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Chanakya Niti: खुद की दुश्मन होती है ऐसी महिलाएं, इन आदतों के चलते जीवनभर उठाती हैं तकलीफ

‘अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना’ यह कहावत आप ने जरूर सुनी होगी। इसका अर्थ होता है कि अपनी ही गलतियों की वजह से दुखों को न्योता देना। कई लोगों में कुछ ऐसी बुरी आदतें होती हैं जिन्हें वह अनदेखा कर देते हैं। फिर आगे चलकर उन्हें यही बात दुख दे जाती है। आज हम आपको महिलाओं की उन आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके चलते वह लाइफ में सबसे अधिक दुख झेलती है। इसका जिक्र आचार्य चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में भी किया है।

बीमारी को नजरअंदाज करना

वैसे तो कहा जाता है कि महिलाएं सुपरवुमेन होती हैं। वह 24 घंटे घर और बाहर के कामकाज में लगी रहती हैं। हालांकि इस चक्कर में कई बार वह खुद को शारीरिक या मानसिक रूप से कष्ट भी देती हैं। घर में जब कोई महिला बीमार होती है तो वह इसे शुरुआत में नजरअंदाज करती है। उसे बस अपने घर के कामकाज निपटाने की पड़ी होती है। वह घर के बाकी लोगों को दिक्कत में नहीं देख सकती है।

लेकिन उसकी यही अनदेखी उसे भारी पड़ सकती है। बीमारी को शुरू में नजरअंदाज करने पर ये धीरे धीरे कर बड़ा रूप ले सकती है। फिर आप इस बीमारी से सीधा बिस्तर पकड़ सकती हैं। ये आपकी ओवरऑल सेहत पर भी बुरा असर डाल सकती है। इसलिए महिलाओं को कभी अपनी बीमारियों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए।

झूठ बोलना

यदि कोई महिला कहे कि उसने लाइफ में कभी झूठ नहीं बोला, तो ये सबसे बड़ा झूठ होगा। महिलाओं में झूठ बोलने की आदत होती है। अब इस झूठ को बोलने के पीछे कई वजहें हो सकती है। जैसे इस एक झूठ से शायद किसी का भला हो जाए, कोई बहुत बड़ा लड़ाई झगड़ा टल जाए, या फिर महिला का ही कोई निजी फायदा हो जाएगा। लेकिन कोई भी झूठ ज्यादा दिनों तक छिपाया नहीं जा सकता है। और जब ये सामने आता है तो इज्जत ले डूबता है।

इसलिए महिलाओं को अपनी झूठ बोलने की आदत पर काबू रखना चाहिए। हमेशा ईमानदारी से रहना चाहिए। वरना अगली बार आप कोई सच भी कहेंगी तो लोग आपके ऊपर विश्वास नहीं करेंगे। आपका यह झूठ न सिर्फ आपकी बल्कि आपके पूरे परिवार की जिंदगी तबाह कर सकता है। इसलिए अपने आचरण और व्यवहार में बदलाव कीजिए और झूठ बोलने की आदत हमेशा के लिए छोड़ दीजिए।

अपनी मर्जी से नहीं, दूसरों के दबाव में जीना

ऐसा बहुत कम ही होता है जब महिलाओं को अपनी मर्जी चलाने का मौका मिलता है। बचपन से लेकर बुढ़ापे तक लोग उनके ऊपर अपनी मर्जी थोपते हैं। उन्हें अपने हिसाब से चलाना चाहते हैं। महिलाएं भी हालात को देखते हुए सामने वाले की बातों में आ जाती है। वह दबाव महसूस करते हुए अपनी मर्जी के बिना दूसरों के फैसले मान लेती है।

लेकिन बाद में वह इस बात को लेकर अंदर ही अंदर घुटती चली जाती है। उसे अपनी आवाज बुलंद ना करने का पछतावा होता है। वह अपनी जिंदगी दूसरों के अनुसार जीने में व्यर्थ कर देती है। इसलिए अपने आत्मसम्मान और मनमर्जी के हिसाब से जीना सीखना चाहिए। वरना आपका जीवन एक जानवर जैसा हो जाएगा।

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