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काला कोट पहनकर ही वकालत क्यों करते हैं वकील? वजह बड़ी दिलचस्प है

कोर्ट कचहरी के मामले बड़े ही पेचीदा होते हैं। ये कई महीनों या सालों तक चलते रहते हैं। ऐसे में इंसान भगवान से यही दुआ करता है कि उसे कभी कोर्ट कचहरी के चक्कर नहीं लगाने पड़े। जब भी कोर्ट का कोई काम होता है तो हम सबसे पहले वकील के पास जाते हैं। उसे एक फीस देकर अपना केस लड़ने को कहते हैं।

इन वकीलों से मिलते समय आप ने एक बात नोटिस की होगी कि सभी वकील आपको काले कॉट और सफेद शर्ट टाई लगाए दिखते हैं। ऐसे में क्या आप ने कभी सोचा है कि आखिर वकीलों के इस ड्रेस कोड की शुरुआत कैसे हुई? आखिर वे काले रंग का कॉट ही क्यों पहनते हैं? चलिए जानते हैं।

ऐसे तय हुआ वकीलों का ड्रेस कोड

वकीलों के लिए काले कॉट वाला यह ड्रेस कोड कई देशों में तय किया गया है। दुनिया में जब वकालत शुरू हुई थी तो जजों के लिए एक विशेष ड्रेस कोड बनाया गया था। तब ये जज नकली बालों की एक विग लगाया करते थे। उस समय छात्र, प्लीडर, बेंचर और बैरिस्टर वकीलों को चार केटेगरी में बांटा गया था। यह साल 1327 की बात है। जब दुनिया में वकालत की शुरुआत हुई थी।

फिर साल 1637 में वकीलों के ड्रेस कोड का प्रस्ताव पेश किया गया। ताकि आमजन वकीलों की पहचान जजों से अलग कर सके। उस दौरान वेकील लंबे गाउन पहनते थे। फिर साल 1694 में ब्रिटेन की महारानी क्वीन मैरी का निधन हो गया। इस दौरान महाराजा ने सभी जजों और वकीलों को काले गाउन पहनकर शौक मनाने का आदेश दिया। बस तभी से जज और वकील काले रंग के गाउन का इस्तेमाल करने लगे।

इस साल से अनिवार्य हुआ वकीलों का ड्रेस कोड

जैसे जैसे समय बदलता गया वकीलों ने इस काले गाउन को काले कोट से रिप्लेस कर दिया। फिर अधिनियम 1961 के माध्यम से वकीलों के लिए काम के दौरान सफेद बैंड टाई और काले कोट को कानूनी रूप से अनिवार्य कर दिया गया। बस तभी से वकील काले रंग का कोट पहनने लगे जो आज भी बरकरार है।

आज भी आप किसी कोर्ट में जाते हैं तो आपको कई वकील काले कोट और सफेद टाई के साथ काम करते नजर आते हैं। वकीलों का कहना है कि जब वे इस ड्रेस कोड को पहनते हैं तो उनके अंदर एक अलग ही लेवल का आत्मविश्वास पैदा होता है।

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