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कलयुग में श्रवण कुमार की तरह मां-बाप को बहंगी में बैठाकर बाबाधाम की यात्रा पर निकले बेटा-बहू

कलयुग में आज भी बहुत से लोग हैं, जो जिन माता-पिता ने हमें जन्म दिया, पालन पोषण किया, अच्छी शिक्षा दिलाकर जन्नत जीवन दिलाया, अच्छे संस्कार दिए, मगर सब भूलकर बुढ़ापे में उन माता-पिता को बेसहारा छोड़ देते हैं। जब बेटे की शादी हो जाती है तो बेटा और बहू बूढ़े मां-बाप की सेवा करना बोझ मानने लगते हैं। परंतु सभी लोग एक जैसे नहीं होते हैं। इसी बीच कलयुग में बिहार का एक बेटा और बहू श्रवण कुमार की भूमिका निभा रहे हैं।

बता दें कि सावन की शुरुआत होते ही भोलेनाथ के भक्त कावड़ लेकर उनके दर्शन के लिए निकल पड़े हैं। बिहार से भी भक्त बाबा के दर्शनों के लिए देवघर की ओर निकले। कावड़ियों का जत्था बोल बम के जयकारे के साथ अपनी ही मस्ती में जाते हुए नजर आ रहा है। इन कावड़ियों में बिहार के जहानाबाद के रहने वाले एक युवक भी हैं, जो कलयुग में श्रवण कुमार की तरह अपने माता-पिता को बाबा के धाम ले जा रहे हैं। इस यात्रा में उनकी पत्नी भी उनका साथ दे रही हैं।

105 किमी की यात्रा पर निकले बेटा-बहू

मिली जानकारी के अनुसार, जिस प्रकार से कभी श्रवण कुमार निकले थे, वैसे ही बिहार के जहानाबाद के रहने वाले चंदन कुमार और उनकी पत्नी रानी देवी माता-पिता को देवघर ले जाने के लिए श्रवण कुमार बन गए। यह अपने माता-पिता को देवघर ले जाने के लिए सुल्तानगंज गंगा घाट से जल लेकर निकले हैं। उनके दो बच्चे भी 105 किलोमीटर की इस यात्रा में उनके साथ में हैं।

चंदन कुमार ने बहंगी तैयार की, जिसमें वह अपने माता-पिता को देवघर ले जा सकें। इसके बाद श्रवण कुमार की तरह ही चंदन कुमार माता-पिता को बैठाकर जलाभिषेक के लिए निकले। इस यात्रा में बहंगी को आगे से बेटा तो पीछे से बहू उठाकर चल रही थी। रास्ते में जब यह जा रहे थे, तो इन्हें देखने वाले लोगों की भीड़ लगी रही।

माता-पिता को बाबाधाम की पैदल तीर्थ कराने की इच्छा मन में जागी

चंदन कुमार ने बताया कि हम प्रत्येक महीने सत्यनारायण व्रत का पूजन करते हैं और उसी दौरान मन में इच्छा जाहिर हुई माता और पिता जी को बाबा धाम की पैदल तीर्थ यात्रा कराने की। ऐसे में चंदन ने अपनी पत्नी से इसके बारे में बात की, तो उसने भी हिम्मत दिखाते हुए हामी भरी। जिसके बाद दोनों ने ये कार्य करने की ठान ली।

चंदन ने यह बताया कि उसके माता-पिता वृद्ध हैं, तो ऐसे में 105 किलोमीटर की लंबी यात्रा पैदल तय करना संभव नहीं था। जिसको देखते हुए उसने एक बहंगी तैयार करवाई और उसमें माता-पिता को बैठाकर बाबा के दर्शन के लिए निकल पड़े।

यात्रा लंबी जरूर है, लेकिन हम यात्रा को जरूर सफल करेंगे


चंदन ने रविवार को सुल्तानगंज से जल भरकर उस बहंगी में आगे पिताजी और पीछे माताजी को बैठाकर यात्रा शुरू की है। बहंगी के आधे हिस्से को इस वृद्ध दंपत्ति के पुत्र ने अपने कंधे पर लिया है जबकि उनकी पत्नी रानी देवी पीछे से सहारा दे रही हैं। उन्होंने बताया कि यात्रा लंबी जरूर है, और इसमें समय लगेगा, लेकिन हम इस यात्रा को जरूर सफल करेंगे।

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