने के साथ-साथ ही कई बच्चों के भविष्य को सुधारने में जुटी हुई हैं।

“एक रुपया” मुहिम से सैकड़ों बच्चों की बदल दी तकदीर

आपको बता दें कि सीमा वर्मा के द्वारा 12वीं तक की पढ़ाई के लिए बच्चों को जागरूक करने के लिए और जरूरतों को पूरा करने के लिए एक रुपया मुहिम शुरू किया गया है। वह 5 साल में 13,500 से ज्यादा स्कूली बच्चों के लिए स्टेशनरी सामग्री उपलब्ध करवा चुकी हैं। सीमा वर्मा इसके अलावा 34 स्कूली बच्चों की पढ़ाई का लगातार खर्चा उठा रही हैं, जब तक बच्चे 12वीं पास ना कर लें, पूरा खर्चा उठाने की जिम्मेदारी उन्होंने अपने हाथ में ली है।

जानिए “एक रुपया” मुहिम क्या है?

आपको बता दें कि सीमा वर्मा लोगों से एक-एक रुपए जमा करती हैं और जो भी पैसे जमा होते हैं, वह उनसे गरीब, जरूरतमंद बच्चों की सहायता करती हैं। सीमा वर्मा किसी से भी एक रुपए से ज्यादा नहीं लेती हैं। उन्होंने अपने इस मुहिम के जरिए अब तक लाखों रुपए जमा कर लिए हैं और उन्होंने सैकड़ों बच्चों के जीवन को बदल दिया है। सीमा वर्मा की इस मुहिम की आम लोग से ही नहीं बल्कि अफसरों से भी सराहना मिली है।

काशी हिन्दू यूनिवर्सिटी से मिला मुहिम का आईडिया

सीमा वर्मा ने यह बताया कि एक रुपए मुहिम का आईडिया उनको महामना मदन मोहन मालविय से आया था। महामना मदन मोहन मालविय ने एक-एक रुपए चंदा इकट्ठा करके काशी हिंदू विश्वविद्यालय बनवाया था। कई लोग ऐसे भी हैं, जो सीमा वर्मा की इस मुहिम की वजह से उनको भिखारी तक कह देते हैं लेकिन उनको इन सभी बातों से कोई भी फर्क नहीं पड़ता है। उन्होंने इस मुहिम की शुरुआत 2016 में अपने कॉलेज से की थी और 395 रुपए जमा किए। इन पैसों से उन्होंने एक छात्रा के स्कूल की फीस भरी।

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