धार्मिक

10 दिनों के बाद ही क्यों करते हैं गणेश विसर्जन? महाभारत से जुड़ा है इसका कारण

गणेश चतुर्थी हिंदू धर्म का एक बहुत प्रिय त्योहार है। यह उत्सव पूरे भारत में बेहद भक्ति भाव और खुशी से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी महाराष्ट्र का बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। गणेश चतुर्थी का त्योहार आने के कई दिन पहले से ही बाजारों में इसकी रौनक देखने को मिलती है। गणेश पुराण के मुताबिक, भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था। इसी वजह से हर वर्ष भाद्रपद चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश जी का जन्मोत्सव बड़े ही उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

चतुर्थी तिथि पर गणेश प्रतिमा की स्थापना के साथ 10 दिनों तक गणेशोत्सव का पर्व मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि घर पर सुख-समृद्धि, शांति और बाधाओं को दूर करने के लिए घर पर गणपति की स्थापना और विधि विधान के साथ गणपति की पूजा लाभकारी होता है। वहीं 10 दिनों के बाद अनंत चतुर्थी के दिन गणेश प्रतिमा का विसर्जन करते हुए गणेशोत्सव पर्व संपन्न होता है।

हालांकि, कई स्थानों पर डेढ़ दिन, 5 दिन बाद भी गणपति विसर्जन किया जाता है। महाराष्ट्र में गणेश उत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इसके अलावा देश के कई राज्यों में गणेश उत्सव बड़े ही उत्साह और धूमधाम के साथ लोग मनाते हैं। लेकिन कभी आपने इस विषय में सोचा है कि आखिर गणपति 10 दिन ही क्यों विराजते हैं? आखिर क्यों 10 दिन बाद गणेश विसर्जन किया जाता है? बता दें कि महाभारत से इसके पीछे का ख़ास कारण जुड़ा हुआ है।

भगवान गणेश जी के शरीर पर जम गई थी धूल-मिट्टी

ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश जी का जन्म भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी के दिन हुआ था। इसके साथ ही पौराणिक कथाओं में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि गणेश चतुर्थी के दिन से ही महाभारत का लेखन कार्य शुरू हुआ था।

दरअसल, महर्षि वेदव्‍यास में महाभारत की रचना के लिए भगवान गणेश जी से इसे लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की थी। लेकिन गणेश जी ने उनके आगे यह शर्त रख दी थी कि वह अगर लिखना शुरू करेंगे, तो अपनी कलम नहीं रोकेंगे। इसके साथ ही गणेश जी ने यह भी कहा कि अगर कलम रुक गई तो वह वहीं पर लिखना बंद कर देंगे।

जिसके बाद महर्षि वेदव्‍यास ने गणेश जी से यह कहा कि भगवान आप विद्वानों में सबसे आगे हैं और मैं साधारण ऋषि। महर्षि वेदव्‍यास कहते हैं कि मुझसे श्लोकों में कोई गलती हो जाए तो आप उसे ठीक करते हुए लिपिबद्ध करते जाएं। इस प्रकार से महाभारत लेखन शुरू हुआ, जो लगातार 10 दिनों तक चला। अनंत चतुर्थी के दिन जब महाभारत लेखन का कार्य पूर्ण हुआ तो गणेश जी का शरीर जड़वत हो चुका था।

गणेश जी बिल्कुल भी हिल नहीं पा रहे थे क्योंकि उनके शरीर पर धूल-मिट्टी जम चुकी थी। तब भगवान गणेश जी ने सरस्वती नदी में स्नान करके अपने शरीर की धूल-मिट्टी साफ की थी। यही कारण है कि गणपति स्थापना 10 दिन के लिए ही की जाती है। फिर 10 दिनों के बाद अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन करते हैं।

मन-आत्‍मा पर लगे मैल हटाने का पर्व

अगर हम आध्‍यात्मिक दृष्टि से देखें तो गणेशोत्‍सव के यह 10 दिन संयम में रहने और हमारे मन-आत्मा पर लगे मैल को हटाकर उसे साफ करने का समय होता है। इन दिनों में मनुष्य को अपना अवलोकन करते हुए भगवान गणेश जी की भक्ति में पूरा ध्यान लगाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि सच्ची श्रद्धा और विधि-विधान से भगवान गणेश जी की पूजा करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं।

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