आजमगढ़: इस मुस्लिम लड़की को मिली बुर्के और 3 तलाक से आज़ादी, मंदिर में हिंदू प्रेमी से रचाई शादी

प्यार केवल ढाई अक्षर का छोटा सा शब्द है परंतु यह अपने आपमें कितने सारे अर्थ समेटे हुए है। जी हां, प्रेम, प्यार, मोहब्बत, इश्क, लव कई नामों से जाना जाने वाला शब्द प्यार ढाई अक्षर का होते हुए भी अपने अर्थ को इतना विशिष्ट बनाए हुए हैं कि आज तक बहुत सारे कवियों और साहित्यकारों और लेखकों, ऋषि-मुनियों और अन्य सभी पृथ्वी वासियों ने इसके अर्थ को स्पष्ट करने का भरसक प्रयास किया परंतु प्रेम शब्द का अर्थ एक लाइन या कुछ शब्दों में बता पाना आज भी उतना ही मुश्किल है।
ऐसा कहा जाता है कि जब किसी को प्यार हो जाता है तो वह अपने प्यार को पाने के लिए सारी दुनिया से भी लड़ने को तैयार हो जाता है। कुछ भी करके दो प्यार करने वाले एक दूसरे के साथ जीवन जीने के बारे में ही सोचते हैं। इसी बीच उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के अतरौलिया क्षेत्र में स्थित मंदिर परिसर का माहौल उस समय एक नई इबारत को लिख गया, जब एक मुस्लिम लड़की ने अपने हिंदू प्रेमी के गले में वरमाला डाला और उसे अपना जीवनसाथी बना लिया।
प्यार में लड़की ने तोड़ी मजहब की दीवार
दरअसल, आज हम आपको जिस मामले के बारे में बता रहे हैं यह अतरौलिया से प्रकाश में आया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, सम्मो माता मंदिर परिसर में एक मुस्लिम लड़की ने हिंदू धर्म अपनाकर अपने हिंदू प्रेमी के गले में वरमाला डाल कर उसे अपना जीवन साथी बना लिया। मंदिर परिसर में सात फेरों के साथ इस प्रेमी जोड़े को परिजनों और गणमान्य लोगों द्वारा नव दंपत्ति को खुशमय जीवन का आशीर्वाद दिया गया। हिंदू रीति रिवाज के साथ विवाह कार्यक्रम संपन्न हुआ।
हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार बृहस्पतिवार को स्थानीय सम्मो माता मंदिर में दोनों ने शादी कर ली। यह शादी लोगों के लिए चर्चा का विषय बनी हुई है। वहीं मंदिर परिसर में आए हुए परिजन ने दोनों वर-वधू को आशीर्वाद भी दिया। वैवाहिक सूत्र में बंधे प्रेमी युगल ने यह बताया कि हम लोग बिना किसी दबाव के अपनी रजामंदी से विवाह कर रहे हैं।
दो वर्ष पहले शुरू हुई थी मोहब्बत
रिपोर्ट्स के अनुसार, अतरौलिया क्षेत्र के खानपुर फतेह गांव निवासी सूरज को 2 साल पहले हैदरपुर ख़ास गांव की एक मुस्लिम लड़की मोमिन खातून से मोहब्बत हो गई। समय के साथ साथ इन दोनों का प्यार धीरे-धीरे परवान चढ़ता चला गया, जिसके बाद अपने परिवारवालों के चोरी छुप-छुपकर दोनों एक दूसरे से मिलने जुलने लगे और एक साथ जीने मरने की कसम खाने लगे।
लेकिन जब इस बात की जानकारी लड़की के घरवालों को मालूम हुए तो धर्म के कारण एतराज जताने लगे। जबकि प्रेमी के परिजनों को कोई भी एतराज नहीं था। इतना ही नहीं बल्कि प्रेमिका के परिजनों ने प्रेमी और उसके परिजनों पर दबाव भी बनाने का प्रयास किया कि वह इस्लाम धर्म को अपना लें लेकिन प्रेमिका ने इस बात से इनकार कर दिया।
दोनों ने विवाह करने का ठान लिया और धर्म की आड़े आ रही दीवार को तोड़ने का फैसला किया। दोनों ने क्षेत्र के सम्मो माता मंदिर में हिन्दू रिति रिवाज से शादी रचाई। यह शादी चर्चा का विषय बनी हुई है।