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ये पत्ता बेचकर एक साल में कमा लिए 630 करोड़, 12 लाख लोगों को मिला रोजगार अवसर, जानें डिटेल्स

तेन्दूपत्ता से होने वाली आमदनी सोने चांदी के व्यापार से होने वाली आमदनी के बराबर होती है। यही वजह है कि इस तेंदूपत्ता को हरा सोना का नाम भी दिया गया है। जी हां, छत्तीसगढ़ राज्य की सरकार ने एक ऐसा बड़ा दावा किया है कि चालू वर्ष 2022 के दौरान अब तक 15 लाख 78 हजार मानक बोरा तेंदूपत्ता का संग्रहण हुआ है, जो लक्ष्य का 94% से ज्यादा है।

यह संग्रहण गत वर्ष की तुलना में लगभग 21% ज्यादा है। इनमें 12 लाख से ज्यादा तेंदूपत्ता संग्राहकों को जो 630 करोड़ रुपए कुल कमाई हुई है, उस राशि का राज्य शासान द्वारा भुगतान किया जाना है। राज्य सरकार का ऐसा भी दावा है कि तेंदूपत्ता संग्राहक को उनके भुगतान योग्य राशि का भुगतान तेजी से जारी है।

ऐसा दावा किया जा रहा है कि राज्य सरकार में तेंदूपत्ता संग्रहण आदिवासी-वनवासी संग्राहकों को रोजगार के साथ-साथ आय का भरपूर लाभ मिलने लगा है। यानी कि इससे आदिवासियों की अच्छी खासी आमदनी भी होती है। साथ ही राज्य सरकार को भी अच्छा खासा मुनाफा हो रहा है।

सरकार के द्वारा जो एक आंकड़ा पेश किया गया है, उसके अनुसार राज्य में साल 2020 में 9 लाख 73 हजार मानक बोरा और साल 2021 में 13 लाख 6 हजार मानक तेंदूपत्ता का संग्रहण हुआ था। यानी बीते वर्ष की तुलना में साल 2022 के दौरान तेंदूपत्ता संग्रहण में लगभग 21 फ़ीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

बस्तर के किन जिलों से संग्रहण

आपको बता दें कि यह हरा सोना और कुछ नहीं बल्कि बस्तर और छत्तीसगढ़ के अन्य जगहों पर मिलने वाला तेंदूपत्ता है। राज्य लघु वनोपज संघ से प्राप्त जानकारी के अनुसार, राज्य लघु वनोपज संघ से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अब तक जगदलपुर वनवृत्त के अंतर्गत वनमंडल बीजापुर में 52 हजार संग्राहकों द्वारा 32 करोड़ रूपए के 80 हजार 324 मानक बोरा,

सुकमा में 44 हजार संग्राहकों द्वारा 40 करोड़ रूपए के एक लाख मानक बोरा, दंतेवाड़ा में 20 हजार 323 संग्राहकों द्वारा 8 करोड़ रूपए के 19 हजार 408 मानक बोरा और जगदलपुर में 43 हजार 178 संग्राहकों द्वारा 6.56 करोड़ रूपए के 16 हजार 396 मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्रहण किया गया है।

कहां कितना तेन्दूपत्ता का संग्रहण किया गया?

बात दें की इसी तरह कांकेर वनवृत्त के अंतर्गत वनमंडल दक्षिण कोण्डागांव में 33 हजार 843 संग्राहकों द्वारा 6.93 करोड़ रूपए के 17 हजार 332 मानक बोरा, केशकाल में 35 हजार संग्राहकों द्वारा 10.45 करोड़ रूपए के 26 हजार 118 मानक बोरा, नारायणपुर में 16 हजार 738 संग्राहकों द्वारा 9.61 करोड़ रूपए के 24 हजार मानक बोरा,

पूर्व भानुप्रतापपुर में 32 हजार संग्राहकों द्वारा 38.48 करोड़ रूपए के 96 हजार 195 मानक बोरा, पश्चिम भानुप्रतापपुर में 33 हजार संग्राहकों द्वारा 31.62 करोड़ रूपए के 79 हजार 058 मानक बोरा तथा कांकेर में 33 हजार 928 संग्राहकों द्वारा 14.82 करोड़ रूपए के 37 हजार 047 मानक बोरा तेन्दूपत्ता का संग्रहण किया गया है।

बताते चलें कि छत्तीसगढ़ के बस्तर में गर्मी का मौसम आते ही तेंदूपत्ता की पैदावार शुरू हो जाती है और इस तेंदूपत्ता से बस्तर के आदिवासियों की अच्छी खासी आमदनी भी होती है। अप्रैल महीने की शुरुआत से ही तेंदूपत्ते की तोड़ाई के लिए ग्रामीण जंगलों में सक्रिय हो जाते हैं और खास बात यह है कि इस तेंदूपत्ता की तोड़ाई के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में पूरा परिवार जुटाता है। खासकर तेंदूपत्ता ही आदिवासियों को सबसे ज्यादा रोजगार और आर्थिक रूप से सक्षम बनाता है।

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