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पापा ने आलू बेचकर बेटियों को पढ़ाया, दोनों एक साथ बनीं दरोगा, खुशी में पिता बांट रहे हैं लड्डू

इंसान अपने जीवन में अपनी मंजिल पाने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत करता है। लेकिन सभी को अपनी मंजिल मिल जाए, ऐसा संभव नहीं हो सकता। कुछ ही लोग होते हैं जो अपनी मंजिल को हासिल करने में सफल हो पाते हैं। ऐसा कहा जाता है ना कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। अगर इंसान कुछ करने की ठान ले और हर परिस्थितियों में भी लगातार मेहनत करता रहे तो उसको अपनी मंजिल मिल ही जाती है।

इस कहावत को बिहार के नवादा की रहने वाली दो बहनों ने साबित कर दिखाया है। दरअसल, इन दो बहनों ने बिहार की दरोगा परीक्षा में सफलता हासिल ही नहीं की बल्कि अपने क्षेत्र का नाम रौशन करने के साथ ही अपने पिता का सिर भी गर्व से ऊंचा कर दिया है। अगर आप इन दोनों बहनों की पढ़ाई और उनकी पारिवारिक स्थिति के बारे में जानेंगे, तो आप भी इनकी मेहनत की तारीफ किए बिना खुद को नहीं रोक पाएंगे।

बेटियों ने पिता का सिर गर्व से कर दिया ऊंचा

दरअसल, आज हम आपको जिन दो सगी बहनों के बारे में बता रहे हैं, वह नवादा जिले के पकरीबरावां बाजार की रहने वाली हैं। इन दोनों बहनों का नाम प्रिया और पूजा है। इनके पिता जी मदन साव के घर पर खुशी का माहौल बना हुआ है। मदन साव की इन दोनों बेटियों ने बिहार के दरोगा परीक्षा में सफलता हासिल कर ना केवल गांव का बल्कि पूरे इलाके का नाम रोशन कर दिया। इन दोनों बहनों की सफलता से आज उनके पिता मदन साव को सबसे ज्यादा गर्व महसूस हो रहा है। उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।

इन दोनों ने बहनों ने सीमित संसाधनों और अपनी मेहनत के बल पर ही दरोगा की परीक्षा में एक साथ सफलता हासिल की। उनकी इस सफलता के बाद पिता की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। रिजल्ट आने के बाद जैसे ही यह पता चला कि प्रिया और पूजा का चयन दरोगा के लिए हो गया तो पूरा परिवार खुशी से झूम उठा। खुशी में पिता मदन साव, जो आलू बेचते हैं वह अब लड्डू बांट रहे हैं।

पढ़ने में तेज रहीं हैं दोनों बहनें

आपको बता दें कि शुरू से ही पढ़ने में प्रिय और पूजा तेज रही हैं। प्रिया ने 2013 में प्रोजेक्ट कन्या मध्य विद्यालय पकरीबरावां से मैट्रिक की परीक्षा पास की और उसे 77% अंक मिले। वहीं दूसरी बहन पूजा ने साल 2014 में हाई स्कूल पकरीबरावां से मैट्रिक की परीक्षा पास की और उसे 66% अंक प्राप्त हुए। इन दोनों बहनों ने पकरी कला से ही इंटर और स्नातक की पढ़ाई पकरीबरावां से की है। दोनों बहनों ने एक साथ ही दरोगा की परीक्षा की तैयारी शुरू की थी और दोनों ही बहनों का एक साथ परीक्षा में चयन भी हुआ।

पिता ने आलू बेचकर बेटियों को पढ़ाया

आपको बता दें कि मदन साव पकरीबरावां में ही फुटपाथ पर आलू की दुकान लगाते हैं, जिससे उनका परिवार चलता है। इसी दुकान पर आलू बेचकर उन्होंने अपनी दोनों बेटियों को पढ़ाया। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। सीमित संसाधनों की वजह से वह अपनी बेटियों को कहीं बाहर नहीं भेज पाए। परंतु कभी भी उनकी पढ़ाई में किसी भी प्रकार की बाधाएं उत्पन्न नहीं होने दी।

हमेशा से ही मदन साव अपनी बेटियों को खूब पढ़ने लिखने के लिए कहते हैं। भले ही दोनों बहनों ने स्थानीय विद्यालय में पढ़ाई की परंतु पढ़ाई को हमेशा उन्होंने गंभीरता से लिया है और उनको अपने पिता की स्थिति की भी अच्छी तरह से समझ थी। मदन साव का ऐसा कहना है कि उन्होंने कभी भी अपनी बेटियों की पढ़ाई को रुकने नहीं दिया, चाहे इसके लिए उन्हें कर्ज ही क्यों ना लेना पड़ा।

ननिहाल से भी मिला सपोर्ट

बता दें कि परीक्षा के समय कुछ महीनों के लिए दोनों बहने अपने ननिहाल नवादा में रहकर तैयारी करने लगी थीं। दोनों बहनों ने गरीबी को काफी नजदीक से देखा है इसलिए वह घर पर ही रह कर दिन-रात मेहनत करने लगीं। पूजा और प्रिया को ननिहाल पक्ष से पूरा सपोर्ट मिला। इन दोनों बहनों ने अपनी इस सफलता का श्रेय माता-पिता के साथ नाना-नानी को भी दिया है। अब परिवार में खुशियों का माहौल बना हुआ है। लोग पिता-पुत्री का मुंह मीठा करवाने लगे। पिता भी खुशी से लड्डू बांट रहे हैं।

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