अजब ग़जब

गाय की मौत पर 4 दिन का शोक, 1100 ब्राह्मणों को भोज, नीमच में एक गौ प्रेमी ने पेश की अनूठी मिसाल

वैसे तो बहुत से पालतू जानवर हैं, लेकिन उनमें से सबसे गाय का सर्वोच्च स्थान है। गाय को भारत में माता का दर्जा दिया गया है। गाय का उल्लेख हमारे वेदों में भी पाया जाता है। गाय को देव तुल्य स्थान प्राप्त है। ऐसा कहा जाता है कि गाय में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास होता है। आज भी लोग अपने घर में गाय पालना पसंद करते हैं। जब कोई व्यक्ति अपने घर में गाय पालते हैं, तो वह उसकी सेवा करता है और उसे अपने घर के सदस्य जैसा ही मानता है।

गाय के साथ अक्सर घर के छोटे बच्चे भी खेलते रहते हैं। गाय एक बहुत शांत स्वभाव की होती है और छोटे बच्चों के साथ मां के जैसा ही प्रेम करती है। इसी बीच मध्य प्रदेश के नीमच जिले में एक परिवार ने गाय के प्रति अद्भुत प्रेम दिखाया है। यहाँ एक परिवार ने गाय की मृत्यु होने के पश्चात ना सिर्फ शोक रखा बल्कि भोज का भी आयोजन करवाया।

नहीं देखा होगा “गौभक्त का ऐसा प्रेम”

दरअसल, आज हम आपको जिस मामले के बारे में बता रहे हैं यह मामला मध्य प्रदेश के नीमच के एक गांव भादवामाता से सामने आया है। यहां के रहने वाले नरेश नामक एक व्यक्ति ने अपनी गाय की मृत्यु के पश्चात 4 दिन तक उसका शोक मनाया। इतना ही नहीं बल्कि गाय का पूरी विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। साथ ही गाय की आत्मा की शांति के लिए ब्राह्मणों को भोजन कराया गया। नरेश गुर्जर ने 2008 में गाय की छोटी बछिया को खरीदा था। घरवालों ने इसका नाम गौरी प्यार से रखा था।

14 साल तक किया पालन-पोषण

आपको बता दें कि गुर्जर परिवार ने 14 साल तक गाय गौरी का पालन पोषण किया। परिवार ने गौरी की देखरेख एक सदस्य की तरह ही की है। लेकिन पिछले बुधवार को वृद्ध एवं बीमार होने के कारण काफी इलाज कराने के बावजूद भी गौरी की मृत्यु हो गई। परिवार ने गौरी का खूब इलाज करवाया परंतु वह बच नहीं पाई।

गौरी की मृत्यु के पश्चात परिवार में मातम छा गया है। बाद में गुर्जर परिवार ने गौरी का विधि विधान से अपनी जमीन पर अंतिम संस्कार कर दफनाया है। इसके साथ ही 4 दिन का शौक भी रखा। इस दौरान सभी कामों से परिवार ने दूरी बना ली है।

ब्राह्मण को कराया गया भोज

बता दें कि शनिवार को गुर्जर परिवार में वेद पाठी ब्राह्मणों से गाय की आत्मा की शांति के लिए पूजा पाठ करवाया। इसके साथ ही 11 सौ से ज्यादा ब्राह्मण परिवार के लोगों को ब्रह्मभोज कराया है। गोपालक नरेश गुर्जर के द्वारा ऐसा बताया गया है कि इस आयोजन के माध्यम से यही संदेश देना चाहते हैं कि गौ माता हमारी संस्कृति का एक हिस्सा हैं। इन्हें आवारा सड़कों पर लोग ना छोड़े, उनका सम्मान करें और ज्यादा से ज्यादा लोग माता से जुड़े और गायों के प्रति प्रेम रखें।

बताते चलें कि जहां हजारों गायों को लोग इसलिए सड़कों पर भटकने के लिए छोड़ देते हैं क्योंकि उसने अब दूध देना बंद कर दिया है या बूढ़ी बीमार हो गई है। वहीं कुछ गोपालक नरेश गुर्जर जैसे भी लोग रहते हैं, जो इन गायों को अपने परिवार का सदस्य मानते हैं। वह ताउम्र उनकी सेवा करते हैं और उनकी मौत के बाद उनको अपने परिवार के सदस्य की ही तरह अंतिम संस्कार कर पूजा पाठ करवाते हैं। गौ प्रेमी नरेश गुर्जर ने एक अनूठी मिसाल पेश की है।

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