कर्ज के चलते किसान पिता ने दी थी जान, UPSC में 5 बार फेल हुई बेटी और छठी बार में रच डाला इतिहास

अधिकांश लोग जहां परिस्थितियों का रोना रोते रहते हैं तो वहीं कुछ इन्ही विपरित परिस्थितियों से लड़कर जीवन में नया आयाम स्थापित करते हैं। ऐसे लोग जीवन में आए मुश्किल हालातों से मजबूत बनकर निकलते हैं और जीवटता की ऐसी मिसाल स्थापित करते हैं, जो बाकी लोगों के लिए प्रेरणा बन जाती है। आज हम आपको एक ऐसी ही शख्सियत से मिलवा रहे हैं, जिसने गरीबी के साथ ही पिता की असमय मौत को भी झेला, पर मुश्किलों से हार नहीं मानी। ऐसे में आज दुनिया उसे अफसर बिटिया अरुणा एम (Aruna M) के नाम से जानती है।
कर्ज से परेशान पिता ने कर ली थी आत्महत्या
बता दें कि अरुणा एम का जन्म कर्नाटक के पिछड़े वर्ग के एक गरीब परिवार हुआ था। परिवार में 5 भाई-बहनों में से अरुणा किसान पिता की तीसरी संतान थी। उनके पिता खुद तो किसान थे पर वो चाहते थे कि उनके बच्चे पढ़ लिख कोई बड़ी नौकरी करें। इसलिए बच्चों की पढ़ाई के लिए उन्होंने बैंक से कर्ज लिया पर ये कर्ज धीरे-धीरे बढ़ता गया। ऐसे में अरुणा के पिता उस कर्ज को समय से चुका नहीं पाए और बैंक वालों के तकादे और मकान की नीलामी के डर उन्होंने साल 2009 में सुसाइड कर लिया। वहीं जब ये घटना हुई तो, उस वक्त अरुणा इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही थीं।
5 प्रयास के बाद 6वीं बार में क्रेक की UPSC की परीक्षा
पिता की असमय मौत ने पूरे परिवार को गरीबी के गहरे दलदल में ढ़केल दिया। पर अरुणा ने इस घटना को अपने जीवन का सबक बना डाला और पिता की इच्छा को पूरा करने की ठानी। पहले जहां अरुणा का मकसद इंजीनियरिंग कर एक सामान्य सी नौकरी पाने की थी। वहीं अब उनका ध्येय अफसर बनने का हो गया और ऐसे में उन्होनें यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। साल 2014 में उन्होनें अपना पहला अटेम्प्ट दिया जिसमें वो सफल नहीं हो सकी। इसके बाद वो लगातार 4 बार और UPSC की परीक्षा में बैठी पर उसे क्लियर नहीं कर पाईं।
लेकिन इस साल आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और UPSC की लिस्ट में उनका 308वां रैंक आ गया। ऐसे में अरुणा को IPS संवर्ग मिलना तय माना जा रहा है। गौरतलब है कि पिछड़े वर्ग से होने के बावजूद Aruna M ने पिछड़े वर्ग के लिए लागू OBC कोटा का उपयोग नहीं किया। बल्कि उन्होंने अपनी प्रारम्भिक पढ़ाई से लेकर UPSC की परीक्षा में अनारक्षित वर्ग के रूप में एग्जाम दिया।
अब चला रही हैं खुद की कोचिंग एकेडमी
वहीं UPSC क्लियर करने के बाद अरुणा अब अपने गांव के दूसरे बच्चों को इसके लिए प्रेरित कर रही हैं। अरुणा ने बेंगलुरु में अपना कोचिंग संस्थान ‘अरुणा एकेडेमी’ शुरू किया है, जिसमें वो विशेष तौर पर ग्रामीणों बच्चों को यूपीएससी परीक्षा की ट्रेनिंग देती हैं। अब अरुणा की यही कोशिश है कि उनकी तरह दूसरे गरीब लड़के-लड़कियों का भी अफसर बनने का सपना पूरा हो सके।