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इस शख्स ने बकरे की फोटो लगा केक काटकर दी कुर्बानी, इस अनोखी कुर्बानी देने की बताई वजह

.बीते दिन देशभर में बकरीद का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस मौके पर लोग बड़ी संख्या में घरों से बाहर निकले, मस्जिदों में नमाज अदा की और गले मिलकर एक दूसरे को बधाई दी। बता दें कि बकरीद इस्लाम धर्म का दूसरा सबसे प्रमुख त्यौहार है। इस्लाम धर्म के लोग मस्जिद में जाकर नमाज अदा करते हैं और फिर जानवर की कुर्बानी देते हैं। बकरीद का पर्व उत्तर प्रदेश में भी बड़े ही धूमधाम से मनाया गया।

कुर्बानी को लेकर सरकार ने गाइडलाइन भी जारी की थी। वहीं सीतापुर के एक मुस्लिम परिवार ने बकरीद के पर्व पर अलग ही अंदाज से कुर्बानी देकर पूरे समाज के लिए एक अनोखी मिसाल पेश की है। जी हां, यहां पर एक मुस्लिम युवक ने जिंदा बकरे की कुर्बानी नहीं दी बल्कि उसकी जगह केक काटकर बकरीद का पर्व मनाया।

बकरे की फोटो बने केक को काटकर दी कुर्बानी

दरअसल, आज हम आपको जिस मामले के बारे में बता रहे हैं यह सीतापुर शहर के मोहल्ला ग्वालमंडी का है। एक तरफ जहां अन्य लोग बकरों की कुर्बानी देने में व्यस्त थे। वहीं यहां के रहने वाले मेराज अहमद ने बकरीद के मौके पर बेजुबान पशु की कुर्बानी ना देकर प्रतीकात्मक बकरे का केक बनाया और उसको काटकर कुर्बानी दी। जी हां, उन्होंने बकरीद के मौके पर बकरे की कुर्बानी देने की जगह बकरे की फोटो बने केक को काटकर कुर्बानी दी है। उनके द्वारा किया गया यह काम अब चर्चाओं में छाया हुआ है।

अनोखी कुर्बानी देने की बताई वजह

आपको बता दें कि मेराज अहमद पशु सेवा समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। उन्होंने इस तरह की अनोखी कुर्बानी देने की वजह भी बताई। मेराज अहमद ने इस मौके पर आमजन से अपील करते हुए कहा कि इस बकरीद के पर्व पर किसी पशु की कुर्बानी बिल्कुल ना दें। उन्होंने कहा कि किसी का जीवन खत्म करने का हक अल्लाह ने किसी मनुष्य को नहीं दिया है क्योंकि सबका जीवन अनमोल है।

मेराज अहमद ने कहा कि कुर्बानी कई तरह से दी जा सकती है। जरूरी नहीं है कि किसी पशु की ही कुर्बानी दी जाए, बल्कि किसी जरूरतमंद बेटी की शादी करवाकर, किसी को रक्तदान कर उसकी जिंदगी बचा कर भी कुर्बानी में शामिल हुआ जा सकता है।

गरीबों की मदद करें

मेराज अहमद ने बताया कि समाज में सर्वोच्च सोच रखने की अब आवश्यकता है। बकरीद का त्यौहार साल में एक बार आता है और इस मौके पर हजारों लाखों रुपए के बकरों की कुर्बानी दे दी जाती है। लेकिन व्यक्ति यह नहीं देखता कि समाज में कितनी गरीबी है। उन्होंने कहा कि हालत यह है कि लड़कियों की गरीबी के चलते शादी नहीं हो पा रही है, इसलिए कुर्बानी के तरीके को अब बदलना चाहिए और उसकी जगह अब गरीबों की मदद करनी चाहिए।

आपको बता दें कि मेराज अहमद पशु प्रेमी हैं और वह समाज को एक नया संदेश देने में कायम हुए हैं। मेराज अहमद ने बकरीद के मौके पर बकरे की कुर्बानी देने की जगह बकरे की फोटो बने केक को काटकर कुर्बानी दी है। उनकी इस अनोखी कुर्बानी और उनके द्वारा किए गया यह कार्य अब चर्चा का विषय बना हुआ है।

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