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कभी सड़कों पर ऑटो रिक्शा चलाते थे गरीब पिता, बेटा मेहनत से बना पायलट, अब उड़ाता है प्लेन

दृढ़ इच्छाशक्ति और कुछ कर गुजरने की ललक हो तो इंसान क्या कुछ नहीं कर सकता। ऐसा कहा जाता है कि कामयाबी भी उन्हीं लोगों के कदम चूमती है, जिसने अपने सपनों को पूरा करने के लिए तपती धूप में पैर जलाए हों। इसी बात की जीती जागती मिसाल नागपुर के श्रीकांत पंतवाने हैं, जिन्होंने अपने स्कूल के दिनों में डिलीवरी ब्वॉय का काम किया। ऑटो रिक्शा भी चलाया।

लेकिन श्रीकांत पंतवाने ने अपनी गरीबी को सपनों के आगे बाधा नहीं बनने दी। हर कठिन परिस्थिति का उन्होंने डटकर सामना किया। कभी भी हिम्मत नहीं हारी और आखिर में उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से अपना सपना साकार कर लिया। वह पायलट बन गए। तो आइए जानते हैं इनकी सफलता की पूरी कहानी।

गरीब परिवार में जन्में थे श्रीकांत

श्रीकांत पंतवाने का जन्म नागपुर में बेहद गरीब परिवार में हुआ था। इनका बचपन गरीबी में ही बीता है। श्रीकांत के पिता चौकीदार की नौकरी किया करते थे, जिसमें उन्हें परिवार का पालन पोषण करने के साथ-साथ बच्चों की पढ़ाई लिखाई का खर्च भी उठाना पड़ता था। श्रीकांत बचपन में पढ़ाई लिखाई में काफी तेज थे और बड़े होकर कुछ बनना चाहते थे।

लेकिन पिता की कमाई से बड़ी मुश्किल से ही परिवार का पेट भर पाता था। ऐसी स्थिति में पढ़ाई के लिए ज्यादा खर्च पाना पिता के लिए बहुत मुश्किल था। भले ही परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी परंतु इसके बावजूद भी श्रीकांत ने अपना हौसला कमजोर नहीं पड़ने दिया।

डिलीवरी बॉय के काम से लेकर ऑटो रिक्शा तक चलाया

श्रीकांत जैसे जैसे बड़े होते गए, उन्हें परिवार की आर्थिक तंगी परेशान करने लगी। पैसों की कमी के चलते उन्होंने स्कूल में पढ़ते हुए डिलीवरी बॉय की पार्ट टाइम नौकरी करनी शुरू कर दी थी। लेकिन स्कूल की पढ़ाई खत्म होने के बाद श्रीकांत की मुश्किल और ज्यादा बढ़ गई। उन्हें पढ़ाई और परिवार में से किसी एक को चुनना था।

ऐसे में श्रीकांत ने पढ़ाई छोड़ कर परिवार के लिए पैसे कमाना शुरू किया। श्रीकांत ने घर की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए ऑटो रिक्शा तक चलाया था। लेकिन उनके अंदर का जुनून और जिद ने उन्हें कुछ कर दिखाने के लिए प्रोत्साहित किया।

समस्याओं से लड़कर सपना किया साकार

दरअसल, एक बार श्रीकांत एयरपोर्ट पर डिलीवरी करने के लिए गए हुए थे, तभी उन्होंने उड़ते हुए हवाई जहाज को देखा और उसने उनके सपनों में उड़ान भर दी। उन्होंने यह ठान लिया कि वह पायलट बनेंगे। इस दौरान श्रीकांत की मुलाकात चाय स्टॉल के वेंडर से हुई जिसने उन्हें डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन पायलट स्कॉलरशिप प्रोग्राम के बारे में बताया था।

श्रीकांत ने स्कॉलरशिप प्रोग्राम के तहत मध्य प्रदेश में स्थित फ्लाइट स्कूल में दाखिला ले लिया और प्लेन उड़ाने की ट्रेनिंग लेने लगे। जबकि उन्होंने पैसे कमाने के लिए एक कंपनी में भी नौकरी की।अब उनके आगे सबसे बड़ी समस्या अंग्रेजी की थी। लेकिन उन्होंने अपनी कमजोरी को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया।

श्रीकांत ने अपनी कमजोरी को ताकत में बदल लिया। इसके बाद श्रीकांत ने फ्लाइंग एग्जाम दिया और उसे क्लियर करने में कामयाब रहे, जिसके बाद उन्होंने इंडिगो एयरलाइन्स कंपनी में पायलट के रूप में नौकरी ज्वाइन की। उन्होंने अपने जीवन की सभी समस्याओं से लड़ते हुए अपना सपना साकार कर लिया। उनकी जिद ने उन्हें एक पायलट बना दिया।

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