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जानें क्यों 20 साल तक पैसे देने के बाद इंदिरा गाँधी ने रोक दिया था राजाओं को मिलने वाला मोटा धन

कौन बनेगा करोड़पति का 12वा सीजन इन दिनों टीवी पर प्रसारित किया जा रहा है। इस शो ने कई लोगों की ज़िंदगी बदली है। यह ना सिर्फ हॉट सीट पर बैठे हुए व्यक्ति के लिए फायदेमंद है बल्कि इस शो को देखने पर सभी का नॉलेज भी बढ़ता है। हाल ही में शो के होस्ट अमिताभ बच्चन ने एक कंटेस्टेंट से ऐसा सवाल पूछा जिसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी हैं।

अमिताभ बच्चन ने पूछा कि, किस प्रधानमंत्री ने 1971 में राजाओं को मिलने वाला प्रिवीपर्स रोक लिया था। हॉट सीट पर बैठी महिला को भी इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। सवाल सुनते ही वह थोड़ी परेशान भी हो गई। बता दे कि इस सवाल का सही जवाब है, इंदिरा गांधी। इंदिरा गांधी ने ही 1971 में प्रधानमंत्री बनने के बाद राजाओं को दिए जाने वाले प्रिवीपर्स पर रोक लगाई थी। गौरतलब है कि इससे पहले आजादी के बाद से ही भारत सरकार द्वारा राजाओं को एक बड़ी राशि दी जाती थी। 

1971 में लिए थे बड़े फैसले

इंदिरा गांधी देश के सबसे ज्यादा प्रभावशाली प्रधानमंत्रियों में से एक रही है। उन्होंने 1971 में प्रधानमंत्री का कार्यभार संभालते ही देश की जनता के हित में दो बड़े फैसले लिए थे। पहला तो उन्होंने सभी प्राइवेट बैंकों का सरकारीकरण करने का फैसला लिया। दूसरा उन्होंने देश के सभी राजाओं को मिलने वाले प्रिवीपर्स पर रोक लगाई। उनके इस फैसले पर उन्हें देश की जनता के एक बड़े हिस्से का समर्थन मिला था।

वहीं उन्हें कुछ लोगों के गुस्से और विरोध का भी सामना करना पड़ा। बता दे कि आजादी के बाद देश के लिए सबसे बड़ी समस्या गरीबी थी। देश के 50% लोग ऐसे थे जिनके पास खाने-पीने और रहने की जगह तक नहीं थी। उन हालातों में सरकार के पैसों का एक बहुत बड़ा हिस्सा राजाओं को प्रिवीपर्स देने में खर्च होता था। इसीलिए इंदिरा गांधी ने प्रिवीपर्स पर रोक लगाने का बड़ा फैसला लिया था। राजाओं को प्रिवीपर्स उनकी उन रियासतों के बदले में मिलता था जिनका विलय आजाद भारत में हुआ था।

जनता ने भी उठाए थे सवाल

देश के आजादी के बाद जब आम जनता बहुत सी परेशानियों का सामना कर रही थी। उस वक्त देश की सरकार उन राजाओं को प्रिवीपर्स के रूप में एक बहुत मोटी रकम दे रही थी जिन राजाओं के पास दौलत की कोई कमी नहीं थी। इस बात से आम जनता बहुत नाराज थी। बार-बार सरकार से प्रिवीपर्स को लेकर सवाल किए जाते थे। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए इंदिरा गांधी ने यह फैसला लिया था। लेकिन उन सभी राजाओं ने प्रधानमंत्री के इस फैसले का विरोध किया। कई राजाओं ने तो यह कानून पारित होने के बाद कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया। लेकिन कोर्ट ने भी इस कानून के हित में ही फैसला लिया। 

क्यों मिलता था प्रिवीपर्स

भारत की आजादी के समय करीब 570 ऐसे स्टेट थे जिन्हें भारत में मिलाने के लिए सरकार ने राजाओं के साथ एक खास तरह से प्रिवीपर्स की रकम तय की थी। हर स्टेट से जितना भी राजस्व भारत सरकार को मिलता उसका साढ़े आठ प्रतिशत हिस्सा राजाओं को मिलना था। वहीं आने वाले सालों में इसमें कटौती की बात भी तय हुई थी। लेकिन इसमें भी सरकार का बहुत सारा पैसा खर्च हो जाता था। जिससे आम जनता के हित में होने वाले बहुत से काम प्रभावित होते थे।

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