समाज ने मां को मारे ताने, ममता पर भी उठाए सवाल, फिर भी नहीं मानी हार, SDM बनकर दिया करारा जवाब

सपने हर कोई देखता है। लेकिन उसे पूरा करने का साहस हर किसी में नहीं होता है। मुश्किल हालातों और दुनिया के तानों के सामने कई लोग घुटने टेक हार मान लेते हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो इन कठिन परिस्थितियों का डटकर सामना करते हैं। एसडीएम (SDM) पूनम गौतम की कहानी भी कुछ ऐसी ही रही। हिंदी मीडियम पड़ी पूनम ने जब अपने सपनों को सच करना चाहा तो लोगों ने उन्हें खूब डीमोटिवेट किया। जमाने भर के ताने मारे। लेकिन पूनम ने इन नेगेटिव चीजों को अपनी सफलता के आड़े नहीं आने दिया।
कैसे एक बेटी की मां बनी SDM?
पूनम के लिए एसडीएम (SDM) बनने का सपना साकार करना बड़ा मुश्किल था। उन्होंने ये सपना अपनी शादी होने और एक बेटी के पैदा होने के बाद देखा था। वह यूपीपीसीएस परीक्षा की तैयारी करने के लिए यूपी से दिल्ली गई थी। इसके लिए उन्हें अपनी बेटी और परिवार से दूर जाना पड़ा। उसके इस निर्णय का कई लोगों ने विरोध किया। यहाँ तक कि पूनम की ममता पर भी सवाल खड़े कर दिए।
हालांकि पूनम ये बात अच्छे से जानती थी कि वह ये सब अपनी बेटी के सुनहरे भविष्य के लिए ही कर रही है। ऐसे में उन्होंने अपने आसपास मौजूद नेगेटिव लोगों से दूरी बना ली। सिर्फ अपने सपनों को पूरा करने पर फोकस किया। खूब पढ़ाई लिखाई की। परीक्षा के पेटर्न को समझा। उसके अनुसार अपनी रणनीति बनाई। इस दौरान उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कई बार वह बेटी को याद करते हुए रो पड़ती थी।
तैयारी में लगा दिया अपना सबकुछ
पूनम ने प्री, मेन्स और इंटरव्यू तीनों की तैयारी करने के लिए थोड़ा हटकर तरीका अपनाया। इस दौरान उनका सेल्फ कॉन्फिडेंस और पॉजिटिव सोच बरकरार रही। इस बीच उन्हें कई असफलताएं भी मिली। लेकिन उन्होंने इस असफलता से सीखा और दोबारा कोशिश की। अंत में वह यूपीएससी एग्जाम क्लियर करने में कामयाब रहीं। उनका एसडीएम (SDM) बनने का सपना साकार हुआ। उन्होंने ताने मारने वाले लोगों को करारा जवाब दे दिया।
अपनी सफलता के बारे में पूनम का कहना है कि आपको अपने आसपास एक अच्छा माहौल बनाए रखना है। नेगेटिव लोगों से जितना हो सके दूर रहना है। यदि आपको अपने सपनों को पूरा करने के लिए घर से बाहर भी जाना पड़े तो उससे परहेज नहीं करना है। हालांकि कुछ भी करने से पहले एक अच्छी प्लानिंग जरूरी है। साथ ही अपने लक्ष्य पर फोकस रखें और मेहनत करने से ना घबराएं। एक रणनीति बनाकर काम करें। अपनी क्षमताओं का आकलन भी करें। लगातार कुछ ना कुछ सीखते रहें।