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बर्फ के नीचे दबा है “बड़ा खजाना”, अरबपतियों ने खोज के लिए पानी की तरह बहाया पैसा

पृथ्वी का तापमान लगातार ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बढ़ता ही जा रहा है, जिसकी वजह से दुनिया भर की बर्फ तेजी से पिघल रही है। इसका सबसे ज्यादा असर देखने को मिल रहा है ग्रीनलैंड पर। ग्रीनलैंड के पश्चिमी क्षेत्र में ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बर्फ के पहाड़ पिघल रहे हैं। वहीं दुनियाभर के अरबपतियों का एक ग्रुप इस मौके को हाथ से नहीं जाने देना चाहते हैं। जी हां, अब इस बर्फ के नीचे खजाने की खोज हो रही है।

दुनिया के कुछ धनी व्यक्ति ग्रीनलैंड के पश्चिमी तट पर बड़े पैमाने पर खजाना खोजने के लिए पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो जेफ बेजोस, बिल गेट्स, माइकल ब्लूमबर्ग आदि नाम इस लिस्ट में शामिल हैं, जिनकी नजर ग्रीनलैंड पर है। यह सभी ग्रीनलैंड के स्पेशल प्रोजेक्ट पर पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं।

अगर यह प्रोजेक्ट सफल हो जाता है, तो इन अरबपतियों को तो फायदा होने ही वाला है, इसके साथ ही लोगों को भी उन बहुमूल्य पदार्थों का लाभ प्राप्त होगा। खजाने की खोज ग्रीनलैंड के पश्चिमी तट पर की जा रही है। बता दें कि ग्रीनलैंड स्व-शासित देश है लेकिन ऊपरी तौर पर उस पर डेनमार्क का कंट्रोल है। वैसे तो यह देश क्षेत्रफल के मामले में दुनिया का 13 वां सबसे बड़ा देश है।

लेकिन इसके 20 लाख वर्ग किलोमीटर के एरिया चट्टान और बर्फ से ढका हुआ है। सितंबर में आई रिपोर्ट के मुताबिक इस देश की आबादी महज 56,990 हैं। यहां ग्लोबल वार्मिंग का सबसे बुरा असर हो रहा है। ऐसे में अरबपतियों के इस ग्रुप ने जो खास प्रोजेक्ट शुरू किया है, उसकी खूब चर्चा हो रही है।

बहुमूल्य पदार्थों का भंडार

बिल गेट्स से लेकर जेफ बेजोस तक कई अरबपतियों को ऐसा लगता है कि ग्रीनलैंड के डिस्को आईलैंड और नुसुआक पेनिनसुला में मौजूद पहाड़ियों और घाटियों के नीचे बहुमूल्य पदार्थों का भंडार है। इससे जुड़े कुछ सबूत भी उनके हाथ लगे हैं। इन बहुमूल्य पदार्थों में निकल और कोबाल्ट भी शामिल हैं। दुनिया में एक नई क्रांति आ जाएगी, अगर इस भंडार का पता चल जाता है तो।

निकल-कोबाल्ट का इस्तेमाल क्या है?

आपको बता दें कि निकल बहुत ही खास मिश्र धातु होती है। यह पूरी तरह से जंग प्रतिरोधी होती है। धातुओं पर सुरक्षा परत बनाने में भी इसका इस्तेमाल होता है। इसके अलावा समुद्री पानी को शुद्ध करने वाले संयंत्र बनाने के लिए कॉपर निकल मिश्र धातु का उपयोग किया जाता है। वहीं अगर हम कोबाल्ट की बात करें, तो जेट इंजन और टरबाइन जैसी चीजों बनाने के लिए कोबाल्ट का उपयोग होता है। ऐसा दावा है ग्रीनलैंड में इतना ज्यादा निकल और कोबाल्ट है, कि उससे अरबों इलेक्ट्रिक गाड़ियां दौड़ाई जा सकती हैं।

कोबाल्ट मेटल्स के सीईओ कर्ट हाउस ने कहा हम लोग एक ऐसे खजाने को ढूंढ रहे हैं, जो दुनिया का सबसे बड़ा या दूसरे सबसे बड़ा निकल और कोबाल्ट का भंडार होगा। उन्होंने कहा कि हाईटेक हेलीकॉप्टर्स को ट्रांसमीटर के साथ उस इलाके में तैनात किया गया है, जो लगातार सर्वे कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक यह प्रोजेक्ट सही जा रहा है। उनका कहना है कि अगर यह भंडार मिल जाता है तो यह निकल और कोबाल्ट का सबसे बड़ा भंडार होगा।

आपदा को अवसर में बदला

एक्सपोर्ट्स की मानें तो ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ग्रीनलैंड की बर्फ तेजी से पिघल रही है, जिसके कारण से गर्मियों में कई इलाकों से बर्फ पूरी तरह से गायब हो चुकी है। अरबपतियों के ग्रुप ने इस अवसर को पकड़ लिया और उन्होंने तुरंत कोबाल्ट मेटल्स की फंडिंग शुरू कर दी। जल्द ही उन्हें बड़ी कामयाबी मिलेगी, ऐसी उम्मीद जताई जा रही है।

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