धार्मिक

श्राद्ध में कौन से कार्य करने से मिलेगा पितरों का आशीर्वाद? किन कामों से रहें दूर, जानिए जरूरी बातें

अगर हम हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार देखे तो माता-पिता की सेवा को सबसे बड़ी पूजा मानी जाती है। इसी वजह से हिंदू धर्म शास्त्रों में पितरों का उद्धार करने के लिए पुत्र की अनिवार्यता मानी गई है। जन्म देने वाले माता-पिता को मृत्यु के पश्चात श्राद्ध कर्म करने का विशेष विधान माना गया है। पितृपक्ष 16 दिनों तक रहता है। इस समय के दौरान मृत परिजनों का श्राद्ध, कर्म, तर्पण आदि किया जाता है। श्राद्ध के दिनों में अपने पितरों की आत्मा शांति, उनकी तृप्ति और आशीर्वाद प्राप्त में करने के लिए इंसान को पितरों का श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।

ऐसा बताया जाता है कि यदि कोई इंसान श्राद्ध तर्पण नहीं करता है तो उसको अपने जीवन में पितृदोष की वजह से बहुत सी परेशानियों और दुखों का सामना करना पड़ता है। श्राद्ध के दिनों को लेकर बहुत सी बातें शास्त्रों में बताई गई हैं। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से श्राद्ध में कौन से कार्य करने चाहिए और कौन से कार्य नहीं करने चाहिए? इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं। अगर आप इन बातों का ध्यान रखते हैं तो इससे आपको पितरों का आशीर्वाद मिलेगा।

श्राद्ध में क्या नहीं करना चाहिए

  • आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि रात के समय आप कभी भी श्राद्ध ना करें क्योंकि रात को राक्षसी का समय माना गया है।
  • संध्या के समय श्राद्ध ना करें।
  • अगर आप श्राद्ध कर रहे हैं तो आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि इस दौरान कभी भी मसूर की दाल, मटर, राजमा, काला उड़द, सरसों, बासी भोजन आदि का इस्तेमाल ना करें।
  • श्राद्ध के दौरान आप घर के अंदर तामसी भोजन ना बनाएं।
  • श्राद्ध के दिनों में आप नशीली पदार्थों का सेवन ना करें।
  • श्राद्ध करते समय आप क्रोध, कलह और जल्दीबाजी ना करें।
  • शरीर पर तेल, सोना, इत्र और साबुन का प्रयोग ना करें।

श्राद्ध में करें यह काम, पितरों का मिलेगा आशीर्वाद

  • श्राद्ध के दिनों में पिता का श्राद्ध पुत्र के द्वारा ही किया जाना चाहिए। अगर किसी कारणवश पुत्र की अनुपस्थिति है तो ऐसे में पत्नी भी श्राद्ध कर सकती है।
  • श्राद्ध के दिनों में यदि आप पकवान बना रहे हैं तो आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि पितरों की पसंद का ही पकवान बनाएं।
  • श्राद्ध कर्म करने के दौरान गंगाजल, शहद, दूध और तिल का इस्तेमाल जरूर करें।
  • श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। श्राद्ध के लिए ब्राह्मणों को अपने घर पर आमंत्रित करें। आप ब्राह्मणों को सोने, चांदी, काँसें और तांबे के बर्तन में भोजन करा सकते हैं। यह सर्वोत्तम माना गया है। भोजन कराने के पश्चात ब्राह्मणों को दक्षिणा जरूर दें और इनका आशीर्वाद लीजिए।
  • अगर आप श्राद्ध के दौरान पितर स्त्रोत का पाठ और पितर गायत्री मंत्र आदि का जाप दक्षिण मुखी होकर करते हैं तो यह शुभ माना जाता है।
  • श्राद्ध के दिनों में आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि आप कौवे, गाय और कुत्ते को खाना जरूर खिलाएं। अगर आप इनको खाना नहीं खिलाते हैं तो आपका श्राद्ध अधूरा माना जाता है। श्राद्ध के दिनों में इनको भोजन देना अनिवार्य है।

Related Articles

Back to top button