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Cyrus Mistry Death: न आग न पानी… पारसी समुदाय में गिद्धों को सौंपते है मृत शरीर, जानिए क्यों

महाराष्ट्र के पालघर में हुए रोड एक्सीडेंट में टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की मौत (Cyrus Mistry Death) ने पूरे देश को झंकझोर कर रख दिया है। गौरतलब है कि उनका अंतिम संस्कार 6 सितम्बर को मुंबई के वर्ली श्मशान घाट में हुआ है। हालांकि वहीं पहले साइरस मिस्त्री के अंतिम संस्कार को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। क्योंकि साइरस मिस्त्री पारसी समुदाय से आते थे और बता दें कि पारसी समुदाय में अंतिम संस्कार की परंपरा बिलकुल अलग है।

पारसी समुदाय की अंतिम संस्कार की रीति है अलग

असल में पारसी समुदाय में अंतिम संस्कार के लिए न तो शव को जलाया जाता है, नही जल में विसर्जित किया जाता और न ही उसे दफनाया जाता है। बल्कि पारसी समुदाय में मृत शरीर को खुले में रख गिद्धों को सौंप दिया जाता है। जी हां, अगर आप ये पहली बार सुन रहे हैं तो आपको पारसी समुदाय की ये परंपरा अजीब लग सकती है। लेकिन असल में हर धर्म-समुदाय के विशेष परंपराओं और रीति रिवाजों के पीछे कुछ खास तर्क होते हैं और पारसी समुदाय की इस रीति के पीछे भी ऐसी वजहे हैं।

दरअसल, पारसी समुदाय में आग, पानी और धरती जैसे प्राकृतिक चीजों को बेहद सम्मान दिया जाता है। ऐसे में इनके लिए शव को आग में जलना, जल में प्रवाहित करना या धरती में दफनाना अग्नि, जल और धरती को अपमानित और अपवित्र करने जैसा है। इसलिए पारसी समुदाय में शवों के अंतिम संस्कार के लिए अगल तरीका अपनाया गया है।

‘टावर ऑफ साइलेंस’ मेंं रखते हैं पार्थिव शरीर

बता दें कि इनमें शव को शमशान या कब्रिस्तान ले जाने की बजाय ‘टावर ऑफ साइलेंस’ में रखा जाता है। असल में ‘टावर ऑफ साइलेंस’ (Tower of silence) गोलाकार खोखली इमारत जैसी होती है, जिसे आम भाषा में दखमा भी कहा जाता है। इस दखमा में ही पारसी लोग अपने लोगों का मृत शरीर खुले आसमान के नीचे रख जाते है। इसके बाद उस मृत शरीर को गिद्ध, चील और कौए खा लेते हैं।

गिद्धों की घटती संख्या बन रही है परेशानी

वहीं हाल के दिनों में भारत में गिद्धों की संख्या काफी कम हो चुकी है, इसके चलते पारसी समाज को अपने लोगों के अंतिम संस्कार के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, पहले गिद्ध महज कुछ ही घंटों में शवों को खा जाते थे, लेकिन उनके न होने से शवों के विघटन में देर होती है और उनसे दुर्गंध आने लगती है।

ऐसे में कुछ पारसी लोग अपनी रीति को छोड़कर शवों को अंतिम संस्कार के श्मशान घाट या विद्युत शवदाह गृह ले जाते हैं। जैसा कि साइरस मिस्त्री की मौत (Cyrus Mistry Death) के बाद उनके पार्थिव शरीर को वर्ली श्मशान घाट में लेकर उनका अंतिम संस्कार किया गया है।

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