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रावण वध के बाद मंदोदरी ने विभीषण संग विवाह रचा संभाला राजकाज, जानिये बाकी पत्नियों का क्या हुआ

देश में दशहरा (Dussehra) का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है, गौरतलब है कि विजय दशमी के दिन भगवान श्रीराम (Lord Ram) ने लंकापति रावण का वध कर माता सीता को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी। वहीं श्रीराम ने लंका के राजा रावण (Ravana) समेत उसके भाईयों और पुत्रों का वध भले ही कर दिया था, पर लंका में विधवा महिलाओं की संख्या बहुत बड़ी थी। उन्हीं में एक थी रावण की पत्नी मंदोदरी। जो विधवा होने के बाद अकेली थी। ऐसे में रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी ने क्या इसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है। तो चलिए आपको बताते हैं कि शक्तिशाली रावण की पत्नी मंदोदरी (Mandodari) का आखिर क्या हुआ था।

तीन पत्नियां में रावण की मुख्य और सर्वमान्य पत्नी थी मंदोदरी

गौरतलब है कि वाल्मीकि रामायण में जहां लंका नरेश की पत्नी के रूप में सिर्फ मंदोदरी का वर्णन मिलता है। तो वहीं कई दूसरे शास्त्रों में बताया गया है कि मंदोदरी के अलावा रावण की दो और भी पत्नियां थीं। जिसमें एक नाम धन्यमालिनी तो वहीं तीसरी पत्नी का नाम अज्ञात है। वैसे बात करें मंदोदरी की तो वो मयासुर राक्षस की पुत्री थी और मयासुर ने स्वंय अपनी बेटी के लिए रावण को चुना था। शास्त्रों की माने तो रावण ने विवाह से पहले मयासुर को वचन दिया था कि मंदोदरी ही उनकी मुख्य और सर्वमान्य पत्नी होंगी। मालूम हो कि रावण के साथ मंदोदरी के विवाह से इंद्रजीत, मेघनाद, महोदर, प्रहस्त, विरुपाक्ष और भीकम वीर जैसी संतानें हुईं।

राक्षस कुल में जन्मी मंदोदरी को मिला भारतीय संस्कृति में आदर्श स्त्री का दर्जा

बता दें कि राक्षस कुल में जन्म लेने और विवाह होने के बावजूद भी मंदोदरी को भारतीय संस्कृति में आदर्श स्त्री का दर्जा प्राप्त है। माना जाता है कि वो बहुत सुशील और विद्वान महिला थी। जिसने रावण को प्रभु राम से युद्ध न करने और देवी सीता को राम के पास भेजने का अनुरोध किया था। पर अपने शक्तियों के मद में चूर रावण ने मंदोदरी की एक न सुनी। जिसका परिणाम रावण को अपने प्राणों की बलि देकर भुगतनी पड़ी थी। ऐसे में प्रश्न ये उठता है कि रावण वध के बाद उस मंदोदरी (Mandodari) का क्या हुआ जिसने हर पल रावण को सचेत किया था।

रावण वध के बाद मंदोदरी ने विभीषण संग विवाह रचा लंका का राजकाज संभाला

तो शास्त्रों की माने तो भगवान राम ने विजयादशमी पर लंका नरेश रावण समेत उनके भाईयों और पुत्रों का वध किया और माता सीता को अशोक वाटिका से छुडवाया। इसके बाद भगवान राम विभीषण के अनुरोध पर उसके राजतिलक तक वहीं रहे। श्रीराम ने स्वंय अपने सामने विभीषण को वहां का राजा नियुक्ति किया। वहीं शास्त्रों में ये भी वर्णित है कि रावण की मृत्यु के बाद विभीषण ने मंदोदरी से विवाह करने का प्रस्ताव दिया था, जिसे मंदोदरी ने ठुकरा दिया था। पर फिर विचार के बाद मंदोदरी ने विभीषण के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। इसके बाद मंदोदरी ने विभीषण संग विवाह रचा लंका के राजकाज का संचालन किया था।

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