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शिक्षिका के ट्रांसफर पर गले लगकर फूट-फूटकर रोए बच्चे, बोले- हमारा सौभाग्य की मैम ने हमें पढ़ाया

वैसे तो इस दुनिया में हर रिश्ता बेहद खूबसूरत होता है परंतु अगर हम टीचर और स्टूडेंट की बात करें, तो गुरु और शिष्य का यह रिश्ता सबसे अनमोल माना जाता है। भले ही एक बच्चे का जन्म मां की कोख से होता है परंतु उसे सब कुछ सिखाने वाला एक टीचर ही होता है। एक टीचर ही होता है जो हमेशा अपने विद्यार्थियों के जीवन को बनाने में निस्वार्थ भाव से अपनी सेवा देता है। उनके समर्पित कार्य की तुलना किसी अन्य कार्य से नहीं की जा सकती है।

यह बात बिल्कुल सच है कि शिक्षा का स्थान इस संसार में सबसे ऊंचा होता है क्योंकि शिक्षक ही हमारी जिंदगी का वह व्यक्ति होता है जो हमें तराश कर पत्थर से हीरा बनाता है। इसी बीच टोंक के सरकारी स्कूल में गुरु और शिष्य में अटूट प्रेम देखने को मिला है। देवली ब्लॉक के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय चांदसिंह पुरा की शिक्षिका के ट्रांसफर पर वहां के बच्चे फूट-फूटकर रोने लगे।

जब शिक्षिका का विदाई का वक्त आया तो पूरा स्कूल ही रो पड़ा। वहीं बच्चों में अपनी प्रिय मैम से बिछड़ने का गम छलक उठा। बच्चे अपनी प्रिय मैम के गले लगकर फूट-फूट कर रोने लगे। बच्चों का प्यार देखकर टीचर भी अपनी आंखों के आंसू को रोक ना पाईं और वह भी बच्चों के गले लग कर रोने लगीं।

शिक्षिका के ट्रांसफर पर रोए बच्चे

दरअसल, देवली ब्लॉक के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय चांदसिंह पुरा की महिला टीचर गरिमा कांवरिया का बीकानेर तबादला हो गया है। जैसे ही बच्चों को यह खबर मिली, तो वह बहुत उदास हो गए। जब विद्यालय में विदाई समारोह का आयोजन किया गया, तो छात्र छात्राएं अपनी प्रिय मैम से बिछड़ने की वजह से फूट-फूटकर रोने लगी लगे।

वहीं बच्चों का प्यार और अपनत्व देखकर शिक्षिका गरिमा भी खुद को नहीं रोक पाईं और वह भी बच्चों के गले लगकर रो पड़ीं। इस क्षण को जिसने भी देखा, उसकी आंखों के आंसू रुक नहीं पाए। आपको बता दें कि गरिमा विद्यालय में बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाती थीं। स्कूल के बच्चों को उन्होंने अनोखे अंदाज में पढ़ाया। जब से गरिमा स्कूल में आई हैं, बच्चों का रिजल्ट भी अच्छा रहा है।

शिक्षिका गरिमा ने बताया कि वह पिछले 4 साल से इसी विद्यालय में कार्यरत थीं। वरिष्ठ अध्यापिका के रूप में प्रथम नियुक्ति इसी विद्यालय में हुई। बेहद भावुक होते हुए शिक्षिका ने कहा कि वह यहां के शिक्षक साथियों और विद्यार्थियों को कभी नहीं भूल पाएंगीं।

4 वर्षों में आया शत-प्रतिशत परिणाम- प्रिंसिपल

वहीं स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि गरिमा 4 सालों से यहां पढ़ा रही थीं। गरिमा की क्लास का रिजल्ट चारों वर्षों में शत-प्रतिशत रहा है। साथ ही, शिक्षिका ने अपने कार्य के प्रति कभी लापरवाही नहीं की।

बच्चों बोले- हमारा सौभाग्य की मैम ने हमें पढ़ाया

विद्यालय की छात्राओं ने कहा कि हमारा सौभाग्य है, जो हम गरिमा मैम जैसी शिक्षिका से पढ़ें हैं। मैम का व्यवहार हमारे लिए प्रेरणादायक है। स्कूल के बाकी शिक्षकों का कहना है कि बहुत से शिक्षक आते हैं और चले जाते हैं बच्चों के दिलों में जगह हर कोई नहीं बना पाता। इसीलिए शुक्रवार को महिला शिक्षिका को विदाई कार्यक्रम के दौरान सभी बच्चों ने दुख व्यक्त करते हुए नम आंखों से शिक्षिका गरिमा को विदाई दी।

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