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सुहाग’रात पर राजा से ऐसी रूठ गई रानी की बोल दिया- तुम मेरे लायक नहीं, फिर जीवन भर रूठी रही

भारत का इतिहास बहुत ही ज्यादा समृद्ध रहा है और हजारों प्रेम कहानियां हमारे देश के इतिहास का बहुत बड़ा हिस्सा हैं। ऐसे बहुत से राजा-रानी हैं, जो इतिहास को अपनी प्रेम कहानियों से समृद्ध किए हुए हैं। क्या आपको इस बात की जानकारी है कि राजस्थान की एक ऐसी कहानी है जो प्रेम नहीं बल्कि गुस्से से जुड़ी हुई है। जी हां, एक रानी इतना ज्यादा गुस्सा हो गई कि राजा को जीवन भर भुगतना पड़ा।

दरअसल, आज हम आपको जिस कहानी के बारे के बारे में बता रहे हैं यह राजा मालदेव की शादी के समय की बात है। रानी उमादे शादी की पहली रात यानी सुहागरात पर राजा का इंतजार कर रही थी। वह इंतजार करके थक गई परंतु राजा फिर भी नहीं पहुंचे। तब रानी ने दासी को भेजा कि वह राजा को बुला लाए। लेकिन राजा ने दासी को ही रानी समझ लिया और उसको अपने पास बैठा लिया।

रानी ने शादी की पहली रात राजा को जब दासी के साथ देख लिया तो वह बहुत गुस्सा हो गई। फिर जिंदगी भर के लिए उन्हें एक सजा दे दी थी। राजा की लाखों मिन्नतों के बाद भी वह नहीं मानी और रानी ने कहा कि अ”ब आप मेरे लायक नहीं रहे।” रानी ने हमेशा के लिए राजा को अकेलेपन का दुख दे दिया। उनका गुस्सा इतना प्रसिद्ध हो गया कि उन्हें “रूठी रानी” कहा जाने लगा। तो चलिए आखिर यह पूरी कहानी क्या है? आपको बताते हैं…

जानिए पूरी कहानी

आपको बता दें कि 5 सदी पूर्व मारवाड़ में राजा राव मालदेव थे। राव मालदेव की टक्कर में पूरे राजपूताना में आज तक कोई अन्य राजपूत शासक नहीं हुआ। राव मालदेव ने अपनी जिंदगी में 52 युद्ध लड़े। 24 वर्ष की आयु में राव मालदेव का विवाह 1535 में जैसलमेर की राजकुमारी उमादे संग हुई। रानी उमादे अपनी सुंदरता व चतुरता के लिए मशहूर थीं।

शादी की रात को जैसलमेर के राजा ने बारातियों के स्वागत के लिए बहुत से इंतजाम किए थे। राठौड़ राव मालदेव की बारात लवाजमे के साथ जैसलमेर पहुंची। राजा मालदेव ने अपने जीवन काल में कई युद्ध जीते थे और उन्हें अपने पति के रूप में पाकर राजकुमारी उमादे बहुत खुश थीं। जब शादी हो गई तो उसके बाद राव मालदेव अपने सरदारों व संबंधियों के साथ महफिल में बैठ गए और रानी उमादे सुहाग की सेज पर उनका इंतजार करती रहीं। उनकी राह देखते देखते वह थक गई थीं।

कहानी के अनुसार रानी उमादे के साथ दहेज में कई दासियां भी आईं थीं और उसमें से एक दासी भारमली बेहद खूबसूरत थी और यह रानी की खास दासी दी थी। रानी ने दासी भारमली को राजा को बुलाने के लिए भेजा। जब राजा मालदेव को बुलाने के लिए दासी भारमली गई तो खूबसूरत दासी को नशे में चूर राजा ने रानी समझ लिया और उसको अपने पास ही बैठा लिया।

जब बहुत देर के बाद भी राजा अपनी पत्नी के पास नहीं आया तब उमादे खुद राजा को लेने गईं। वहां उन्होंने राजा को दासी के साथ देखा। जब रानी राजा के कक्ष में गई तो वहां भारमली को उनकी आगोश में देखा। इससे नाराज होकर उमादे ने राजा के स्वागत के लिए तैयार की गई आरती की थाली यह कहकर उलट दिया कि अब राव मेरे लायक नहीं रहे। जब सुबह राव मालदेव का नशा उतरा तो वह बहुत शर्मिंदा हुए और रानी के पास गए। लेकिन तब तक रानी उमादे रूठ चुकी थीं। उन्होंने रानी से माफी मांगने की बहुत कोशिश की, लेकिन रानी नहीं मानी।

कभी नहीं मिली राजा से, लेकिन उनके साथ हो गई सती

रानी जिंदगीभर राव मालदेव से रूठी रहीं और इतिहास में रूठी रानी के नाम से मशहूर हुई। जब शेरशाह सूरी ने मारवाड़ पर आक्रमण किया तो रानी से बहुत प्यार करने वाले राव मालदेव ने युद्ध में प्रस्थान करने से पहले एक बार उनसे मिलने का अनुरोध किया। वह एक बार मिलने के लिए राजी भी हो गई परंतु रानी उमादे ने ऐन वक्त पर मिलने से मना कर दिया।

ऐसा बताया जाता है कि रूठी रानी के मिलने से मना करने का राव मालदेव पर काफी गहरा असर पड़ा और वह अपने जीवन में पहली बार कोई युद्ध हार गए। जब साल 1562 में राव मालदेव के निधन का समाचार मिला तो रानी उमादे को अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्हें बहुत कष्ट पहुंचा। रानी ने जिंदगी भर राजा का मुंह नहीं देखा, पर रानी ने एक पत्नी के रूप में सारे रिवाज निभाए और राजा की मृत्यु के बाद सती होकर अपनी जान दे दी।

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