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पिता थे मजदूर, खुद बेची चाय, फिर अपनी कड़ी मेहनत और लगन से ऐसे IAS बने हिमांशु गुप्ता

कहते हैं कि अगर हौसले बुलंद हों, तो हर मंजिल हासिल की जा सकती है। इंसान अगर कड़ी मेहनत और संघर्ष करे, तो वह अपने सपने को साकार जरूर कर लेता है। बहुत से लोग ऐसे हैं, जो अपने सपनों को बीच में अधूरा ही छोड़ देते हैं क्योंकि उनके पास उनको पूरा करने के लिए उतनी मूलभूत सुविधाएं नहीं होती है जितनी आवश्यकता पड़ती है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स की कड़ी मेहनत और लगन की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने वह हासिल कर लिया, जो वह चाहता था।

दरअसल, आज हम आपको जिस शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं, वह आईएएस अधिकारी हिमांशु गुप्ता हैं, जो उत्तराखंड के जिला सितारगंज के रहने वाले हैं। आईएएस हिमांशु गुप्ता सभी सिविल सेवा उम्मीदवारों के लिए एक प्रेरणा हैं, क्योंकि गरीबी और कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से यूपीएससी की परीक्षा पास की। उन्होंने यह साबित कर दिखाया है कि लगन और जज्बा हो तो कोई भी कठिन काम आसान हो जाता है।

बेहद गरीबी में बीता बचपन

हिमांशु गुप्ता उत्तराखंड के सितारगंज जिले के रहने वाले हैं। यह बचपन से ही काफी तेज थी। हिमांशु गुप्ता एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने अपना बचपन बेहद गरीबी में व्यतीत किया है। इनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी इसलिए उनका बचपन एक सामान्य बच्चों से बिल्कुल अलग रहा था। हिमांशु गुप्ता के पिताजी एक दिहाड़ी मजदूर थे, जिससे उनके घर का गुजारा जैसे तैसे चल पाता था। पिता की नौकरी से उनके परिवार की जरूरतें पूरी नहीं हो पाती थी।

 

पारिवारिक स्थिति खराब होने की वजह से हिमांशु के पिताजी ने एक चाय की दुकान खोलने का निर्णय लिया। उस समय हिमांशु अपने स्कूल की पढ़ाई कर रहे थे। वह अपने स्कूल में पढ़ते थे और स्कूल से आने के बाद अपने पिताजी के साथ चाय की दुकान पर उनकी सहायता करवाते थे।

आर्थिक बोझ के कारण कई कठिनाइयों का करना पड़ा सामना

हिमांशु गुप्ता ने मीडिया से बातचीत के दौरान यह बताया था कि उन पर हमेशा भारी आर्थिक बोझ रहता था। उन्होंने यह बताया कि “मैंने अपने पिता को कभी ज्यादा नहीं देखा, क्योंकि वह अलग-अलग जगहों पर नौकरी खोजने की कोशिश कर रहे थे। यह हमारे लिए आर्थिक रूप से बहुत कठिन था और यह भी एक कारण था कि मेरा परिवार बरेली के शिवपुरी चला गया, जहां मेरे नाना रहते थे। इसलिए मुझे वहां के स्थानीय सरकारी स्कूल में एडमिशन मिल गया।”

बचपन में अपनी प्रारंभिक शिक्षा कुछ ऐसे की पूरी

हिमांशु गुप्ता का बचपन बेहद गरीबी में व्यतीत हुआ, उनको बुनियादी अंग्रेजी शिक्षा के लिए रोजाना 70 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती थी। जब उन्होंने स्कूली शिक्षा पूरी की तो बाद में दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज में एडमिशन लिया और ट्यूशन और ब्लॉग लिखकर अपनी फीस भरी। उन्होंने पर्यावरण विज्ञान में मास्टर डिग्री हासिल की और अपने बैच में टॉप किया। उनके पास विदेश में पीएचडी करने का भी ऑप्शन था परंतु उन्होंने भारत में रहने और सिविल सेवा को आगे बढ़ाने का फैसला लिया।

हिमांशु ने अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक सरकारी कॉलेज में रिसर्च स्कॉलर के रूप में ज्वाइन किया। उन्होंने सोचा कि यह एक आदर्श स्थिति है, जिसके बारे में उन्होंने दावा किया कि ना सिर्फ उन्हें स्कॉलरशिप अर्जित करने में सहायता मिली, बल्कि सिविल सेवाओं की तैयारी के लिए एक शैक्षणिक माहौल भी प्रदान किया।

यूपीएससी परीक्षा में 3 बार की कोशिश

बता दें कि हिमांशु गुप्ता बिना किसी कोचिंग के अपने पहले यूपीएससी अटेम्पट में उन्होंने सिविल सेवा के लिए क्वालीफाई किया लेकिन केवल आईआरटीएस के लिए चयनित हुए। उनका आईएएस अधिकारी बनने का संकल्प और मजबूत हुआ फिर उन्होंने दोगुनी मेहनत की और 3 बार और प्रयास किया। उन्होंने परीक्षा पास कर ली लेकिन रैंक हासिल नहीं हो पाई परंतु चौथे प्रयास के बाद 2019 यूपीएससी परीक्षा में आईएएस अधिकारी बन गए। हम भी उनकी कड़ी मेहनत और लगन के जज्बे को सलाम करते हैं।

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