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Raju Srivastava: सामान्य से अलग बिना चीर-फाड़ हुआ राजू श्रीवास्तव का पोस्टमार्टम, जानिए क्यों

कॉमेडी की दुनिया में गजोधर भैया के नाम से लोकप्रिय राजू श्रीवास्तव अब नहीं रहे हैं। मालूम हो कि बुधवार (21 सितंबर) की सुबह राजू श्रीवास्तव का दिल्ली एम्स में निधन (Raju Srivastava Death) हो चुका है। ऐसे में 58 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहने वाले राजू श्रीवास्तव के निधन से मनोरंजन जगत से लेकर पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई हैं।

वहीं राजू श्रीवास्तव के निधन के बाद से उनके अंतिम संस्कार की प्रकियाएं शुरू हो गई हैं। बता दें कि Raju Srivastava के शव का पोस्टमार्टम सामान्य से अलग वर्चुअल तकनीक से किया गया है, जिसमें उनके शव पर कोई कट नहीं लगा है।

वर्चुअल तकनीक से हुआ राजू श्रीवास्तव का पोस्टमार्टम

तो सबसे पहले आपको बता दें कि वर्चुअल पोस्टमार्टम जिसे Virtual Autopsy या Virtopsy भी कहते हैं, सामान्य से पोस्टमार्टम से काफी अलग होती है। इसमें व्यक्ति के शरीर में कोई कट या चीर-फाड़ नहीं किया जाता है। बल्कि मशीनों के जरिए पूरे शरीर की जांच की जाती है। इसके लिए सीटी स्कैन और एमआरआई मशीनों का उपयोग किया जाता है। ऐसे में मशीन से होने वाले इस वर्चुअल पोस्टमार्टम में समय भी काफी कम लगता है, वहीं इससे परिणाम काफी सटीक होते हैं। जैसे कि इसमें नॉर्मल पोस्टमार्टम की अपेक्षा मौत के कारणों का अधिक सटीक अंदाजा लग पाता है।

वहीं मालूम हो कि कई बार दिवगंत व्यक्ति के परिजन नॉर्मल पोस्टमार्टम के लिए मना कर देते हैं, क्योंकि उसमें व्यक्ति के पार्थिव शरीर पर कई सार कट लगाए जाते हैं। कई परिजनों को यह अच्छा नहीं लगता है, ऐसे परिजनों के लिए वर्चुअल पोस्टमार्टम का विकल्प अच्छा है। राजू श्रीवास्तव के परिजनों ने भी उनके पोस्टमार्टम के लिए वर्चुअल पोस्टमार्टम को ही चुना है। बता दें कि पोस्टमार्टम के बाद राजू श्रीवास्तव का पार्थिव शरीर उनके परिजनों को सौंप दिया गया है।

40 दिनों तक दिल्ली एम्स में लड़े थे जिंदगी और मौत की जंग

गौरतलब है कि बीते महीने 10 अगस्त को जिम में एक्सरसाइज के दौरान राजू श्रीवास्तव (Raju Srivastava) को दिल का दौरा (Heart Attack) आया था। जिसके बाद वो एम्स में भर्ती हुए थें, वहां बीते 41 दिनों में उनका हालत काफी नाजुक रही है। इन दिनों वो कोमा में रहे हैं, हालांकि कुछ वक्त के लिए उन्हे होश आया था पर वो उस समय भी पूरी चेतना में नही थें। वहीं इस दौरान दिल्ली एम्स के डॉक्टरों की टीम पूरी तत्परता से उनके इलाज के लिए लगी रही है। पर डाक्टरों के लाख कोशिश के बाद भी उन्हे बचाया नहीं जा सका।

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