दिल्ली का रिक्शा चालक बना दो कैब कंपनियों का मालिक, कभी चपरासी के नौकरी के लिए हुआ था रिजेक्ट

ऊपर वाले ने जहां इंसान की किस्मत की डोर अपने हांथों में थाम रखी हैं, तो वहीं इंसान को किसी न किसी खास हुनर से नवाज कर अपनी किस्मत बदलने का मौका भी दिया है। पर बहुत कम लोग विधाता के इस खेल को समझ पाते हैं और जो समझ जाते हैं वो अपनी तकदीर भी खुद बदल डालते हैं। ऐसे ही एक शख्स की कहानी (dilkhush kumar success story) हम यहां आज लेकर आए हैं, जिसने अपनी मेहनत और हुनर के दम पर रिक्शा चालक से लेकर बिजनेस मैन का सफर तय कर लिया है।
हर नौकरी से रिजेक्ट हुए युवक ने खोल डाली अपनी खुद की कपंनी
दरअसल, ये कहानी है इस बिहार के उस लड़के की है, जिसने अपने गांव से मीलो दूर जाकर शहर में चपरासी का इंटरव्यू दिया, पर उसे वो नौकरी नहीं मिली.. फिर उसने दिल्ली जाकर वहां लोगों के लिए गाड़ी चलाने की सोची, पर किसी ने उसे इसके लायक भी नहीं समझा। फिर वो लड़का थक हारकर दिल्ली की सड़कों पर रिक्शा खींचने लगा। लेकिन उस लड़के ने कभी जिंदगी से हार नहीं मानी और इसी जीवट्ता के दम पर आज वो शख्स खुद की कैब कंपनियां चला कर सैकड़ों लोगों को नौकरी देने लायक बन चुका है।
बता दें कि हम बात कर रहे हैं बिहार के सहरसा के रहने वाले दिलखुश कुमार की जो साल 2016 से AryaGo नाम की कैब कंपनी चला रहे हैं तो वहीं इस साल उन्होनें स्थापना RodBez नाम के कैब कंपनी की भी स्थापना की है। दरअसल, दिलखुश के पिता एक ट्रक डाइवर थे और ऐसे में परिवार की आर्थिक तंगी के चलते दिलखुश पूरी पढ़ाई नहीं कर सकें। किसी तरह से उन्होनें 12वीं की पढ़ाई की उसके बाद ही घर वालों ने उनकी शादी करा दी। ऐसे में शादी के बाद जिम्मेदारियां का बोझ बढ़ने पर दिलखुश नौकरी की तलाश करने लगे।
कभी परिवार पालने के लिए दिल्ली के सड़कों पर चलाया था रिक्शा
एक रोज वो पटना के एक दफ्तर में चपरासी की नौकरी के लिए इंटरव्यू देने चले गए पर वहां रिजेक्ट कर दिए गए। अब दिलखुश को कुछ न कुछ कर परिवार का खर्चा उठाना था, इसलिए वो ड्राइवरी की नौकरी तलाशने साल 2010 में दिल्ली चले आएं। पर यहां भी उन्हें ठोकरे खानी पड़ी, दरअसल बिहार से दिल्ली आए पतले दुबले से इस लड़को को किसी कार मालिक ने अपनी गाड़ी चलाने के लायक भी नहीं समझा। ऐसे में कई दिनों तक नौकरी की तलाश में खाक छानने के बाद अब दिलखुश ने रिक्शा चलाने की ठान ली। हालांकि इस काम में मेहनत बहुत लगती थी, और दिलखुश शारीरिक रूप से काफी कमजोर थे।
ऐसे में वो दिल्ली में रिक्शा चलाते हुए वो बीमार पड़ गए और घर वालों ने उन्हें वापस गांव बुला लिया। पर अबकि दिल्ली से वो सबक लेकर आए कि जीवन में कुछ न कुछ तो बड़ा करना है। अब उन्होने पटना में ही कैब ड्राइविंग का काम शुरू किया और फिर इसके बाद पटना में एक रियल स्टेट कंपनी के साथ इलेक्ट्रिकल और फायर वर्क का काम किया। इस दौरान अपनी जमा पूंजी से उन्होनें एक कार खरीद ली और अपनी इस कार से उन्होनें पटना में कैब सर्विस शुरू की।
साल 2016 में AryaGo कैब कंपनी की नींव रख बदल दी अपनी किस्मत
गौरतलब है कि बिहार के छोटे शहरों में ओला जैसी कैब सर्विस नहीं है, ऐसे में लोगों की जरूरतों को समझते हुए दिलखुश ने साल 2016 में AryaGo कैब कंपनी की नींव रख दी। मालूम हो कि आज इस कैब कंपनी के माध्यम से बिहार में तकरीबन 4000 कार चल रही हैं। वहीं इस कंपनी ने 500 लोगों को रोजगार मुहैया कराया है। वहीं 29 साल के दिलखुश ने इसी साल अपनी दूसरी कैब कंपनी RodBez भी शुरू कर दी है। इस तरह से एक रिक्शा चालक से लेकर कैब कंपनी के संचालक के रूप में दिलखुश की ये संघर्ष यात्रा (dilkhush kumar success story) काफी रोचक है, जो लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी है।